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आशा लकड़ा ने डीसी पर मेयर पद की गरिमा को ठेस पहुंचाने का लगाया आरोप, कहा- डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत अधिकारों का हुआ है हनन

रांची की मेयर आशा लकड़ा ने उपायुक्त राय महिमापत रे पर मेयर पद की गरिमा को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया है. मेयर ने कहा कि कोरोना वायरस को लेकर निर्णय खुद उपायुक्त ले रहे हैं. इसको लेकर उपायुक्त को दो बार पत्र भी लिखा गया है.

Mayor Asha Lakra accused DC of Ranchi
मेयर आशा लकड़ा
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Published : Jun 7, 2020, 1:50 AM IST

रांची: शहर की मेयर आशा लकड़ा ने कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए जिला आपदा प्रबंधन एक्ट के तहत उपायुक्त राय महिमापत रे के द्वारा हमेशा खुद निर्णय लिए जाने पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा है कि उनकी अध्यक्षता में डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी की एक भी बैठक नहीं की गई है. डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट की धारा 25/2 के तहत स्थानीय निर्वाचित चेयर पर्सन होने के नाते मेयर कमिटी के सह अध्यक्ष हैं. ऐसे में उपायुक्त के हर निर्णय में उनकी सहमति भी जरूरी है. उपायुक्त ने गंभीर स्थिति में खुद निर्णय लेकर मेयर पद की गरिमा को ठेस पहुंचाया है. इसके साथ ही नगरपालिका अधिनियम और डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत मेयर को दिए गए अधिकारों का हनन किया गया है.

'उपायुक्त को दो बार लिखा गया पत्र'

उन्होंने कहा है कि इस संबंध में रांची उपायुक्त को दो बार पत्राचार किया गया, लेकिन सरकार के दबाव में डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत बैठक नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा है कि बैठक इसलिए नहीं किया जा रहा है, क्योंकि इससे राज्य सरकार और प्रशासन की तैयारियों की पोल खुल जाएगी. उन्होंने कहा है कि उपायुक्त ने डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट को दरकिनार कर हमेशा खुद निर्णय लिया है. शहर में वर्तमान में कोरोना वायरस मरीजों की संख्या खत्म नहीं हुई है. रेड जोन से ऑरेंज जोन में आने के बाद उपायुक्त ने हिंदपीढ़ी क्षेत्र को सील मुक्त करने का निर्णय भी खुद लिया. सील मुक्त करने से पहले उन्होंने हिंदपीढ़ी क्षेत्र में की गई जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक भी नहीं किया है. ऐसे में हिंदपीढ़ी मामले में डिजास्टर अथॉरिटी की बैठक बुलाकर सभी की सहमति के बाद निर्णय लिया जाता तो आने वाले समय में शहर कोरोना वायरस के संक्रमण से सुरक्षित हो सकता था.

'शहर की स्थिति भयानक'

मेयर ने कहा कि शहर की स्थिति भयावह बनी हुई है. कहीं भी मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो रहा है. सभी हाट बाजार पूरी तरह से खोल दिए गए हैं. लोग निश्चिंत होकर पहले की तरह सामान्य रूप से घूम रहे हैं. ऑटो रिक्शा भी चलाए जाने का प्रशासन के द्वारा आदेश दिया गया है, लेकिन भाड़ा तय नहीं किया गया है, जिससे आम लोगों और ऑटो वालों के बीच असमंजस की स्थिति बनी हुई है. इसकी वजह से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

ये भी पढ़ें: राज्यसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज, मंत्री और राज्यसभा सांसद ने किया जीत का दावा

'हिंदपीढ़ी में अब भी संक्रमण बरकरार'

उन्होंने कहा है कि हिंदपीढ़ी और रांची के क्षेत्र में लगातार कोरोना पॉजिटिव मरीज मिलने की पुष्टि हो रही है. जिस क्षेत्र से संक्रमित मरीज मिल रहे हैं. उन सभी क्षेत्रों के आसपास के मोहल्लों को सील किया जाना चाहिए. संक्रमित के संपर्क में आने वालों की कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग भी की जानी चाहिए. संपर्क में आए लोगों का सैंपल जांच कराया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि कोरोना पॉजिटिव का सबसे पहला मामला हिंदपीढ़ी से मिला था, जिसके बाद लगातार पॉजिटिव मरीज मिल रहे थे. हालांकि, कुछ दिनों से सही पैमाने पर जांच नहीं होने के कारण संक्रमित नहीं मिल रहे हैं. गुरुवार को मिला मरीज इस बात की गवाही दे रहा है कि हिंदपीढ़ी में अब भी संक्रमण बरकरार है.

