रांची: बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में गठित आठ सदस्यीय समिति ने देश को काफी मजबूत राष्ट्रीय शिक्षा नीति – 2020 प्रारूप प्रतिवेदित किया है. देश की शिक्षा नीति में सुधार की जरूरत थी. इस नई शिक्षा नीति को लागू करने में बेहतर कार्यान्वयन के तरीकों पर ज्यादा चर्चा करने की जरूरत है. विश्वविद्यालय को वर्तमान व्यवस्था के तहत ज्यादा बेहतर करने की सोच के साथ बेहतरीन तरीके से लागू और कार्यान्वयन से बेहतरीन कृषि शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करनी होगी. उक्त बातें बीएयू कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर बौद्धिक विचार मंथन सत्र के अवसर पर कही.
कुलपति ने कहा कि समिति ने विस्तृत नई शिक्षा नीति देश को दी है. इसे कृषि जैसे उच्च शिक्षा के क्षेत्र में लागू करने में विस्तार से चर्चा और समीक्षा की आवश्यकता है ताकि इसके प्रभावी अनुपालन से कृषि में शिक्षा गुणात्मक सुधार लाया जा सके. इस मौके पर डीन एग्रीकल्चर डॉ एमएस यादव ने ग्रामीण छात्रों की आवश्यकता के अनुरूप कृषि शिक्षा को बढ़ावा देने, कृषि शिक्षा में सभी क्षेत्रों के गुणों का समावेश करने और वैश्विक परिवेश में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाते हुए कृषि शिक्षा के विस्तारीकरण पर जोर दिया.
डायरेक्टर रिसर्च डॉ अब्दुल वदूद ने प्राइमरी शिक्षा में कंप्यूटर और कैलकुलेटर के इस्तेमाल को वर्जित करने, अभिनव शोध के लिए सम्मान, कृषि शिक्षा में क्रेडिट सिस्टम से साथ रुचि के अनुसार म्यूजिक, आर्ट और क्राफ्ट कोर्स का समावेश और पाठ्यक्रम विषयों के व्यावहारिक समावेश के लिए राष्ट्रीय स्तर पर पाठ्यक्रम समिति बनाने की बात कही.
डीन फॉरेस्ट्री डॉ एमएच सिद्दीकी ने आईसीएआर की 5वीं डीन कमिटी के रिपोर्ट के मुताबिक पूरे देश में लागू कृषि शिक्षा मॉडल के आधार पर बहूउद्देशीय प्रावधानों को अपनाने की आवश्यकता जताई. डीन पीजी डॉ एमके गुप्ता ने कृषि, पशुपालन और वानिकी जैसे उच्च शिक्षा के क्षेत्र में क्वालिटी स्टूडेंट की कमी को बड़ी समस्या बताया. उन्होंने टीचिंग लोड में कमी करते हुए टीचर और स्टूडेंट के बीच बेहतर समझ के विकास को उच्च शिक्षा के लिए जरूरी बताया.
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एसोसिएट डीन बायोटेक्नोलॉजी डॉ जेडए हैदर ने कृषि शिक्षा के पाठ्यक्रमों में जैव प्रौद्योगिकी और मौसम में बदलाव के विषयों को शामिल करने और शिक्षा प्रणाली में परंपरागत देशज तकनीक को जोड़ने पर बल दिया. डायरेक्टर सीड एंड फार्म डॉ आरपी सिंह ने पुरानी शिक्षा नीति के कार्यान्वयन में देरी को विफलता बताया. उन्होंने नई शिक्षा नीति का तुरंत प्रभावी अनुपालन और बेसिक रिसर्च पर प्राथमिकता देने की बात कही. मौके पर डॉ जगरनाथ उरांव, डॉ एसके पाल, डॉ एस कर्मकार, डॉ नीरज कुमार और डॉ एचसी लाल ने भी अपने विचारों को रखा. स्वागत में डॉ बीके झा ने नई शिक्षा नीति के कृषि शिक्षा के बिंदुओं पर प्रकाश डाला.