रांची: महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने के लिए राज्य में महिला आयोग (Jharkhand State Commission for Women) का गठन किया गया था, लेकिन महिलाओं की मदद करने के लिए महिला आयोग उनका साथ नहीं दे पा रहा है, क्योंकि राज्य में नई सरकार गठन के लगभग 2 साल पूरे होने जा रहे हैं, लेकिन अभी तक राज्य के महिला आयोग में अध्यक्ष का चयन नहीं हो पाया है.
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साल 2020 के जून में झारखंड राज्य महिला आयोग के अध्यक्ष कल्यानी सरन का कार्यकाल समाप्त हो गया. उसके बाद से अध्यक्ष पद पर किसी का चयन नहीं हो पाया है. जिसके कारण अभी तक महिलाओं से जुड़ी राज्य में लगभग चार हजार केस पेंडिंग पड़े हैं. आयोग कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार स्पीड पोस्ट के माध्यम से 5 से 6 महिलाओं के साथ हिंसा और उनके मान सम्मान को ठेस पहुंचाने से जुड़े मामले प्रतिदिन पहुंच रहे हैं, लेकिन मामले का समाधान करने वाला कोई नहीं है.
4 हजार से अधिक मामले लंबित
आंकड़े के अनुसार पूर्व महिला आयोग अध्यक्ष कल्याणी सरन के कार्यकाल में कुल 4595 मामले दर्ज किए गए थे. जिसमें 2421 मामले का निष्पादन किया गया. वहीं 2374 मामले लंबित रह गए. उसके बाद धीरे-धीरे मामले बढ़ते गए और वर्तमान में लगभग चार हजार मामले लंबित पड़े हुए हैं. महिला आयोग के अध्यक्ष के चयन को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने जब समाज कल्याण मंत्री जोबा मांझी से बात की तो उन्होंने बताया कि जल्द से जल्द महिला आयोग के अध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी, ताकि आयोग का कार्यालय सुचारू रूप से चल सके और महिलाओं को न्याय मिल सके.
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एक साल से कर्मचारियों का वेतन लंबित
अध्यक्ष के चयन नहीं होने की वजह से सिर्फ महिलाओं की ही समस्या नहीं, बल्कि आयोग कार्यालय में काम कर रहे कर्मचारियों की भी हालत खराब है. आयोग कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार पूर्व अध्यक्ष कल्याणी शरण के जाने के बाद किसी भी कर्मचारी को वेतन नहीं मिल पा रहा है, क्योंकि आयोग में कार्यरत कर्मचारी को वेतन देने का अधिकार सिर्फ अध्यक्ष को ही है. वर्तमान में कुल 13 कर्मचारी आयोग कार्यालय में काम कर रहे हैं. जिसमें 2 संविदा पर हैं. वहीं 9 कर्मचारी दैनिक भोगी हैं और 2 कर्मचारी होमगार्ड के जवान हैं. अध्यक्ष का चयन नहीं होने के कारण सभी का वेतन पिछले एक साल से लंबित है.
विक्रमा राम को महिला आयोग अतिरिक्त प्रभार
राज्य सरकार के द्वारा कार्यालय चलाने के लिए फिलहाल राज्य स्तर के अधिकारी विक्रमा राम को अतिरिक्त प्रभार दिया गया है, लेकिन वह भी सिर्फ नाम मात्र ही कार्यालय में अपना समय दे पाते हैं.