रांची: झारखंड के चतरा जिले के मगध-आम्रपाली कोल परियोजना में लेवी (रंगदारी) वसूली के लिए नक्सली संगठन तृतीय प्रस्तुति कमिटी यानी टीपीसी के नक्सली अलग-अलग गुटों में बंट गए हैं. मिली जानकारी के अनुसार टेरर फंडिंग मामले की जांच कर रही एनआईए के रडार पर होने के बावजूद टीपीसी नक्सली दोबारा कमेटी गठन कर लेवी वसूली में लग चुके हैं.
क्या है नक्सलियों की कमिटी
चतरा के मगध-आम्रपाली कोल परियोजना में पूर्व में विस्थापितों के नाम पर छह कमेटियां बनायी गई थी, वहीं एक कमेटी टीपीसी के शीर्ष नक्सलियों और उनके पनाहगारों की थी. इस कमेटी के जरिए साल 2018 तक कोल ट्रांसपोर्टरों से प्रति ट्रक 1200 रुपये की वसूली की जाती थी. झारखंड पुलिस को अब जो जानकारियां मिली है उसके मुताबिक, विस्थापितों के नाम पर फिर से कमेटियों का गठन किया जा रहा है. इन कमेटियों में जगह बनाने के लिए टीपीसी के भीतरखाने ही कई गुट सक्रिय हो गए हैं. वहीं पूर्व में लेवी के तौर पर जिस रकम की उगाही की गई थी उसके बंटवारे को लेकर भी बीते कुछ महीनों से विवाद शुरू हो चुका है. पूर्व में लेवी के जरिए वसूली गई राशि से कई नक्सलियों ने अचल संपत्ति में निवेश किया था, उसी पैसे से एके-47 जैसे हथियार की खरीद भी की गई थी. लेकिन अब संगठन में वर्चस्व बनाए रखने को लेकर टीपीसी के बीच गुटबाजी हो गई है. मामला सामने आने के बाद पुलिस मुख्यालय के स्तर पर चतरा पुलिस को पूरे मामले में टीपीसी की गतिविधियों पर नजर रखने और कार्रवाई का आदेश दिया गया है.
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प्रेमसागर मुंडा की हत्या के बाद बढ़ा विवाद
रांची के मोरहाबादी इलाके में टीपीसी से जुड़े प्रेमसागर मुंडा की हत्या कर दी गई थी. आशंका यह जतायी गई थी कि प्रेमसागर के पास संगठन के लेवी के 100 करोड़ रूपये का हिसाब था. तीन मार्च को मोरहाबादी में बाइकसवार अपराधियों ने प्रेमसागर की गोली मार कर हत्या कर दी थी. हालांकि प्रेमसागर की हत्या के बाद टीपीसी के एक गुट ने बयान जारी कर कहा था कि प्रेमसागर की हत्या में टीपीसी का कोई हाथ नहीं है. लेकिन जो सूचनाएं मिल रही हैं प्रेम सागर की हत्या के बाद पैसे को लेकर संगठन में विवाद चरम पर चल रहा है.
अब भी लेवी वसूली में पुराने नक्सली सक्रिय
कोल परियोजना में लेवी वसूली करने वाले सीसीएल के अधिकारियों, मिडिल मैन सुभान मियां समेत कई नक्सलियों की गिरफ्तारी एनआईए के द्वारा की गई थी. लेकिन अब जो सूचनाएं आ रही है, लेवी वसूली में अब भी वही लोग शामिल हैं जो एनआईए के रडार पर रहे हैं. एनआईए के फरार अभियुक्तों के परिजन ही अब भी कोल परियोजनाओं में सक्रिय हैं. बता दें कि इस मामले में अब तक ब्रजेश गंझू, आक्रमण, भीखन गंझू, मुकेश गंझू समेत अन्य नक्सलियों की तलाश एनआईए और राज्य पुलिस दोनों को है.