रांचीः सेवा स्थायीकरण और नियमित वेतनमान की मांग को लेकर सैकड़ों की संख्या में मनरेगाकर्मी शुक्रवार को राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के आवास का घेराव किया. आंदोलित मनरेगाकर्मियों का आरोप है कि चुनाव से पहले सरकार के मुखिया हेमंत सोरेन और महागठबंधन के दलों ने यह वादा किया था कि सरकार बनने पर उनकी समस्याओं को दूर किया जाएगा, पर सत्ता में आने के बाद सरकार अपने वादे से दूर हो गई है. इसीलिए हजारों की संख्या में मनरेगाकर्मी अपने विभागीय मंत्री को उनका वादा याद दिलाने आए हैं.
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झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष जॉन पीटर बागे ने कहा कि मनरेगाकर्मी वर्षों से लगातार राज्य के विकास और बेरोजगारों को रोजगार देने में अपनी भूमिका निभाता रहा है. लेकिन अब तक की सभी सरकारों ने मनरेगाकर्मियों को सिर्फ ठगने का ही काम किया है, इसलिए अब मनरेगा कर्मी आर-पार की लड़ाई के लिए तैयार हैं.
हेमंत सोरेन ने चुनाव पूर्व किया था वादा
मनरेगाकर्मियों ने कहा कि वर्तमान सरकार के मुखिया हेमंत सोरेन ने चुनाव के समय उनको वेतनमान और सेवा स्थायी करने का वचन दिया था. लेकिन सत्ता में आए डेढ़ साल से ज्यादा समय बीत जाने के बावजूद मनरेगाकर्मियों के हित के लिए सरकार एक कदम भी आगे नहीं बढ़ी है.
मनरेगाकर्मियों ने कहा कि राज्य में महंगाई चरम पर है लेकिन उन्हें वही मानदेय मिल रहा है जो 10 वर्ष पहले मिलता था. ऐसे में अगर सरकार को मनरेगाकर्मियों के लिए मानदेय नहीं बनाना है तो उसके लिए सस्ती राशन की दुकान खोल दे. जहां वह अपने 10 हजार रुपया मानदेय में 15 रुपया किलो चावल, 10 रुपया किलो गेहूं, और 30 रुपया लीटर दूध खरीद सके.
रांची में नहीं है मंत्री आलमगीर आलम
राज्यभर के मनरेगाकर्मी ग्रामीण विकास मंत्री का आवास घेरने के लिए रांची पहुंचे हैं. लेकिन मंत्री आलमगीर आलम अपने आवास पर मौजूद नहीं है. मिली जानकारी के अनुसार मंत्री आलमगीर आलम अपने गृह क्षेत्र पाकुड़ में हैं.