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कुख्यात नक्सली वासुदेव गंझू ने रांची एसएसपी के सामने डाले हथियार, आत्मसमर्पण नीति से हुआ प्रभावित

रांची में नक्सली वासुदेव गंझू ने एसपी अनीश गुप्ता के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. वासुदेव टीपीसी का जोनल कमांडर था. पुलिस के दबाव और आत्मसमर्पण नीति से प्रभावित होकर वासुदेव ने एसपी के सामने सरेंडर किया.

Naxalite Vasudev Ganjhu surrendered before SP Aneesh Gupta in ranchi
नक्सली वासुदेव गंझू ने किया आत्मसमर्पण
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Published : Jan 23, 2020, 8:48 PM IST

रांचीः नक्सली संगठन टीपीसी के जोनल कमांडर और 5 लाख के इनामी नक्सली वासुदेव गंझू उर्फ प्रदीप गंझू ने गुरुवार को रांची के एसपी अनीश गुप्ता के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. वासुदेव गंझू झारखंड के लातेहार इलाके में आतंक का दूसरा नाम था.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें-अवैध कोयला ले जा रहे हाइवा को रामगढ़ पुलिस ने किया जब्त, मौके से फरार हुआ चालक

16 साल की उम्र में थाम लिया था हथियार

16 साल की उम्र में भाकपा माओवादियों की नीति से प्रभावित होकर साल 2003 में ही वासुदेव गंझू ने नक्सली संगठन को ज्वाइन कर लिया और 2013 तक कई बड़ी वारदातों को अंजाम दिया. हथियार ढोने वाले एक मामूली नक्सल कैडर से वासुदेव एरिया कमांडर के पद पर पहुंच गया. 2013 में भाकपा माओवादी संगठन में हुए विवाद के बाद उसने संगठन को छोड़ दिया और नक्सली संगठन टीपीसी ज्वाइन कर लिया. टीपीसी में उसे जोनल कमांडर का पद दिया गया. लातेहार के हेरहंज थाना क्षेत्र के रहने वाले वासुदेव के ऊपर लातेहार ,चंदवा, बालूमाथ, हेरहंज, मनिका और बालूमाथ थाने में 30 से अधिक मामले दर्ज हैं.

पुलिस के दबाव और आत्मसमर्पण नीति से प्रभावित होकर किया सरेंडर

आत्मसमर्पण करने के बाद वासुदेव ने बताया कि हाल के दिनों में पुलिस की बड़ी कार्रवाई की वजह से संगठन के लोगों में दहशत कायम हो गया था. पुलिस ने कार्रवाई करते हुए वासुदेव के घर की कुर्की जब्ती भी की थी. लगातार पुलिस के बढ़ते दबाव को देखते हुए वासुदेव के परिवार वालों ने समझाया कि वह यह गलत रास्ता छोड़कर मुख्यधारा से जुड़ जाए. जिसके बाद वह 6 महीना पहले ही संगठन छोड़कर फरार हो गया. इस बीच उसने एसपी अनीश गुप्ता से संपर्क साधा और आत्मसमर्पण करने की इच्छा जताई जिसके बाद उसे सुरक्षित रांची लाया गया जिसके बाद उसने आत्मसमर्पण कर दिया.

आत्मसमर्पण नीति के तहत मिले 5 लाख

आत्मसमर्पण करने के बाद वासुदेव को झारखंड सरकार के आत्मसमर्पण नीति के तहत 5 लाख रुपये तुरंत दिए गए. झारखंड सरकार के आत्मसमर्पण नीति के अनुसार जिस नक्सली कमांडर पर जितना इनाम घोषित है, अगर वह आत्मसमर्पण करता है तो वह इनाम की राशि उसे ही प्रदान की जाएगी.

रांचीः नक्सली संगठन टीपीसी के जोनल कमांडर और 5 लाख के इनामी नक्सली वासुदेव गंझू उर्फ प्रदीप गंझू ने गुरुवार को रांची के एसपी अनीश गुप्ता के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. वासुदेव गंझू झारखंड के लातेहार इलाके में आतंक का दूसरा नाम था.

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16 साल की उम्र में थाम लिया था हथियार

16 साल की उम्र में भाकपा माओवादियों की नीति से प्रभावित होकर साल 2003 में ही वासुदेव गंझू ने नक्सली संगठन को ज्वाइन कर लिया और 2013 तक कई बड़ी वारदातों को अंजाम दिया. हथियार ढोने वाले एक मामूली नक्सल कैडर से वासुदेव एरिया कमांडर के पद पर पहुंच गया. 2013 में भाकपा माओवादी संगठन में हुए विवाद के बाद उसने संगठन को छोड़ दिया और नक्सली संगठन टीपीसी ज्वाइन कर लिया. टीपीसी में उसे जोनल कमांडर का पद दिया गया. लातेहार के हेरहंज थाना क्षेत्र के रहने वाले वासुदेव के ऊपर लातेहार ,चंदवा, बालूमाथ, हेरहंज, मनिका और बालूमाथ थाने में 30 से अधिक मामले दर्ज हैं.

