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बड़ा खतरा-बड़ी चुनौतीः हाथ मिला रहे नक्सली और गैंगस्टर! विदेशी हथियार से चला रहे डर का कारोबार

झारखंड में नक्सली संगठन के बाद अब बड़े आपराधिक गिरोह पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बनकर उभरे हैं. ये गिरोह नक्सलियों के साथ हाथ मिलाकर झारखंड में हथियार के ढेर में तब्दील कर रहे हैं. पिछले दिनों खालिस्तान आतंकियों के हथियार सप्लायर के मुंह से झारखंड के अमन साव का नाम आना इत्तेफाक नहीं, एक बड़े खतरे की तरफ इशारा है.

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हथियार
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Published : Sep 3, 2021, 4:43 PM IST

Updated : Sep 3, 2021, 10:43 PM IST

रांचीः झारखंड में नक्सली संगठनों के साथ-साथ संगठित आपराधिक गिरोह भी अब पुलिस के लिए बड़ी चुनौती साबित हो रहे हैं. नक्सलियों की तरह अत्याधुनिक हथियार हासिल कर अब कई बड़े संगठित गिरोह पुलिस को खुली चुनौती दे रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- बड़ा खुलासा: खालिस्तानियों के हथियार तस्कर अमन साव गैंग को देते थे हथियार

झारखंड के संगठित आपराधिक गिरोह के संबंध अंतरराष्ट्रीय हथियार तस्करों से भी है. यहां तक की पंजाब के खालिस्तानी आतंकियों को हथियार सप्लाई करने वाले हथियार तस्करों से झारखंड के कुख्यात गैंगस्टर भी हथियार खरीद रहे हैं.

देखें पूरी खबर


गैंगस्टर्स के पास पहुंचे एके-47 जैसे हथियार
खालिस्तानी आतंकियों को हथियार पहुंचाने वाले गिरोह के सदस्यों ने इस बात का खुलासा किया है कि झारखंड के कुख्यात गैंगस्टर अमन साव को हथियार की सप्लाई करते थे. अमन साव का गिरोह उन्हीं हथियार के बल पर जेल में रहकर भी अपनी सल्तनत चला रहा है. अक्सर अमन गिरोह के अपराधी अत्याधुनिक हथियारों को हाथ में रखकर और वीडियो बनाकर उसे वायरल कर अपनी धमक को दिखाते रहते हैं.

पुलिस पिछले कई वर्षों से परेशान थी कि आखिर झारखंड के बड़े अपराधियों के पास एके-47 जैसे हथियार कैसे आ रहे हैं. लेकिन अब जाकर यह मामला खुला है कि खालिस्तानी आतंकियों को हथियार पहुंचाने वाला गिरोह ही झारखंड के गैंगस्टर्स को हथियार पहुंचाता था.


कैसे हुआ खुलासा
एक सफ्ताह पहले ही दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने दो हथियार तस्करों को गिरफ्तार किया था. दोनों तस्कर खालिस्तानी आतंकियों को भी हथियार सप्लाई करते थे, जब उनसे पूछताछ हुई तब उन्होंने अपने बयान में झारखंड के गैंगस्टर अमन का भी नाम लिया. जानकारी मिलने के बाद झारखंड पुलिस के अधिकारी भी इस इनपुट पर काम कर रहे हैं. झारखंड पुलिस के प्रवक्ता आईजी अभियान अमोल होमकर ने बताया कि मामले की जांच के लिए के लिए झारखंड पुलिस के एक स्पेशल ऑफिसर को तैनात किया है. स्पेशल सेल से मिली इनपुट के आधार पर हमारी टीम भी पूरे मामले की जांच कर रही है. आईजी के अनुसार झारखंड पुलिस की एक टीम दिल्ली में कैंप कर रही है.


खतरनाक गैंगस्टर्स है अमन
अमन साव वर्तमान में रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में बंद है. अमन साव के गिरोह के पास एके-47 समेत कई घातक हथियार हैं. केवल अमन ही नहीं बल्कि उसका खास सहयोगी सुजीत सिन्हा के पास भी अत्याधुनिक हथियार हैं. दोनों जेल में बंद हैं, पर वो वहीं से अपनी हुकूमत चला रहे हैं. दोनों के गुर्गे अक्सर अत्याधुनिक हथियारों को हाथ में लेकर वीडियो जारी करते हैं. वर्तमान समय में इस गिरोह का आतंक कोयलांचल में सिर चढ़कर बोल रहा है, रंगदारी इस गिरोह का मुख्य पेसा है. रंगदारी देने से इनकार करने वालों के घरों पर यह गिरोह दिनदहाड़े हमले करता है, कइयों को सिर्फ इस वजह से मार डाला गया, क्योंकि उन्होंने पैसे देने से इनकार कर दिया था.

