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लाल जमीन बचाने के लिए संघर्ष कर रहे नक्सली, आईईडी को बनाया अचूक हथियार - IG Campaign Amol Homkar

झारखंड में नक्सलियों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ी जा रही है. सुरक्षाबल जहां हर कीमत पर नक्सलियों को नेस्तनाबूद करने में लगे हैं वहीं नक्सली आईईडी बम के सहारे सुरक्षाबलों को जवाब दे रहे हैं.

IED blast in Lohardaga
लोहरदगा में IED विस्फोट
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Published : Feb 26, 2022, 8:32 AM IST

Updated : Feb 26, 2022, 10:33 AM IST

रांची: झारखंड में नक्सलियों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ी जा रही है. राज्य के वैसे दुरूह इलाके जहां नक्सली अपने आप को सुरक्षित समझते थे. वहां भी सुरक्षा बलों की चहल कदमी ने नक्सलियों की नींद उड़ा दी है. यही वजह है कि नक्सली अपने सबसे अचूक हथियार यानी
आईईडी बमों के जरिए सुरक्षाबलों को रोकने की कोशिश कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें- नक्सल पर झारखंड पुलिस का बड़ा प्रहार, लोहरदगा में पकड़ा हथियारों का जखीरा

बुलबुल जंगल बना रणक्षेत्र: नक्सलियों से लड़ाई में लोहरदगा का बुलबुल जंगल इन दिनों का रणक्षेत्र बना हुआ है. पुलिस और नक्सलियों के बीच पिछले कई सप्ताह से जोर आजमाइश चल रही है. अपने बंकर और हथियार बचाने के लिए नक्सली ताबड़तोड़ लैंडमाइंस विस्फोट कर सुरक्षाबलों को रोकने की कोशिश कर रहे हैं. पिछले चार दिनों में लगभग 32 बार नक्सलियों ने लैंडमाइंस विस्फोट किया है. जिसमें तीन जवान घायल हुए हैं. झारखंड पुलिस के आईजी अभियान अमोल होमकर के अनुसार नक्सली यह जानते हैं कि वे अब पुलिस से आमने सामने की लड़ाई नहीं लड़ सकते हैं. यही वजह है कि वह अपने बंकर को बचाने के लिए आईईडी बमों का प्रयोग कर रहे हैं.

देखें वीडियो
नक्सली रविन्द्र गंझू का इलाका है बुलबुल जंगल:
लोहरदगा का बुलबुल जंगल जहां नक्सलियों के खिलाफ वार जैसी स्थिति बनी हुई है. यह इलाका 15 लाख के इनामी कुख्यात रविंद्र गंझू का है. रविंद्र गंझू के दस्ते को टारगेट करके ही इस अभियान को चलाया जा रहा है यही वजह है कि रविंद्र गंझू बौखलाया हुआ है. झारखंड पुलिस के आईजी अभियान अमोल होमकर रांची स्थित वार रूम से ही पूरे अभियान की मॉनिटरिंग कर रहे है. आईजी अभियान के अनुसार आईईडी बमो के जरिये नक्सली अपने बचाने का प्रयास कर रहे है जो कभी सफल नही होगा. अभियान चल रहा है और आगे भी लगातार जारी रहेगा.

ये भी पढ़ें- Naxalites Arrested in Lohardaga: पांच लाख का इनामी नक्सली बालक गंझू सहित दो गिरफ्तार

दो केजी से लेकर 100 केजी के बम: आमतौर पर नक्सली संगठन पहले सड़क के बीचो-बीच लैंडमाइंस लगाया करते थे. सड़क पर लगे लैंडमाइंस इतने खतरनाक और शक्तिशाली होते थे कि इन की चपेट में आने से एंटी लैंड माइंस वाहन भी क्षतिग्रस्त हो जाया करते थे. नक्सलियों की इस योजना को नाकामयाब करने के लिए नक्सल ऑपरेशन के दौरान जवान पैदल ही दुर्गम इलाकों में जाने लगे. जिसके बाद नक्सलियो ने नए लैंड माइंस इजाद किए जो 2 से 10 किलो के हैं. अब वैसे इलाके जहां नक्सलियो ने छोटे प्रेशर बम लगाए है. वहां पर जवानों का पैदल चलना भी मुश्किल है.

