रांची: छेड़खानी या ईव टीजिंग यह दो ऐसे शब्द हैं जिनसे कामकाजी महिलाएं हो या फिर स्कूल-कॉलेज जाने वाली छात्राएं भली भांति परिचित हैं. दरअसल वे कभी ना कभी इसका शिकार हो ही जाती हैं. हालांकि महिलाएं या लड़कियां थाने में तबतक रिपोर्ट दर्ज नहीं करवाती हैं जबतक मामला बहुत संगीन ना हो जाए. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि झारखंड के छोटे शहरों में छेड़खानी की घटनाएं ज्यादा होती हैं. हालांकि, इसमें सभी छोटे शहर शामिल नहीं है. कई ऐसे छोटे शहर भी हैं जहां 5 साल में एक भी छेड़खानी की घटनाएं सामने नहीं आई है. झारखंड का गिरिडीह जिला पिछले पांच सालों से छेड़खानी की घटनाओं में झारखंड में टॉप पर बना हुआ है.
गिरिडीह-धनबाद सबसे ज्यादा बदनाम: छेड़खानी के मामले में देश की कोयला राजधानी कहे जाने वाला धनबाद और माइका के लिए फेमस गिरिडीह में सबसे ज्यादा बदनाम हैं. आंकड़े बताते हैं कि साल 2017 में गिरिडीह में 351, 2018 में 505, 2019 में 184, 2020 में 282 और 2021 में 58 छेड़खानी की घटनाएं थानों में रिपोर्ट हुई. वहीं, धनबाद में 2017 में 118, 2018 में 99, 2019 में 91, 2020 में 116 और 2021 में 96 छेड़खानी की घटनाएं रिपोर्ट हुई हैं.
बड़े शहरों में कम रिपोर्ट होती हैं घटनाएं: सीआईडी के आंकड़ों के अनुसार अगर हम झारखंड में छेड़खानी की घटनाओं के पिछले 5 साल के आंकड़ों का लेखा जोखा करें तो एक हैरान कर देने वाली जानकारी सामने आती है. आमतौर पर झारखंड के बड़े शहरों में रांची और जमशेदपुर का नाम सामने आता है. यहां बहुत ज्यादा स्कूल कॉलेज और टेक्निकल संस्थान भी हैं. लेकिन इन सबके बावजूद इन शहरों में छेड़खानी की घटनाएं कम रिपोर्ट होती हैं. बड़े शहरों की तुलना में हर साल झारखंड के धनबाद, गिरिडीह, देवघर,गोड्डा, लातेहार जैसे शहरों में मामले ज्यादा रिपोर्ट होते हैं.
पांच सालों से गिरिडीह है पहले स्थान पर: झारखंड के गिरिडीह जिला पिछले पांच सालों से छेड़खानी की घटनाओं में राज्य भर में टॉप पर बना हुआ है. आकड़ों के अनुसार साल 2017 से लेकर 2021 के दिसंबर महीने तक राज्य भर में 6319 छेड़खानी के मामले सामने आए थे. इनमे से अकेले गिरिडीह से 1380 मामले थे. दूसरे नंबर पर धनबाद 490, तीसरे नंबर पर रांची 431, चौथे नंबर पर गढ़वा 311, पांचवे नंबर पर लातेहार 330 है. अगर आकड़ों की बात करें तो राजधानी रांची में भी हर साल औसतन 92 मामले अलग-अलग थानों में छेड़खानी के रिपोर्ट होते हैं.
सिमडेगा में शून्य है मामले: झारखंड के सिमडेगा जिले में पिछले पांच सालों में किसी भी थाने में कोई भी छेड़खानी का मामला दर्ज नहीं हुआ है. आंकड़े बताते है कि पांच सालों में यहां कोई छेड़खानी नही हुई है.
