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बीजेपी विधायक समरी लाल को फर्जी विधायक बताने का मामला पहुंचा राज्यपाल के पास, पार्टी ने की लिखित शिकायत

बीजेपी विधायक समरी लाल को फर्जी विधायक बताने का मामला राज्यपाल के समक्ष पहुंचा है. सोमवार को विधायक अमर कुमार बाउरी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिला और न्याय की गुहार लगाई.

BJP MLA Samri Lal
बीजेपी विधायक समरी लाल को फर्जी विधायक बताये जाने का मामला पहुंचा राज्यपाल के समक्ष
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Published : Oct 17, 2022, 7:59 PM IST

रांचीः भारतीय जनता पार्टी एससी मोर्चा ने राज्य सरकार पर दलितों को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है. सोमवार को पूर्व मंत्री अमर बाउरी के नेतृत्व में राज्यपाल से गुहार लगाने पहुंचे बीजेपी नेताओं ने कहा कि कांके विधायक समरीलाल को जिस तरह से विशेष सत्र के दौरान विधानसभा में फर्जी विधायक बताया गया, वह किसी प्रताड़ना से कम नहीं है.

यह भी पढ़ेंः विधायक समरी लाल ने जाति प्रमाण पत्र मामले को HC में दी चुनौती, कास्ट स्क्रूटनी कमेटी ने सर्टिफिकेट पाया था गलत

बीजेपी नेताओं ने कई दलित उत्पीड़न की घटना का उदाहरण देते हुए हेमंत सरकार पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाया. राज्यपाल से मिलने के बाद अमर बाउरी ने कहा कि जिस तरह से मुख्यमंत्री ने सदन के अंदर एक निर्वाचित विधायक को अपमानित किया, वह दलित प्रताड़ना का चरम है. उन्होंने कहा कि समरी लाल को अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया और सरकार ने आनन फानन में उनके जाति प्रमाण पत्र को अवैध बता दिया. राज्यपाल से इस संबंध में आग्रह किया गया है कि सरकार के इस कदम पर संज्ञान लेकर उचित कारवाई करें.

क्या कहते हैं बीजेपी नेता

विधायक समरी लाल ने कहा कि जिस तरह मुख्यमंत्री ने विशेष सत्र के दौरान फर्जी विधायक बताया, वह उचित नहीं है. उंगली दिखा दिखा कर जिस तरह से मुख्यमंत्री दलित के बेटा को विधानसभा में फर्जी बताता है, वह कैसे उचित हो सकता है. समरीलाल ने झारखंड कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर पर निशाना साधते हुए कहा कि चमचागिरी करके अध्यक्ष बने हैं. हम उन्हें विद्यार्थी जीवन से ही जानते हैं. राजेश ठाकुर सामंतवादी विचारधारा के हैं और दलितों के साथ अन्याय करते रहे हैं. विद्यार्थी जीवन में ही यदि उनसे आगे कोई दलित बैठ जाता था तो वह बोलते थे कि एक दलित कैसे अगली पंक्ति में बैठ गया है.

कांके विधायक समरी लाल का जाति प्रमाण से जुड़ा मामला है. इसको लेकर सुरेश बैठा ने शिकायत की थी. कांके सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. सुरेश बैठा की शिकायत पर जाति छानबीन समिति ने राज्य सरकार की ओर से निर्गत अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र रद्द कर दिया था. जांच में समिति ने पाया था कि समरी लाल झारखंड के स्थायी निवासी नहीं हैं. वह अपने पिता के साथ राजस्थान से माइग्रेट होकर झारखंड बसे हैं. विधायक समरी लाल के मामले में राज्यपाल से जल्द कार्रवाई करने की मांग को लेकर पिछले दिनों सत्तारूढ़ गठबंधन ने ज्ञापन सौंपा था.

रांचीः भारतीय जनता पार्टी एससी मोर्चा ने राज्य सरकार पर दलितों को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है. सोमवार को पूर्व मंत्री अमर बाउरी के नेतृत्व में राज्यपाल से गुहार लगाने पहुंचे बीजेपी नेताओं ने कहा कि कांके विधायक समरीलाल को जिस तरह से विशेष सत्र के दौरान विधानसभा में फर्जी विधायक बताया गया, वह किसी प्रताड़ना से कम नहीं है.

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बीजेपी नेताओं ने कई दलित उत्पीड़न की घटना का उदाहरण देते हुए हेमंत सरकार पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाया. राज्यपाल से मिलने के बाद अमर बाउरी ने कहा कि जिस तरह से मुख्यमंत्री ने सदन के अंदर एक निर्वाचित विधायक को अपमानित किया, वह दलित प्रताड़ना का चरम है. उन्होंने कहा कि समरी लाल को अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया और सरकार ने आनन फानन में उनके जाति प्रमाण पत्र को अवैध बता दिया. राज्यपाल से इस संबंध में आग्रह किया गया है कि सरकार के इस कदम पर संज्ञान लेकर उचित कारवाई करें.

क्या कहते हैं बीजेपी नेता

विधायक समरी लाल ने कहा कि जिस तरह मुख्यमंत्री ने विशेष सत्र के दौरान फर्जी विधायक बताया, वह उचित नहीं है. उंगली दिखा दिखा कर जिस तरह से मुख्यमंत्री दलित के बेटा को विधानसभा में फर्जी बताता है, वह कैसे उचित हो सकता है. समरीलाल ने झारखंड कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर पर निशाना साधते हुए कहा कि चमचागिरी करके अध्यक्ष बने हैं. हम उन्हें विद्यार्थी जीवन से ही जानते हैं. राजेश ठाकुर सामंतवादी विचारधारा के हैं और दलितों के साथ अन्याय करते रहे हैं. विद्यार्थी जीवन में ही यदि उनसे आगे कोई दलित बैठ जाता था तो वह बोलते थे कि एक दलित कैसे अगली पंक्ति में बैठ गया है.

कांके विधायक समरी लाल का जाति प्रमाण से जुड़ा मामला है. इसको लेकर सुरेश बैठा ने शिकायत की थी. कांके सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. सुरेश बैठा की शिकायत पर जाति छानबीन समिति ने राज्य सरकार की ओर से निर्गत अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र रद्द कर दिया था. जांच में समिति ने पाया था कि समरी लाल झारखंड के स्थायी निवासी नहीं हैं. वह अपने पिता के साथ राजस्थान से माइग्रेट होकर झारखंड बसे हैं. विधायक समरी लाल के मामले में राज्यपाल से जल्द कार्रवाई करने की मांग को लेकर पिछले दिनों सत्तारूढ़ गठबंधन ने ज्ञापन सौंपा था.

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