रांची: झारखंड प्रदेश कांग्रेस के तीन पूर्व प्रदेश अध्यक्ष समेत एक विधायक ने विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही एक के बाद एक हाथ का साथ छोड़ दूसरे राजनीतिक दल का दामन थाम लिया है. ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि क्या आरपीएन सिंह का प्रदेश प्रभारी बनने के बाद ये हालात उत्पन्न हुए है. क्योंकि पिछले ढाई सालों में आरपीएन सिंह के नेतृत्व में ही उपचुनाव और लोकसभा चुनाव पार्टी ने लड़ा है और आगामी विधानसभा चुनाव में भी प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह ही नेतृत्वकर्ता है.
कई दिग्गजों ने छोड़ी कांग्रेस
आलम यह है कि प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष डॉ अजय कुमार ने लोकसभा चुनाव में हार की नैतिक जिम्मेदारी लेने के बाद इस्तीफा दे दिया था और आम आदमी पार्टी का दामन थामा. तो वहीं विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत और विधायक मनोज यादव ने पार्टी को अलविदा कह बीजेपी का दामन थाम लिया और अब बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. तो वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में शुमार प्रदीप बालमुचू भी कांग्रेस पार्टी का साथ छोड़ आजसू में शामिल हो गए हैं. ऐसे में तीन पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और एक विधायक का पार्टी छोड़ना झारखंड प्रदेश कांग्रेस के लिए झटका से कम नहीं है. ऐसे में अब बड़ा सवाल उठ रहा है कि क्या वर्ष 2017 के जुलाई में प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी बने आरपीएन सिंह वर्तमान हालात के जिम्मेदार हैं.
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चुनाव में मिलेंगे सकारात्मक परिणाम
इसे लेकर प्रदेश कांग्रेस का मानना है कि आरपीएन सिंह के नेतृत्व में ही उपचुनाव में जीत हासिल की गई है. लेकिन वरिष्ठ नेताओं की अपनी-अपनी विचारधाराएं हैं, कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता लाल किशोरनाथ शाहदेव ने कहा है कि ये सही है कि पूर्व प्रदेश अध्यक्षों ने पार्टी छोड़ दिया. लेकिन इस पर जब आकलन किया गया तो यह पाया गया कि वे लोग निजी स्वार्थ के लिए दूसरे दलों में गए हैं और ऐसे में नए लोगों को भी मौका मिला है. उन्होंने कहा है कि कमेटी का गठन नहीं हो पाया है. लेकिन पार्टी जो कार्यक्रम और चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है और आरपीएन सिंह जिस तरह से अपनी भूमिका निभा रहे हैं. उससे चुनाव में पार्टी को सकारात्मक परिणाम मिलेंगे.