रांची: झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डॉ रामेश्वर उरांव ने राष्ट्र निर्माण की अपनी महान विरासत कांग्रेस की श्रृंखला धरोहर की नौवीं वीडियो को शनिवार को अपने सोशल मीडिया पर जारी पोस्ट को शेयर किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि कांग्रेस की अगुवाई में देश की आवाज बनने से लेकर कई प्रस्तावों को स्वीकार करवाने, बंगाल विभाजन को रद्द करवाने जैसी बड़ी सफलताओं ने आजादी के आंदोलन को नई दिशा दी.
देश का लगभग हर बड़ा आंदोलनकारी कांग्रेस के मंच से जुड़कर आजादी की आवाज बुलंद कर रहा था. सफलता की उन्हीं मजबूत दिनों के बीच 1912 का बांकीपुर अधिवेशन संपन्न हुआ. उन्होंने कहा कि इसी अधिवेशन में पहली बार एक डेलीगेट के रूप में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने हिस्सा लिया. 1913 का कराची अधिवेशन भारत में एकता और सद्भाव के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण साबित हुआ. बंगाल विभाजन के साजिश के बीच दोनों समुदायों के लोग यह समझ चुके थे कि देश का शत्रु एक ही है और वह ब्रिटिश हुकूमत थी, जिसकी लाठी और गोलियां धर्म देखकर किसी को नहीं छोड़ती हैं. इसी अधिवेशन में बाकायदा संप्रदायिक सद्भाव और साझी लड़ाई का एक प्रस्ताव पारित किया गया. ताकि अंग्रेजों का विभाजनकारी एजेंडा सफल ना हो सके.
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कांग्रेस विधायक दल नेता आलमगीर आलम ने कहा कि हम देख सकते हैं कि आजादी के आंदोलन में कांग्रेस की मजबूती देश और जनता की ताकत बन रही थी. अंग्रेज भी जानते थे कि कांग्रेस के मजबूत होने का मतलब है. भारत को ताकत मिलना और ब्रिटिश हुकूमत की नींव कमजोर होना और ब्रिटिश हुकूमत की इस नींव को खोखला करने के लिए इसी 1915 साल की कड़कड़ाती ठंड में आजादी का महान नायक भारत की क्षितिज पर आ चुका था और बहुत जल्द देश का भविष्य बदलने वाला था. उन्होंने कहा कि बलिदान और संघर्ष के बल पर मिली देश की आजादी को हर कीमत पर बरकरार रखना हमारा कर्त्तव्य है.
वहीं कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे, लाल किशोरनाथ शाहदेव और राजेश गुप्ता छोटू ने कहा कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा धरोहर वीडियो कड़ी में हम देख रहे हैं कि किस तरह से 1912 से 1915 के बीच कांग्रेस के अधिवेशन के माध्यम से जमीन पर उतर कर अंग्रेजों के दांत खट्टे करने का काम किया गया. फूट डालो राज करो कि अंग्रेज की नीति को देश की जनता ने एकजुटता के साथ करारा जवाब दिया और आज भी कांग्रेस उसी मार्ग पर देश को आगे लेकर बढ़ने का काम कर रही है.