राज्य के दूसरे जिलों में क्या है पांच सालों की स्थिति: इसके अलावा रेल धनबाद में पांच सालों में 14, रेल जमशेदपुर में पांच सालों में 11, खूंटी जिले में पांच सालों में 25, लोहरदगा में 43, गुमला में 76, चाईबासा 113, सरायकेला 95, जमशेदपुर 299, पलामू 269, हजारीबाग 118, हजारीबाग 179, कोडरमा 179, चतरा 113, दुमका 149, बोकारो 158, जामताड़ा 59, पाकुड़ 75, रामगढ़ 201
2021 में अगर देवघर और गिरिडीह को छोड़ दे तो बाकी शहरों में छेड़खानी की घटनाओं में कमी आई है. लेकिन अगर आंकड़ो पर बात करें तो यह समझ आता है कि रांची, जमशेदपुर और बोकारो जैसे शहरों के बजाय गिरिडीह, धनबाद, गोड्डा, देवघर और गढ़वा जैसे शहरों में छेड़खानी की घटनाएं ज्यादा रिपोर्ट हो रही है. हालांकि इससे यह तय नहीं हो जाता है कि बड़े शहरों में छेड़खानी की घटनाएं कम हो रही हैं.
रांची वीमेंस कॉलेज के मनोविज्ञान के वरिष्ठ प्रोफेसर इंदिरा पाठक के अनुसार बड़े शहरों में भी ईव टीजिंग होती है, लड़कियों को इसका अक्सर सामना करना पड़ता है, लेकिन बड़े शहरों में करियर को देखते हुए लडकियां ईव टीजिंग को इग्नोर करती हैं. उन्हें यह पता है कि अगर घर मे लगातार ईव टीजिंग के मामलों को लेकर शिकायत की गई तो फिर मां-बाप शादी के बंधन में बांध करियर बनाने के रास्ते को ही बंद कर देंगे. इसलिए बड़े शहरों में ईव टीजिंग की रिपोर्टिंग थानों में कम होती है. वहीं अगर बात करे छोटे शहरों की तो वहां हर बात घरों तक पहुंचती है. कुछ मामले पंचायत में भी सुलझाए जाते हैं, लेकिन लड़कियां घरों तक मामलो की जानकारी देती हैं. जिससे थानों में रिपोर्ट पहुंचती है.
तीन साल तक है सजा का प्रावधान: झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता विनय पाठक के अनुसार छेड़छाड़ में अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा का प्रावधान किया गया है. आईपीसी की धारा-354 ए, 354 बी, 354 सी और 354 डी बनाया गया है. धारा 354 एक के चार पार्ट हैं. इसके तहत कानूनी व्याख्या की गई है कि अगर कोई शख्स किसी महिला के साथ सेक्सुआल नेचर का फिजिकल टच करता है या फिर ऐसा कंडक्ट दिखाता है जो सेक्सुअल कलर लिया हुआ हो तो 354 ए पार्ट 1 लगेगा. वहीं सेक्सुअल डिमांड करने पर पार्ट 2, मर्जी के खिलाफ पोर्न दिखाने पर पार्ट 3 और सेक्सुअल कलर वाले कंमेंट पर पार्ट 4 लगता है. 354 ए के पार्ट 4 में एक साल तक कैद जबकि बाकी तीनों पार्ट में 3 साल तक कैद की सजा का प्रावधान है. वहीं लड़की या महिला का पीछा करना और कॉन्टैक्ट करने का प्रयास यानी स्टॉकिंग के मामले में आईपीसी की धारा-354 डी के तहत केस दर्ज होगा और दोषी को तीन साल तक कैद हो सकती है.
थानों में सुलझाए जाते हैं मामले: झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता विनय पाठक के अनुसार छेड़छाड़ के अधिकतर मामले थानों में ही सुलझा लिए जाते हैं. पीआर बांड पर अक्सर इसे मैनेज कर लिया जाता है. खासकर जो पहली बार दोषी पाए जाते हैं उन्हें माफी मिल जाती है.
नशा और पारिवारिक वजह से छेड़खानी: रिनपास के वरीय मनोचिकित्सक डॉ सिद्दार्थ सिन्हा के अनुसार छोटे शहरों में लोग एक दूसरे को लगभग सभी पहचानते हैं. अगर कहीं छेड़खानी के मामले में आते हैं तो उनमें शामिल लड़के पहचान में आ जाते हैं. दूसरा ग्रामीण कस्बो में लड़के अपने दोस्तों में सबसे ज्यादा एक्टिव होने का दावा कर लड़कियों को छेड़ते हैं. ताकि वे अपने दोस्तों के बीच अपने साख दिखा सके. वहीं तीसरा नशे की वजह से भी यह मामले ज्यादा सामने आते है.