रांचीः अच्छी शिक्षा और गांव की तस्वीर बदलने की चाहत अगर हो तो कैसे बदलाव दिखता है, इसका उदाहरण है रांची से करीब 15 किलोमीटर दूर नगरी प्रखंड का देवरी गांव. आज देवरी गांव किसी परिचय का मोहताज नहीं है. झारखंड में एलोवेरा विलेज (Aloe Vera Village) के नाम से पहचान बना चुके इस गांव में बदलाव की कहानी भी बहुत पुरानी नहीं है.
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खेती तो होती है, धान-गेहूं, साग-सब्जी समेत कई तरह की फसलें लगाई जाती है. आमदनी भी होती है, मगर लीक से हटकर कुछ किया जाए तो वो जरूर कामयाब होता है. ऐलोवेरा की बागवानी ऐसी की नई सोच का नतीजा है. जिसने देवरी गांव में खेती का नया आयाम दिया और लोगों को आमदनी का नया और बड़ा जरिया मिला. कैसे अर्थशास्त्र में ऑनर्स (Honors in Economics) की पढ़ाई करने के बाद मंजू कच्छप इस गांव की मुखिया बनीं और उसने चंद वर्षो में ही गांव की तस्वीर ही बदल दी.
कैसे मिली गांव को एलोवेरा विलेज बनाने की सोच
पंचायत ही नहीं बल्कि रांची और झारखंड में पहचान बना चुकीं मुखिया मंजू कच्छप (Mukhiya Manju Kachhap) ईटीवी भारत (Etv Bharat) से कहती हैं कि सरकारी योजनाओं और गली-नाली से गांव तो जगमग हो सकता है, पर हर घर तक खुशियां पहुंचे इसके लिए जरूरी था लोगों की आय बढ़ाना. धान गेंहू की खेती से पेट तो भर सकता है पर आमदनी नहीं हो पाती है. ऐसे में उन्होंने कुछ अलग करने की ठानी, बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (BAU) के वैज्ञानिकों से संपर्क किया. जिसके बाद गांव में कृषि वैज्ञानिक पहुंचने लगे, लोग एलोवेरा की खेती के लिए आगे आए, इसके लिए मंजू पहले खुद एलोवेरा की खेती शुरू कर दी.
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गांव में ही हो जाती है एलोवेरा की बिक्री
गांव में ही बड़े पैमाने पर एलोवेरा की खेती (Aloe Vera Cultivation) कर रहे बिरसा उरांव कहते हैं कि भले ही सब्जी-फल जैसा बाजार इसका नहीं लगता, पर एलोवेरा की मांग इतनी है कि 35 से 45 रुपये किलो की दर से गांव में ही आकर लोग खरीदकर ले जाते हैं.
दूसरे लोग भी हो रहे आकर्षित
यह शिक्षित महिला मुखिया की सोच से हुए बदलाव का ही नतीजा है कि दूसरे गांव की महिलांए भी देवरी गांव पहुंचकर एलोवेरा की ना सिर्फ खेती देख रहे हैं, बल्कि मन मे उठ रही शंकाओं का समाधान पाकर, ऐलोवेरा की खेती का मन बना रही हैं. देवरी गांव में एलोवेरा की खेती देखने पहुंचीं मेमिन देवी और रिखिमुखी देवी कहती हैं कि अब वह भी अपने खेतों में एलोवेरा की खेती करने की सोच रही हैं.
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शिक्षित मुखिया की उन्नत सोच का असर हर तरफ
अर्थशास्त्र में ग्रेजुएट आदिवासी महिला मुखिया जहां एलोवेरा की खेती के लिए गांव वालों को प्रेरित कर उनके माली हालत को ठीक कर रही हैं. दूसरी ओर सरकारी योजनाएं चाहे वह पेयजल की हो, गली नाली की हो या पंचायत भवन, स्कूल, जन संचय हर मामले में गांव बदलाव की कहानी बयां कर रही हैं.