रांचीः कोरोना संक्रमण के शिकार मरीजों में ऑक्सीजन की कमी से उनकी स्थिति बिगड़ रही है. ऑक्सीजन का स्तर जांचने के लिए पल्स ऑक्सीमीटर का इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन आप इस पर आंख मूंद कर भरोसा न करें और लगातार डॉक्टर की निगरानी में रहें. दरअसल बाजार में घटिया ऑक्सीमीटर भी धड़ल्ले से बेची जा रही है, जो गलत रीडिंग दे सकती है. शरीर में ऑक्सीजन का स्तर मानक से कम होने की गलत रीडिंग पर आप घबराहट के शिकार बन सकते हैं.
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रांची के निजी अस्पताल में भर्ती एक मरीज ने ईटीवी भारत को बताया कि कोरोना संक्रमण की वजह से उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है. शनिवार सुबह उनके ऑक्सीजन का स्तर 94 था, लेकिन इसके बाद अचानक ऑक्सीमीटर में रीडिंग 82 बताने लगा. इससे मरीज अवाक रह गया, घबराहट होने लगी और दम फूलने लगा. मरीज ने नर्स को किसी और ऑक्सीमीटर से चेक करने के लिए कहा तो ऑक्सीजन का स्तर 94 आया.
क्या कहते हैं डॉक्टर
निजी अस्पताल में मौजूद डॉक्टर ने बताया कि कई बार पुराने या निम्न स्तर के ऑक्सीमीटर गलत रीडिंग देते हैं. ऐसे में इस पर आंख मूंद कर भरोसा नहीं किया जा सकता है. कोरोना संक्रमण के हल्के लक्षण वाले मरीजों को डॉक्टर होम आइसोलेशन में रहने की सलाह देते हैं. लेकिन ऐसे मरीजों के ऑक्सीजन स्तर पर लगातार नजर बनाए रखना पड़ता है. घर में ऑक्सीजन का स्तर मापने के लिए पल्स ऑक्सीमीटर का इस्तेमाल किया जाता है. एक सामान्य व्यक्ति के शरीर नें ऑक्सीजन का स्तर 95 से ज्यादा होता है. अगर मरीज का ऑक्सीजन स्तर 90 या इससे नीचे आए तो तुरंत डॉक्टर को बताएं और अस्पताल में भर्ती की व्यवस्था करें.
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पल्स ऑक्सीमीटर क्या है
पल्स ऑक्सीमीटर एक छोटा उपकरण है, जो कपड़े की क्लिप के जैसा दिखता है. यह डिजिटल उपकरण शरीर में ऑक्सीजन के स्तर की जांच करता है. एक सामान्य व्यक्ति के शरीर में ऑक्सीजन का स्तर 95 से ज्यादा होता है. ऑक्सीजन स्तर मापने के लिए ऑक्सीमीटर के बीच हाथ की उंगली रखते हैं. इसके बाद उपकरण का फोटो इलेक्ट्रिक हिस्सा ऑक्सीजन सैचुरेशन और हार्ट बीट को चेक कर रीडिंग बताता है.
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खतरनाक हो सकता है निम्न स्तर का ऑक्सीमीटर
ऑक्सीमीटर कोरोना से लड़ने में एक कारगर हथियार है लेकिन निम्न स्तर का ऑक्सीमीटर गलत रीडिंग की वजह से आपको मुसीबत में डाल सकता है. लिहाजा सिर्फ ऑक्सीमीटर के भरोसे न रहें और डॉक्टर से परामर्श लेते रहें.