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हथियार की नुमाइश

इसे भी पढ़ें- हथियारों के मुंगेर कनेक्शन पर ब्रेक की तैयारी, अपराधी-उग्रवादी मंगवा रहे हैं आर्म्स


फोटो के साथ नुमाइश कर दशहत फैलाने की रणनीति
कुख्यात अमन साव और सुजीत सिन्हा फिलहाल रांची और धनबाद जेल में बंद है. लेकिन उनके पूर्व की तस्वीर जिनमें वो हाथों में एके-47 लिए हुए हैं, आज भी कारोबारियों को रंगदारी देने पर मजबूर कर देती है. झारखंड के कई नक्सली संगठन संगठित आपराधिक गिरोह से भी हाथ मिला चुके हैं. इसका खुलासा पूर्व की जांच में हो चुका है. जानकारी यह भी है कि कुछ नक्सली संगठनों की ओर से भी संगठित आपराधिक गिरोहों को अत्याधुनिक हथियारों की सप्लाई की जाती रही है.

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सोशल मीडिया पर हथियार के साथ फोटो



नक्सली संगठनों के पास बड़ी मात्रा में विदेशी हथियार
झारखंड के बड़े आपराधिक गिरोह भी अब अंतरराष्ट्रीय हथियार तस्करों के संपर्क में आ चुके हैं. इससे पहले जांच में यह खुलासा हो चुका है कि राज्य में उग्रवादी संगठनों की ओर से बड़े पैमाने पर विदेशी हथियार खरीदे गए हैं. एनआईए की जांच में उग्रवादी संगठनों की ओर से नागा हथियार तस्करों का गैंग और बिहार के हथियार तस्करों की मिलीभगत से उग्रवादी संगठनों तक हथियार पहुंचाने की बात सामने आ चुकी है.

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दो साल में जब्त विदेशी हथियार

इन हथियारों का जखीरा बांग्लादेश और म्यांमार के रास्ते बिहार और झारखंड के उग्रवादियों तक पहुंचता है. दो साल पहले पलामू में पुलिस और टीपीसी उग्रवादियों के बीच हुए मुठभेड़ के बाद अमेरिकन राइफल बरामद की गई थी. एनआईए की जांच को आधार मानें तो राज्य में नागालैंड के हथियार तस्करों से सर्वाधिक हथियार झारखंड के टीपीसी उग्रवादियों ने खरीदी है. हथियार तस्कर संतोष सिंह ने एनआईए को इस बात की जानकारी दी थी कि टीपीसी उग्रवादियों ने 50 से अधिक विदेशी हथियारों की खरीद की है. हथियार तस्करों का गैंग अमेरिकन, इजरायली और जर्मन हथियारों तक की डिलिवरी कर चुका है. हथियार की डिलवरी के बाद हवाला के जरिए पैसों का भुगतान होता है. हथियार तस्कर गैंग ने रांची के दो बैंकों में खाता होने की बात भी बताई थी.


हथियार के लिए कोड वर्ड का इस्तेमाल
एनआईए के मुताबिक, नागालैंड से एके-47 जैसे हथियार और 50,000 से गोलियां नक्सलियों तक पहुंचाई जा चुकी है. हथियार तस्करों ने बिहार और झारखंड में हथियार सप्लाई करने के लिए अपना कोड वर्ड बना रखा है. हथियार तस्कर जब आपस में फोन पर संपर्क करते हैं तो वो एके-47 को अम्मा बोलते हैं, जबकि गोलियों को उनके बच्चे. अगर हथियार तस्कर फोन पर यह कहते पाए गए कि अम्मा अपने बच्चों के साथ जा रही है तो इसका मतलब हुआ कि एके-47 और कारतूस की डिलिवरी हो रही है.

इसे भी पढ़ें- बांग्लादेश-म्यांमार के रास्ते नक्सलियों तक पहुंचता है विदेशी हथियार, इस कोड का होता है इस्तेमाल

हथियार का नागालैंड कनेक्शन

नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड का नेता आखान सांगथम झारखंड और बिहार में नक्सलियों तक विदेशी हथियार की तस्करी कराता है. आखान की पैठ नागालैंड में काफी अच्छी है. झारखंड-बिहार के कई हाई प्रोफाइल लोगों का आर्म्स लाइसेंस भी उसने नागालैंड से फर्जी कागजात के जरिए बनवाया है. आखान सांगथम नागालैंड के अलगाववादी संगठन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल आफ नागालैंड का कप्तान है. दीमापुर में रहने वाले मुकेश और संतोष सांगथम के लिए काम किया करते थे. इन दोनों ने सूरज को हथियार की सप्लाई के लिए रखा था.

