रांची: मोरहाबादी मैदान में सहायक पुलिस कर्मियों के आंदोलन का नौवां दिन है. शुक्रवार को यह आंदोलन हिंसक हो गया था, जिसमें पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा और उग्र भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले चलाने पड़े थे. लाठीचार्ज के बाद सहायक पुलिसकर्मी मोरहाबादी मैदान में टेंट और तंबू लगाकर डेरा डाल चुके हैं.
लाठीचार्ज के बाद भी कोई उचित समाधान नहीं निकलने की वजह से सहायक पुलिस कर्मियों का आंदोलन बदस्तूर जारी है. शनिवार को मोरहाबादी मैदान का नजारा थोड़ा सा बदल गया है. अब सहायक पुलिस कर्मियों ने मोरहाबादी मैदान को अपना ठिकाना बनाते हुए उसे टेंट और तंबू में तब्दील कर दिया है. वहीं, लाठीचार्ज के बाद मोरहाबादी मैदान राजनीति का एक नया मंच भी बन गया है. सहायक पुलिस कर्मियों का विश्वास जीतने के लिए उनके हमदर्द बनकर नेताओं का आना-जाना मोरहाबादी मैदान में लगा हुआ है.
विधानसभा सत्र के पहले दिन जिन नेताओं ने सहायक पुलिस कर्मियों को लेकर एक सवाल भी नहीं उठाया अब वहीं नेता सोमवार को सदन नहीं चलने की धमकी दे रहे हैं. भाजपा विधायकों का एक डेलिगेशन सबसे पहले मोरहाबादी मैदान पहुंचा और सहायक पुलिस कर्मियों के चोटों पर राजनीति का मरहम लगाने की भरपूर कोशिश की. इस दौरान भाजपा नेताओं ने हेमंत सोरेन सरकार पर जमकर निशाना साधा और हर हाल में सहायक पुलिस कर्मियों को इंसाफ दिलाने की बात कही.
विभिन्न धाराओं में दर्ज हुई प्राथमिकी
दूसरी तरफ सहायक पुलिस कर्मियों पर आईपीसी की धारा 307, 353, 323, 324 के तहत रांची के लालपुर थाना में मामला दर्ज किया गया है. गौरतलब है कि पुलिस के लाख समझाने के बावजूद सहायक पुलिसकर्मी नहीं माने और उन्होंने पुलिस पर पथराव किया. इस पथराव में रांची के सिटी एसपी लालपुर थाना प्रभारी सार्जेंट मेजर सहित एक दर्जन पुलिसवाले घायल हो गए थे.
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क्या है आंदोलन की वजह
2017 में राज्य के 12 नक्सल प्रभावित जिलों में 2500 सहायक पुलिस कर्मियों की 10,000 रुपए मानदेय पर नियुक्ति की गई थी. सहायक पुलिस कर्मियों का कहना है कि नियुक्ति के समय में बताया गया था कि 3 साल बाद उनकी सेवा स्थाई हो जाएगी, लेकिन 3 वर्ष पूरा होने के बाद भी किसी का स्थायीकरण नहीं हुआ है. इसी मांग को लेकर सहायक पुलिसकर्मी मोरहाबादी मैदान में जमे हुए हैं.