IED blast in Lohardaga
IED विस्फोट (फाइल फोटो)

प्रेशर बम जोन बना बूढ़ा पहाड़ एरिया: झारखंड के चाईबासा, लोहरदगा, सरायकेला खरसावां, पलामू ,गढ़वा ,लातेहार के नक्सल प्रभावित इलाके के साथ-साथ पूरे बूढ़ा पहाड़ एरिया में नक्सलियों ने बड़े पैमाने पर प्रेशर बम लगा कर रखे हैं. यहां का सड़क मार्ग भी जानलेवा साबित होता है. इन सड़कों के कई हिस्सों में लैंड माइंस बिछी हुई है. चाहे जंगल के भीतर दाखिल होने वाले कच्चे-पक्के रास्ते हों या फिर पक्की सड़कें कोई भी राह आसान नहीं है.आम ग्रामीण हो या फिर पुलिस के जवान किसी की भी सड़कों पर चहल-कदमी जोखिम भरी हुई है. नक्सल प्रभावित इलाकों में सड़कों और जमीन के इर्दगिर्द जमीन के नीचे लैंड माइंस को खोज निकालने का काम बकायदा ऑपरेशन चला कर पूरा किया जा रहा है. पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों के जवान बारूदी सुरंगों और कई तरह के प्रेशर बम और आईईडी को नष्ट करने में जुटे हुए हैं.

IED blast in Lohardaga
लैंड माइंस की जांच ( फाइल फोटो)

ये भी पढ़ें- लोहरदगा में नक्सलियों के खिलाफ पुलिस को बड़ी सफलता, डीजीपी ने कहा- जल्द करेंगे खुलासा

लोहरदगा में सबसे ज्यादा ब्लास्ट: झारखंड के लोहरदगा जिले में सबसे पहले नक्सलियों ने छोटे-छोटे आईडी बमों का प्रयोग किया था जिसमें पुलिस को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था। पुलिस को भारी नुकसान देने के बाद नक्सलियों ने इस तकनीक को बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करना सीखा जिसके बाद लोहरदगा में लगातार विस्फोट की घटनाएं सामने आती हैं इनमें पुलिस को तो नुकसान पहुंचता ही है साथ-साथ गांव वालों को भी अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है. आईए एक नजर डालते हैं लोहरदगा में कब कब विस्फोट से आम लोगों और सुरक्षाबलों को नुकसान पहुंचा है.

IED blast in Lohardaga
लोहरदगा में IED विस्फोट

जंगली ठिकानों की घेराबंदी

सुरक्षाबलों के अभियान से घबराकर नक्सली अपनी सुरक्षा को लेकर अपने जंगली ठिकानों की घेराबंदी में लग चुके है. इस काम के लिए नक्सली लो प्रेशर आईईडी का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे है.लो प्रेशर आईईडी जिस पर पैर रखते हीं उस में ब्लास्ट हो जाता है से जंगली इलाकों की घेराबंदी की जा रही है. वहीं दूसरी तरफ सुरक्षा बल हर कीमत पर नक्सलियों को नेस्तनाबूद करने में लगे हैं.

रांची: झारखंड में नक्सलियों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ी जा रही है. राज्य के वैसे दुरूह इलाके जहां नक्सली अपने आप को सुरक्षित समझते थे. वहां भी सुरक्षा बलों की चहल कदमी ने नक्सलियों की नींद उड़ा दी है. यही वजह है कि नक्सली अपने सबसे अचूक हथियार यानी
आईईडी बमों के जरिए सुरक्षाबलों को रोकने की कोशिश कर रहे हैं.

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बुलबुल जंगल बना रणक्षेत्र: नक्सलियों से लड़ाई में लोहरदगा का बुलबुल जंगल इन दिनों का रणक्षेत्र बना हुआ है. पुलिस और नक्सलियों के बीच पिछले कई सप्ताह से जोर आजमाइश चल रही है. अपने बंकर और हथियार बचाने के लिए नक्सली ताबड़तोड़ लैंडमाइंस विस्फोट कर सुरक्षाबलों को रोकने की कोशिश कर रहे हैं. पिछले चार दिनों में लगभग 32 बार नक्सलियों ने लैंडमाइंस विस्फोट किया है. जिसमें तीन जवान घायल हुए हैं. झारखंड पुलिस के आईजी अभियान अमोल होमकर के अनुसार नक्सली यह जानते हैं कि वे अब पुलिस से आमने सामने की लड़ाई नहीं लड़ सकते हैं. यही वजह है कि वह अपने बंकर को बचाने के लिए आईईडी बमों का प्रयोग कर रहे हैं.