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रॉकेट लॉन्चर भी हुए थे बरामद


कब कब मिले विदेशी हथियार
चतरा में भाकपा माओवादी अजय यादव के पास से मेड इन इंग्लैंड स्प्रिंग राइफल मिले थे. साल 2015 में लातेहार में आठ अमेरिकी राइफल मिले थे. साल 2011 में रांची में बूटी मोड़ के पास से पुलिस ने अमेरिकी रॉकेट लॉचर के साथ दो लोगों के गिरफ्तार किया था. यह हथियार अमेरिकी और पाकिस्तानी सेना इस्तेमाल करती थी. पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप को इसकी सप्लाई होनी थी. सिमडेगा और हजारीबाग में पाकिस्तानी कारतूस और अमेरिकी राइफल की बरामदगी हुई थी, इन मामलों की भी जांच एनआईए ने शुरू की.

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कब और कहां बरामद हुए विदेशी हथियार


देशी हथियार भी भारी मात्रा में बरामद
इसके अलावा झारखंड पुलिस और सुरक्षाबलों की पिछले दो साल की कार्रवाई सैकड़ों की संख्या में देसी हथियार भी नक्सलियों के पास से मिले हैं. जिनमें पुलिस से लूटे गए 24 हथियार, चार रेगुलर हथियार, 108 देसी हथियार भी बरामद किए है.

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नक्सली संगठन से जब्त देसी हथियार

झारखंड में अलग-अलग तरीके से पहुंचता है हथियार
झारखंड में अलग-अलग गिरोह हथियार की सप्लाई करता है. अबतक सर्वाधिक हथियार मुंगेर के रास्ते पहुंचने की बात सामने आयी है. इसके अलावे मध्य प्रदेश के पारदी गैंग, जबलपुर के ओर्डिनेस फैक्ट्री से हथियार की तस्करी करने वाले गैंग और नागालैंड के अलगाववादी नेता एन सांगथम का नाम भी झारखंड-बिहार में हथियार की तस्करी करने की बात सामने आ चुकी है. खालिस्तानी आतंकियों को हथियार पहुंचाने वाले नेटवर्क ने झारखंड के किसी आपराधिक गिरोह को हथियार की सप्लाई करने का पहला मामला अब सामने आया है. फिलहाल मामले की जांच जारी है, जिसमें कई अहम खुलासे होने के आसार हैं.

रांचीः झारखंड में नक्सली संगठनों के साथ-साथ संगठित आपराधिक गिरोह भी अब पुलिस के लिए बड़ी चुनौती साबित हो रहे हैं. नक्सलियों की तरह अत्याधुनिक हथियार हासिल कर अब कई बड़े संगठित गिरोह पुलिस को खुली चुनौती दे रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- बड़ा खुलासा: खालिस्तानियों के हथियार तस्कर अमन साव गैंग को देते थे हथियार

झारखंड के संगठित आपराधिक गिरोह के संबंध अंतरराष्ट्रीय हथियार तस्करों से भी है. यहां तक की पंजाब के खालिस्तानी आतंकियों को हथियार सप्लाई करने वाले हथियार तस्करों से झारखंड के कुख्यात गैंगस्टर भी हथियार खरीद रहे हैं.

देखें पूरी खबर


गैंगस्टर्स के पास पहुंचे एके-47 जैसे हथियार
खालिस्तानी आतंकियों को हथियार पहुंचाने वाले गिरोह के सदस्यों ने इस बात का खुलासा किया है कि झारखंड के कुख्यात गैंगस्टर अमन साव को हथियार की सप्लाई करते थे. अमन साव का गिरोह उन्हीं हथियार के बल पर जेल में रहकर भी अपनी सल्तनत चला रहा है. अक्सर अमन गिरोह के अपराधी अत्याधुनिक हथियारों को हाथ में रखकर और वीडियो बनाकर उसे वायरल कर अपनी धमक को दिखाते रहते हैं.

पुलिस पिछले कई वर्षों से परेशान थी कि आखिर झारखंड के बड़े अपराधियों के पास एके-47 जैसे हथियार कैसे आ रहे हैं. लेकिन अब जाकर यह मामला खुला है कि खालिस्तानी आतंकियों को हथियार पहुंचाने वाला गिरोह ही झारखंड के गैंगस्टर्स को हथियार पहुंचाता था.


