रांची: झारखंड में सियासी हलचल के बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने आवास पर विधायकों और मंत्रियों की बैठक बुलाई है (Meeting at Hemant Soren residence). इस बैठक महागठबंधन के नेता शामिल हुए. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की चुनाव आयोग की अनुशंसा के बाद शुक्रवार को झारखंड के राजभवन की ओर से कोई आदेश जारी नहीं हुआ. इस बीच सीएम हाउस में आयोजित यूपीए के विधायकों ने हेमंत सोरेन के नेतृत्व और गठबंधन सरकार के प्रति एकजुटता प्रदर्शित की है. माना जा रहा है कि बैठक में आगे की रणनीति पर चर्चा हुई है. बैठक के बाद विधायकों में एक सुर में कहा ऑल इज वेल. उन्होंने ये भी जानकारी दी कि शनिवार सुबह 11 बजे एक बार फिर से बैठक होगी.
सीएम आवास पर देर शाम हुई बैठक से पहले भी शुक्रवार सुबह को सीएम आवास पर बैठ हुई थी. जिसके बाद विधायकों ने मीडिया से कहा कि राज्य में किसी तरह का सियासी संकट नहीं है. हम हर परिस्थिति के लिए तैयार हैं. हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार हर हाल में चलती रहेगी. बैठक के बाद सीएम हेमंत सोरेन नेतरहाट में आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए रवाना हो गये. इस बीच भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने ट्वीट करते हुए दावा किया कि यूपीए के विधायकों को छत्तीसगढ़ ले जाया जा रहा है, लेकिन सरकार के मंत्रियों और विधायकों ने इसे सिरे से खारिज कर दिया.
राज्य के आदिवासी कल्याण मंत्री चंपई सोरेन ने कहा कि हेमंत सोरेन हमारे नेता हैं और आगे भी बने रहेंगे, इसमें कोई संदेह नहीं है. शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने भी कहा है कि सरकार पर न तो कोई खतरा है और न ही मुख्यमंत्री बदलने जा रहे हैं. कांग्रेस विधायक शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि वर्तमान हालात को राजनीतिक संकट नहीं कहा जा सकता. निर्वाचन आयोग से क्या अनुशंसा आई है और उस पर राज्यपाल का क्या निर्णय आता है, हम सभी को उसका इंतजार करना चाहिए, जो भी आदेश आता है, उसके हिसाब से गठबंधन के पास प्लान ए, बी, सी है.
झारखंड मुक्ति मोर्चा कोर कमेटी के सदस्य सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि लोकतंत्र में सरकार जन समर्थन से चलती है. हेमंत सोरेन को 50 विधायकों का समर्थन हासिल है. उन्होंने यहां तक दावा किया के भाजपा के भी 16 विधायक हमारे संपर्क में हैं. जब उनसे पूछा गया कि इसका आधार क्या है? तो उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी के प्रति उनकी आस्था है. उन्होंने कहा कि हमलोग पूरी तरह इंटैक्ट हैं.