रांची: झारखंड विधानसभा में सरकार को अलग-अलग मुद्दों पर आईना दिखाने वाले भाकपा माले के इकलौते विधायक विनोद सिंह ने राज्य सरकार से प्रवासी मजदूरों को लेकर किए जा रहे उपाय पर सवाल खड़े किए हैं. गिरिडीह जिले के बगोदर विधानसभा से तीसरी बार विधायक बने विनोद सिंह ने राज्य की ब्यूरोक्रेसी पर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि जो अफसर झारखंड में 'हाथी' उड़ा देते हैं वह इस संकट में मुख्यमंत्री को नियमों में क्यों उलझाते हैं.
अपने ट्विटर अकाउंट पर भाकपा माले विधायक ने साफ लिखा है कि जिस नियम से हाथी उड़ाया उसी नियम से गरीबों की मदद करें. इतना ही नहीं शुक्रवार को उन्होंने कई ट्वीट किए हैं. उनमें उन्होंने साफ लिखा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन झारखंड के प्रवासी मजदूरों और रोजी-रोटी से वंचित लोगों को तत्काल 5000 रुपए भेजें. उन्होंने लिखा है कि नियम नहीं हो तो बन भी सकते हैं.
बिहार और दिल्ली सरकार का दिया उदाहरण
उन्होंने इसके लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पड़ोसी राज्य बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रावधानों का उल्लेख किया है. इतना ही नहीं उन्होंने राज्य के पूर्व खाद्य, आपूर्ति एवं सार्वजनिक वितरण मामले के मंत्री और वर्तमान में निर्दलीय विधायक सरयू राय का भी हवाला दिया है. उन्होंने अपने दूसरे ट्वीट में लिखा है कि सरयू राय ने डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर पर स्टडी की है. झारखंड में हाथी उड़ाने वाले अफसर उनसे विमर्श करें या अरविंद केजरीवाल या नीतीश कुमार से नियम मंगा कर अध्यादेश जारी करें.
बड़े फैसले का है समय
उन्होंने मुख्यमंत्री को संबोधित करते हुए कहा कि बड़े फैसले का वक्त है. इतना ही नहीं शुक्रवार को उन्होंने मुख्यमंत्री के नाम एक पत्र भी भेजा है, जिसमें उन्होंने साफ लिखा है कि सबसे ज्यादा संकट में राज्य के प्रवासी मजदूर गुजर रहे हैं. तमाम हेल्पलाइन और संबंधित राज्य सरकारों से संवाद के बावजूद मुंबई, सूरत, मंगलोर, बेंगलुरु, चेन्नई समेत अन्य राज्यों में फंसे झारखंडी को बहुत दिक्कत हो रही है. वैसे मजदूर बाहर परेशान हैं. लॉकडाउन खत्म होने के बाद सबसे पहले घर आना चाहेंगे. ऐसे में आर्थिक कारण बाधा उत्पन्न करेगी. उन्हें सबसे ज्यादा आर्थिक सहयोग की जरूरत है.
आंकड़ों के लिए ले एजेंसियों की मदद
भाकपा माले विधायक ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि झारखंड सरकार भी प्रवासी मजदूरों के खाते में प्रति व्यक्ति न्यूनतम 5000 रुपए के दर से उन्हें डीबीटी करें. सिंह ने यह भी कहा कि हेल्पलाइन में जो आंकड़े दर्ज हैं, शुरुआत उससे हो सकती है. इसके साथ ही इसके लिए ग्राम पंचायत सचिवालय या अन्य को भी इस काम में लगाया जा सकता है. उन्होंने अपने विधायक कोष की भी राशि ट्रांसफर करने के लिए अनुशंसा की है.
मुख्यमंत्री के ट्वीट के अनुसार, झारखंड सरकार के हेल्पलाइन पर पिछले 6 दिन में 16,000 से अधिक फोन कॉल आए हैं और सरकार के हिसाब से 6,00,000 से अधिक झारखंड से बाहर फंसे लोगों को मदद पहुंचाई गई है.
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तीन टर्म एमएलए
भाकपा माले विधायक विनोद सिंह का झारखंड विधानसभा में यह तीसरा टर्म है. इससे पहले वह 2005 और 2009 में भी बगोदर से विधायक बने थे. उनके पिता महेंद्र सिंह भी उस इलाके से 3 टर्म विधायक रह चुके हैं. अपनी सादगी और सरलता के लिए मशहूर महेंद्र सिंह 1990, 1995 और 2000 में बगोदर विधानसभा इलाके से विधायक बने थे. 2005 में उग्रवादियों ने उनकी हत्या कर दी, जिसके बाद उनके बेटे विनोद सिंह ने वहां से चुनाव लड़ा और जीता था.