कैसे हुआ खुलासा
एक सफ्ताह पहले ही दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने दो हथियार तस्करों को गिरफ्तार किया था. दोनों तस्कर खालिस्तानी आतंकियों को भी हथियार सप्लाई करते थे, जब उनसे पूछताछ हुई तब उन्होंने अपने बयान में झारखंड के गैंगस्टर अमन का भी नाम लिया. जानकारी मिलने के बाद झारखंड पुलिस के अधिकारी भी इस इनपुट पर काम कर रहे हैं. झारखंड पुलिस के प्रवक्ता आईजी अभियान अमोल होमकर ने बताया कि मामले की जांच के लिए के लिए झारखंड पुलिस के एक स्पेशल ऑफिसर को तैनात किया है. स्पेशल सेल से मिली इनपुट के आधार पर हमारी टीम भी पूरे मामले की जांच कर रही है. आईजी के अनुसार झारखंड पुलिस की एक टीम दिल्ली में कैंप कर रही है.


खतरनाक गैंगस्टर्स है अमन
अमन साव वर्तमान में रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में बंद है. अमन साव के गिरोह के पास एके-47 समेत कई घातक हथियार हैं. केवल अमन ही नहीं बल्कि उसका खास सहयोगी सुजीत सिन्हा के पास भी अत्याधुनिक हथियार हैं. दोनों जेल में बंद हैं, पर वो वहीं से अपनी हुकूमत चला रहे हैं. दोनों के गुर्गे अक्सर अत्याधुनिक हथियारों को हाथ में लेकर वीडियो जारी करते हैं. वर्तमान समय में इस गिरोह का आतंक कोयलांचल में सिर चढ़कर बोल रहा है, रंगदारी इस गिरोह का मुख्य पेसा है. रंगदारी देने से इनकार करने वालों के घरों पर यह गिरोह दिनदहाड़े हमले करता है, कइयों को सिर्फ इस वजह से मार डाला गया, क्योंकि उन्होंने पैसे देने से इनकार कर दिया था.

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हथियार की नुमाइश

इसे भी पढ़ें- हथियारों के मुंगेर कनेक्शन पर ब्रेक की तैयारी, अपराधी-उग्रवादी मंगवा रहे हैं आर्म्स


फोटो के साथ नुमाइश कर दशहत फैलाने की रणनीति
कुख्यात अमन साव और सुजीत सिन्हा फिलहाल रांची और धनबाद जेल में बंद है. लेकिन उनके पूर्व की तस्वीर जिनमें वो हाथों में एके-47 लिए हुए हैं, आज भी कारोबारियों को रंगदारी देने पर मजबूर कर देती है. झारखंड के कई नक्सली संगठन संगठित आपराधिक गिरोह से भी हाथ मिला चुके हैं. इसका खुलासा पूर्व की जांच में हो चुका है. जानकारी यह भी है कि कुछ नक्सली संगठनों की ओर से भी संगठित आपराधिक गिरोहों को अत्याधुनिक हथियारों की सप्लाई की जाती रही है.

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सोशल मीडिया पर हथियार के साथ फोटो



नक्सली संगठनों के पास बड़ी मात्रा में विदेशी हथियार
झारखंड के बड़े आपराधिक गिरोह भी अब अंतरराष्ट्रीय हथियार तस्करों के संपर्क में आ चुके हैं. इससे पहले जांच में यह खुलासा हो चुका है कि राज्य में उग्रवादी संगठनों की ओर से बड़े पैमाने पर विदेशी हथियार खरीदे गए हैं. एनआईए की जांच में उग्रवादी संगठनों की ओर से नागा हथियार तस्करों का गैंग और बिहार के हथियार तस्करों की मिलीभगत से उग्रवादी संगठनों तक हथियार पहुंचाने की बात सामने आ चुकी है.

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दो साल में जब्त विदेशी हथियार

इन हथियारों का जखीरा बांग्लादेश और म्यांमार के रास्ते बिहार और झारखंड के उग्रवादियों तक पहुंचता है. दो साल पहले पलामू में पुलिस और टीपीसी उग्रवादियों के बीच हुए मुठभेड़ के बाद अमेरिकन राइफल बरामद की गई थी. एनआईए की जांच को आधार मानें तो राज्य में नागालैंड के हथियार तस्करों से सर्वाधिक हथियार झारखंड के टीपीसी उग्रवादियों ने खरीदी है. हथियार तस्कर संतोष सिंह ने एनआईए को इस बात की जानकारी दी थी कि टीपीसी उग्रवादियों ने 50 से अधिक विदेशी हथियारों की खरीद की है. हथियार तस्करों का गैंग अमेरिकन, इजरायली और जर्मन हथियारों तक की डिलिवरी कर चुका है. हथियार की डिलवरी के बाद हवाला के जरिए पैसों का भुगतान होता है. हथियार तस्कर गैंग ने रांची के दो बैंकों में खाता होने की बात भी बताई थी.


