रांचीः क्रिसमस को लेकर बाजारों में उत्साह देखते ही बन रहा है. इस पर्व में क्रिश्चियन धर्मावलंबियों के लिए चरनी का खासा महत्व होता है. इस अवसर पर घरों में ख्रीस्त के जन्म के दृश्य को चरनी में दिखाने की परंपरा है. इसे लेकर क्रिसमस के बाजार चरनी से सजे हुए हैं.
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इस बाजार में सबसे खास बात यह है कि मोहम्मद मुमताज नाम के एक व्यक्ति सालों से क्रिसमस के मौके पर चरनी बनाते आ रहे हैं. हिंदपीढ़ी निवासी मुमताज क्रिसमस त्योहार में हर साल चरनी बनाते हैं. इनकी मानें तो सभी धर्मों का सम्मान करना जरूरी है. उन्होंने कहा कि हिंदु, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी आपस में भाई-भाई है और इसी परंपरा को निभाते हुए वह चरनी बनाने का काम करते हैं और इससे रोजगार भी हो जाता है.
वहीं, क्रिसमस बाजार में खरीदारी करने पहुंची महिला ने चरनी के महत्व के बारे में बताया कि क्रिसमस फेस्टिवल का यह एक अहम हिस्सा है. चरनी प्रभु यीशु के जन्म की याद दिलाता है. मसीही समाज में प्रभु यीशु की चरनी की झांकी क्रिसमस से पहले ही तैयार की जाती है. उन्होंने बताया कि प्रभु ईसा मसीह ने गड़ेरियों के बीच चरनी में जन्म लिया था. इसी परिदृश्य को लोग अपने घर में देखने के लिए चरनी सजाते हैं और प्रभु ईसा मसीह के जन्मदिन को याद कर बहुत उत्साह से पर्व मनाते हैं.
प्रभु ईसा मसीह के जन्म की तैयारी को लेकर क्रिश्चियन समुदाय के लोग एक महीने से तैयारी करते हैं और क्रिसमस की झांकी में चरनी भेड़, गाय, गड़ेरिया राजा दिखाई देते हैं. क्रिसमस पर तारों का भी बहुत महत्व है क्योंकि इन्हीं तारों ने ईश्वर के बेटे यीशु मसीह के धरती पर आगमन की सूचना दी थी.