रांची: त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं के विघटन का असर मनरेगा के तौर तरीके पर भी पड़ा है. अब पंचायत स्तर पर मनरेगा योजनाओं का क्रियान्वयन विघटित ग्राम पंचायतों की कार्यकारी समिति करेगी. मनरेगा आयुक्त सिद्धार्थ त्रिपाठी ने इस बाबत सभी जिलों के उपायुक्त और डीडीसी को पत्र भेजा है. पंचायत स्तर पर मनरेगा योजनाओं के क्रियान्वयन में होने वाले व्यय का भुगतान अब पंचायत स्तर पर होगा. इसमें प्रथम हस्ताक्षरकर्ता पंचायत सचिव और दूसरे हस्ताक्षरकर्ता संबंधित कार्यकारी समिति के प्रधान होंगे.
प्रखंड स्तर पर होने वाले प्रशासनिक मद में व्यय का भुगतान eFMS प्रणाली के FTO के माध्यम से होगा. इसके लिए प्रथम हस्ताक्षरकर्ता बीपीओ और दूसरे हस्ताक्षरकर्ता बीडीओ होंगे. यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि यदि किसी प्रखंड में 2 बीपीओ होंगे, तो उनमें से सीनियर बीपीओ ही पहले हस्ताक्षरकर्ता होंगे.
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मनरेगा आयुक्त ने अपने पत्र में स्पष्ट लिखा है कि नई व्यवस्था लागू होने के बाद किसी भी सूरत में मनरेगा से जुड़े मजदूरों के पारिश्रमिक भुगतान में विलंब नहीं होना चाहिए. अगर ऐसा होता है तो 1 अक्टूबर 2020 के आदेश के आलोक में संबंधित अधिकारी जवाब निर्धारण करते हुए कार्रवाई कर सकते हैं. खास बात है कि पूर्व के आदेश के तहत 5 लाख तक की नई योजनाओं की प्रशासनिक स्वीकृति संबंधित पंचायत कार्यकारी समिति देगी. 5 से 10 लाख तक की योजनाओं की प्रशासनिक स्वीकृति प्रखंड विकास पदाधिकारी देंगे.