हथियार के लिए कोड वर्ड का इस्तेमाल
एनआईए के मुताबिक, नागालैंड से एके-47 जैसे हथियार और 50,000 से गोलियां नक्सलियों तक पहुंचाई जा चुकी है. हथियार तस्करों ने बिहार और झारखंड में हथियार सप्लाई करने के लिए अपना कोड वर्ड बना रखा है. हथियार तस्कर जब आपस में फोन पर संपर्क करते हैं तो वो एके-47 को अम्मा बोलते हैं, जबकि गोलियों को उनके बच्चे. अगर हथियार तस्कर फोन पर यह कहते पाए गए कि अम्मा अपने बच्चों के साथ जा रही है तो इसका मतलब हुआ कि एके-47 और कारतूस की डिलिवरी हो रही है.

इसे भी पढ़ें- बांग्लादेश-म्यांमार के रास्ते नक्सलियों तक पहुंचता है विदेशी हथियार, इस कोड का होता है इस्तेमाल

हथियार का नागालैंड कनेक्शन

नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड का नेता आखान सांगथम झारखंड और बिहार में नक्सलियों तक विदेशी हथियार की तस्करी कराता है. आखान की पैठ नागालैंड में काफी अच्छी है. झारखंड-बिहार के कई हाई प्रोफाइल लोगों का आर्म्स लाइसेंस भी उसने नागालैंड से फर्जी कागजात के जरिए बनवाया है. आखान सांगथम नागालैंड के अलगाववादी संगठन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल आफ नागालैंड का कप्तान है. दीमापुर में रहने वाले मुकेश और संतोष सांगथम के लिए काम किया करते थे. इन दोनों ने सूरज को हथियार की सप्लाई के लिए रखा था.

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रॉकेट लॉन्चर भी हुए थे बरामद


कब कब मिले विदेशी हथियार
चतरा में भाकपा माओवादी अजय यादव के पास से मेड इन इंग्लैंड स्प्रिंग राइफल मिले थे. साल 2015 में लातेहार में आठ अमेरिकी राइफल मिले थे. साल 2011 में रांची में बूटी मोड़ के पास से पुलिस ने अमेरिकी रॉकेट लॉचर के साथ दो लोगों के गिरफ्तार किया था. यह हथियार अमेरिकी और पाकिस्तानी सेना इस्तेमाल करती थी. पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप को इसकी सप्लाई होनी थी. सिमडेगा और हजारीबाग में पाकिस्तानी कारतूस और अमेरिकी राइफल की बरामदगी हुई थी, इन मामलों की भी जांच एनआईए ने शुरू की.

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कब और कहां बरामद हुए विदेशी हथियार


देशी हथियार भी भारी मात्रा में बरामद
इसके अलावा झारखंड पुलिस और सुरक्षाबलों की पिछले दो साल की कार्रवाई सैकड़ों की संख्या में देसी हथियार भी नक्सलियों के पास से मिले हैं. जिनमें पुलिस से लूटे गए 24 हथियार, चार रेगुलर हथियार, 108 देसी हथियार भी बरामद किए है.

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नक्सली संगठन से जब्त देसी हथियार

झारखंड में अलग-अलग तरीके से पहुंचता है हथियार
झारखंड में अलग-अलग गिरोह हथियार की सप्लाई करता है. अबतक सर्वाधिक हथियार मुंगेर के रास्ते पहुंचने की बात सामने आयी है. इसके अलावे मध्य प्रदेश के पारदी गैंग, जबलपुर के ओर्डिनेस फैक्ट्री से हथियार की तस्करी करने वाले गैंग और नागालैंड के अलगाववादी नेता एन सांगथम का नाम भी झारखंड-बिहार में हथियार की तस्करी करने की बात सामने आ चुकी है. खालिस्तानी आतंकियों को हथियार पहुंचाने वाले नेटवर्क ने झारखंड के किसी आपराधिक गिरोह को हथियार की सप्लाई करने का पहला मामला अब सामने आया है. फिलहाल मामले की जांच जारी है, जिसमें कई अहम खुलासे होने के आसार हैं.

Last Updated : Sep 3, 2021, 10:43 PM IST
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