देखें वीडियो
नक्सली रविन्द्र गंझू का इलाका है बुलबुल जंगल: लोहरदगा का बुलबुल जंगल जहां नक्सलियों के खिलाफ वार जैसी स्थिति बनी हुई है. यह इलाका 15 लाख के इनामी कुख्यात रविंद्र गंझू का है. रविंद्र गंझू के दस्ते को टारगेट करके ही इस अभियान को चलाया जा रहा है यही वजह है कि रविंद्र गंझू बौखलाया हुआ है. झारखंड पुलिस के आईजी अभियान अमोल होमकर रांची स्थित वार रूम से ही पूरे अभियान की मॉनिटरिंग कर रहे है. आईजी अभियान के अनुसार आईईडी बमो के जरिये नक्सली अपने बचाने का प्रयास कर रहे है जो कभी सफल नही होगा. अभियान चल रहा है और आगे भी लगातार जारी रहेगा.

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दो केजी से लेकर 100 केजी के बम: आमतौर पर नक्सली संगठन पहले सड़क के बीचो-बीच लैंडमाइंस लगाया करते थे. सड़क पर लगे लैंडमाइंस इतने खतरनाक और शक्तिशाली होते थे कि इन की चपेट में आने से एंटी लैंड माइंस वाहन भी क्षतिग्रस्त हो जाया करते थे. नक्सलियों की इस योजना को नाकामयाब करने के लिए नक्सल ऑपरेशन के दौरान जवान पैदल ही दुर्गम इलाकों में जाने लगे. जिसके बाद नक्सलियो ने नए लैंड माइंस इजाद किए जो 2 से 10 किलो के हैं. अब वैसे इलाके जहां नक्सलियो ने छोटे प्रेशर बम लगाए है. वहां पर जवानों का पैदल चलना भी मुश्किल है.

IED blast in Lohardaga
IED विस्फोट (फाइल फोटो)

प्रेशर बम जोन बना बूढ़ा पहाड़ एरिया: झारखंड के चाईबासा, लोहरदगा, सरायकेला खरसावां, पलामू ,गढ़वा ,लातेहार के नक्सल प्रभावित इलाके के साथ-साथ पूरे बूढ़ा पहाड़ एरिया में नक्सलियों ने बड़े पैमाने पर प्रेशर बम लगा कर रखे हैं. यहां का सड़क मार्ग भी जानलेवा साबित होता है. इन सड़कों के कई हिस्सों में लैंड माइंस बिछी हुई है. चाहे जंगल के भीतर दाखिल होने वाले कच्चे-पक्के रास्ते हों या फिर पक्की सड़कें कोई भी राह आसान नहीं है.आम ग्रामीण हो या फिर पुलिस के जवान किसी की भी सड़कों पर चहल-कदमी जोखिम भरी हुई है. नक्सल प्रभावित इलाकों में सड़कों और जमीन के इर्दगिर्द जमीन के नीचे लैंड माइंस को खोज निकालने का काम बकायदा ऑपरेशन चला कर पूरा किया जा रहा है. पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों के जवान बारूदी सुरंगों और कई तरह के प्रेशर बम और आईईडी को नष्ट करने में जुटे हुए हैं.

IED blast in Lohardaga
लैंड माइंस की जांच ( फाइल फोटो)

ये भी पढ़ें- लोहरदगा में नक्सलियों के खिलाफ पुलिस को बड़ी सफलता, डीजीपी ने कहा- जल्द करेंगे खुलासा

लोहरदगा में सबसे ज्यादा ब्लास्ट: झारखंड के लोहरदगा जिले में सबसे पहले नक्सलियों ने छोटे-छोटे आईडी बमों का प्रयोग किया था जिसमें पुलिस को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था। पुलिस को भारी नुकसान देने के बाद नक्सलियों ने इस तकनीक को बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करना सीखा जिसके बाद लोहरदगा में लगातार विस्फोट की घटनाएं सामने आती हैं इनमें पुलिस को तो नुकसान पहुंचता ही है साथ-साथ गांव वालों को भी अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है. आईए एक नजर डालते हैं लोहरदगा में कब कब विस्फोट से आम लोगों और सुरक्षाबलों को नुकसान पहुंचा है.

IED blast in Lohardaga
लोहरदगा में IED विस्फोट

जंगली ठिकानों की घेराबंदी

सुरक्षाबलों के अभियान से घबराकर नक्सली अपनी सुरक्षा को लेकर अपने जंगली ठिकानों की घेराबंदी में लग चुके है. इस काम के लिए नक्सली लो प्रेशर आईईडी का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे है.लो प्रेशर आईईडी जिस पर पैर रखते हीं उस में ब्लास्ट हो जाता है से जंगली इलाकों की घेराबंदी की जा रही है. वहीं दूसरी तरफ सुरक्षा बल हर कीमत पर नक्सलियों को नेस्तनाबूद करने में लगे हैं.

Last Updated : Feb 26, 2022, 10:33 AM IST
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