पुलिस के दबाव और आत्मसमर्पण नीति से प्रभावित होकर किया सरेंडर

आत्मसमर्पण करने के बाद वासुदेव ने बताया कि हाल के दिनों में पुलिस की बड़ी कार्रवाई की वजह से संगठन के लोगों में दहशत कायम हो गया था. पुलिस ने कार्रवाई करते हुए वासुदेव के घर की कुर्की जब्ती भी की थी. लगातार पुलिस के बढ़ते दबाव को देखते हुए वासुदेव के परिवार वालों ने समझाया कि वह यह गलत रास्ता छोड़कर मुख्यधारा से जुड़ जाए. जिसके बाद वह 6 महीना पहले ही संगठन छोड़कर फरार हो गया. इस बीच उसने एसपी अनीश गुप्ता से संपर्क साधा और आत्मसमर्पण करने की इच्छा जताई जिसके बाद उसे सुरक्षित रांची लाया गया जिसके बाद उसने आत्मसमर्पण कर दिया.

आत्मसमर्पण नीति के तहत मिले 5 लाख

आत्मसमर्पण करने के बाद वासुदेव को झारखंड सरकार के आत्मसमर्पण नीति के तहत 5 लाख रुपये तुरंत दिए गए. झारखंड सरकार के आत्मसमर्पण नीति के अनुसार जिस नक्सली कमांडर पर जितना इनाम घोषित है, अगर वह आत्मसमर्पण करता है तो वह इनाम की राशि उसे ही प्रदान की जाएगी.

Intro:नक्सली संगठन टीपीसी के जोनल कमांडर और 5 लाख के इनामी नक्सली वासुदेव गंझू उर्फ प्रदीप गंजू ने गुरुवार को रांची के सीनियर एसपी अनीश गुप्ता के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. वासुदेव गंझू झारखंड के लातेहार इलाके में आतंक का दूसरा नाम था.


16 साल की उम्र में थाम लिया था हथियार

16 साल की उम्र में भाकपा माओवादियों की नीति से प्रभावित होकर साल 2003 में ही वासुदेव गंजू ने नक्सली संगठन को ज्वाइन कर लिया और 2013 तक कई बड़ी वारदातों को अंजाम दिया. हथियार ढोने वाले एक मामूली नक्सल कैडर से वासुदेव एरिया कमांडर के पद पर पहुंच गया था लेकिन 2013 में भाकपा माओवादी संगठन में हुए विवाद के बाद उसने संगठन को छोड़ दिया और नक्सली संगठन टीपीसी ज्वाइन कर लिया. टीपीसी में उसे जोनल कमांडर का पद दिया गया. लातेहार के हेरहंज थाना क्षेत्र के रहने वाले वासुदेव के ऊपर लातेहार ,चंदवा, बालूमाथ ,हेरहंज , मनिका और बालूमाथ थाने में 30 से अधिक मामले दर्ज हैं.

बाइट - अनीश गुप्ता ,सीनियर एसपी ,रांची

पुलिस के दबाव और आत्मसमर्पण नीति से प्रभावित होकर किया सरेंडर
आत्मसमर्पण करने के बाद वासुदेव ने बताया कि हाल के दिनों में पुलिस की बड़ी कार्रवाई की वजह से संगठन के लोगों में दहशत कायम हो गया था. पुलिस ने कार्रवाई करते हुए वासुदेव के घर की कुर्की जब्ती भी की थी. लगातार पुलिस के बढ़ते दबाव को देखते हुए वासुदेव के परिवार वालों ने समझाया कि वह यह गलत रास्ता छोड़कर मुख्यधारा से जुड़ जाए ,जिसके बाद वह 6 महीना पहले ही संगठन छोड़कर फरार हो गया. इस बीच उसने रांची के सीनियर एसपी अनीश गुप्ता से संपर्क साधा और आत्मसमर्पण करने की इच्छा जताई जिसके बाद उसे सुरक्षित रांची लाया गया जिसके बाद उसने रांची के सीनियर एसपी के सामने आत्मसमर्पण कर दिया.

बाइट - वासुदेव उर्फ प्रदीप गंझू , आत्मसमर्पण करने वाला नक्सली

आत्मसमर्पण नीति के तहत मिले 5 लाख

आत्मसमर्पण करने के बाद वासुदेव को झारखंड सरकार के आत्मसमर्पण नीति के तहत 5 लाख रुपये तुरंत दिए गए. झारखंड सरकार के आत्मसमर्पण नीति के अनुसार जिस नक्सली कमांडर पर जितना इनाम घोषित है ,अगर वह आत्मसमर्पण करता है तो वह इनाम की राशि उसे ही प्रदान की जाएगी.








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