रांची: शहर की मेयर आशा लकड़ा ने कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए जिला आपदा प्रबंधन एक्ट के तहत उपायुक्त राय महिमापत रे के द्वारा हमेशा खुद निर्णय लिए जाने पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा है कि उनकी अध्यक्षता में डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी की एक भी बैठक नहीं की गई है. डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट की धारा 25/2 के तहत स्थानीय निर्वाचित चेयर पर्सन होने के नाते मेयर कमिटी के सह अध्यक्ष हैं. ऐसे में उपायुक्त के हर निर्णय में उनकी सहमति भी जरूरी है. उपायुक्त ने गंभीर स्थिति में खुद निर्णय लेकर मेयर पद की गरिमा को ठेस पहुंचाया है. इसके साथ ही नगरपालिका अधिनियम और डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत मेयर को दिए गए अधिकारों का हनन किया गया है.

'उपायुक्त को दो बार लिखा गया पत्र'

उन्होंने कहा है कि इस संबंध में रांची उपायुक्त को दो बार पत्राचार किया गया, लेकिन सरकार के दबाव में डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत बैठक नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा है कि बैठक इसलिए नहीं किया जा रहा है, क्योंकि इससे राज्य सरकार और प्रशासन की तैयारियों की पोल खुल जाएगी. उन्होंने कहा है कि उपायुक्त ने डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट को दरकिनार कर हमेशा खुद निर्णय लिया है. शहर में वर्तमान में कोरोना वायरस मरीजों की संख्या खत्म नहीं हुई है. रेड जोन से ऑरेंज जोन में आने के बाद उपायुक्त ने हिंदपीढ़ी क्षेत्र को सील मुक्त करने का निर्णय भी खुद लिया. सील मुक्त करने से पहले उन्होंने हिंदपीढ़ी क्षेत्र में की गई जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक भी नहीं किया है. ऐसे में हिंदपीढ़ी मामले में डिजास्टर अथॉरिटी की बैठक बुलाकर सभी की सहमति के बाद निर्णय लिया जाता तो आने वाले समय में शहर कोरोना वायरस के संक्रमण से सुरक्षित हो सकता था.

'शहर की स्थिति भयानक'

मेयर ने कहा कि शहर की स्थिति भयावह बनी हुई है. कहीं भी मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो रहा है. सभी हाट बाजार पूरी तरह से खोल दिए गए हैं. लोग निश्चिंत होकर पहले की तरह सामान्य रूप से घूम रहे हैं. ऑटो रिक्शा भी चलाए जाने का प्रशासन के द्वारा आदेश दिया गया है, लेकिन भाड़ा तय नहीं किया गया है, जिससे आम लोगों और ऑटो वालों के बीच असमंजस की स्थिति बनी हुई है. इसकी वजह से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

ये भी पढ़ें: राज्यसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज, मंत्री और राज्यसभा सांसद ने किया जीत का दावा

'हिंदपीढ़ी में अब भी संक्रमण बरकरार'

उन्होंने कहा है कि हिंदपीढ़ी और रांची के क्षेत्र में लगातार कोरोना पॉजिटिव मरीज मिलने की पुष्टि हो रही है. जिस क्षेत्र से संक्रमित मरीज मिल रहे हैं. उन सभी क्षेत्रों के आसपास के मोहल्लों को सील किया जाना चाहिए. संक्रमित के संपर्क में आने वालों की कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग भी की जानी चाहिए. संपर्क में आए लोगों का सैंपल जांच कराया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि कोरोना पॉजिटिव का सबसे पहला मामला हिंदपीढ़ी से मिला था, जिसके बाद लगातार पॉजिटिव मरीज मिल रहे थे. हालांकि, कुछ दिनों से सही पैमाने पर जांच नहीं होने के कारण संक्रमित नहीं मिल रहे हैं. गुरुवार को मिला मरीज इस बात की गवाही दे रहा है कि हिंदपीढ़ी में अब भी संक्रमण बरकरार है.

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