रांची: मातृ मृत्यु अनुपात (MMR) को कम करने में देशभर में झारखंड ने 2017-19 के बीच उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है. इस दौरान झारखंड में प्रति एक लाख लाइव बर्थ पर 61 माताओं की मौत हुई है जबकि वर्ष 2017 से पहले यह 71 मौत प्रति एक लाख बर्थ था.
भारत सरकार द्वारा मेटरनल मोर्टेलिटी इन इंडिया पर जारी स्पेशल बुलेटिन (2017-19) के अनुसार झारखंड में मातृ मृत्यु अनुपात में करीब 14 प्रतिशत की कमी आयी है. 2017 के पहले जहां प्रत्येक एक लाख में 71 माताओं की मौत हो जाती थी जो 2019 में यह अनुपात घटकर 61 पर आ गई है. आफिस ऑफ रजिस्ट्रार जेनरल, भारत सरकार द्वारा जारी स्पेशल बुलेटिन मेटरनल मोर्टेलिटी इन इंडिया (2017-19) के अनुसार वर्ष 2014-16 में राष्ट्रीय स्तर पर मातृ मृत्यु अनुपात 130 था जो वर्ष 2015-17 में घटकर 122, वर्ष 2016-18 में 113 और 2017-19 में घटकर 103 पर आ गया है.
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विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार गर्भवस्था के दौरान या प्रसव के बाद 42 दिनों की अवधि में महिलाओं की होने वाली मौत को मातृ मृत्यु के रूप में माना जाता है. इस अवधि में होने वाली मौत के आंकड़ों को मातृत्व मृत्यु अनुपात (एमएमआर) में शामिल किया जाता है. आंकड़े बताते हैं कि देश में 2017-19 में जहां MMR 103 प्रति एक लाख लाइव बर्थ है, तो मातृ मृत्यु दर 6.5% है तो इस दौरान झारखंड में MMR 61 प्रति एक लाख लाइव बर्थ था जबकि MMR 4.7% है, राज्य के ये आंकड़े राष्ट्रीय औसत से बेहतर है.