रांची: झारखंड में भाकपा माओवादियों (CPI Maoist) को कोयल शंख जोन में अब तक का सबसे बड़ा झटका लगा है. पुलिस और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ बुद्धेश्वर उरांव को मार गिराया है. बीते 20 सालों से भी अधिक समय से भाकपा माओवादी संगठन में रहकर चुनौती बने बुद्धेश्वर उरांव के खिलाफ 109 नक्सल कांड दर्ज थे. वह 38 हत्याओं का भी आरोपी था. पुलिस मुख्यालय (Police Headquarters) द्वारा जारी किए गए आंकड़े यह गवाही दे रहे हैं कि गुरुवार को झारखंड पुलिस में कितनी बड़ी सफलता हासिल की है.
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तीन दिन से चल रहा था अभियान, आखिरकार मिली सफलता
खूंखार माओवादी बुद्धेश्वर को भाकपा माओवादियों के रीजनल कमेटी के साथ साथ कोयल शंख जोन का सचिव भी बनाया गया था. बुद्धेश्वर के खिलाफ गुमला, लोहरदगा, लातेहार, सिमडेगा और गढ़वा जिले में 140 से अधिक नक्सल कांड दर्ज थे. बुद्धेश्वर के गुमला के कुरूमगढ़ के जंगल में छिपे होने की सूचना थी. जिसके बाद सुरक्षाबलों ने 13 जून से अभियान शुरू किया था. अभियान के पहले दिन आईईडी की चपेट में आने से श्वान द्रोण शहीद हो गया था, जबकि उनके हैंडलर को भी गंभीर चोटें आयी थीं. दूसरे दिन 14 जून को अभियान के दौरान ही सुरक्षाबलों की मदद के लिए आए ग्रामीण की भी मौत आईईडी की चपेट में आने से हो गई थी. गुरुवार की सुबह सुरक्षाबलों की टीम अभियान में ही थी, तभी माओवादियों ने फायरिंग की. जवाबी फायरिंग में बुद्धेश्वर मारा गया. पुलिस ने मौके से उसकी एके 47 समेत अन्य चीजें बरामद की हैं.
मानवाधिकार आयोग को भेजी गई जानकारी
झारखंड पुलिस मुख्यालय(Jharkhand Police Headquarters) के आईजी अभियान सह पुलिस प्रवक्ता अमोल वी होमकर ने बताया कि मुठभेड़ स्थल पर अग्रतर विधि सम्मत कार्रवाई की जा रही है. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के द्वारा जो भी दिशा निर्देश जारी किए गए हैं, उसके अनुसार ही मामले में कार्रवाई की जा रही है.
अबतक मारे गए हैं 5 ग्रामीण, 14 हुए हैं जख्मी
राज्य में भाकपा माओवादियों के द्वारा अपनी सुरक्षा के लिए कई जगहों पर आईईडी से घेराबंदी की गई है. माओवादियों की घेराबंदी के कारण अबतक राज्य भर में पांच ग्रामीणों की मौत हो चुकी है, जबकि अलग अलग घटनाओं में 14 ग्रामीण जख्मी भी हुए हैं.