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कोरोना ने ऑटो चालकों की जिंदगी पर लगाया ब्रेक, लॉकडाउन से हुए बेबस

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का कहर चारों ओर हाहाकार मचा रहा है. सबके खाने-पीने के लाले पड़े हैं. ऐसे में सबसे ज्यादा परेशानी वैसे लोगों को हो रही है जो रोज काम करके अपनी जीविका कमाते हैं. इस सिलसिले में ईटीवी भारत की टीम ने कुछ ऑटो चालकों से खास बातचीत की. ऑटो चालकों का कहना है कि लॉकडाउन होने से उनकी जिंदगी थम गई है.

Lockdown has a profound impact on auto drivers lives
लॉकडाउन में ऑटो चालक परेशान
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Published : Apr 8, 2020, 7:52 PM IST

Updated : Apr 9, 2020, 3:53 PM IST

रांचीः सड़कों पर सन्नाटा पसरा है, चारों ओर वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का कहर है. कल तक जिन सड़कों पर काफी भीड़भाड़ हुआ करती थी और बड़ी शान से ऑटो चालक अपनी सवारी को मंजिल तक पहुंचाया करते थे लेकिन आज यह सड़कें वीरान हैं. ऑटो चालकों पर शायद सरकार या प्रशासन की निगाहें नहीं पड़ी हो. कल तक सड़कों पर सरपट दौड़ती ऑटो चालकों की जिंदगी कोरोना महामारी की वजह से थम गई है. देश में संपूर्ण लॉकडाउन होने से रोज ऑटो चलाकर अपनी जीविका उपार्जन करने वाले ऑटो चालक का जीवन यूं कहे तो थम सा गया है.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें-झारखंड में मेडिकल ऑफिसर पदों के लिए बंपर वेकेंसी, 9 अप्रैल से आवेदन की प्रक्रिया शुरू

राजधानी रांची के सड़कों पर लगभग 25 हजार ऑटो दौड़ती थी. एक ऑटो चालक अपने साथ अपने परिवार के पांच सदस्यों का भरण पोषण करता है. इस महामारी के कारण लगभग सवा लाख परिवार आज भुखमरी और बेबसी की मार झेल रहे हैं. ऑटो चालकों के ऊपर सबसे ज्यादा बैंक का कर्ज कैसे चुकाएंगे यह चिंता का सबब बना हुआ है. ऐसे में ऑटो चालक इस वक्त दाने-दाने को तरस रहे हैं.

राजधानी रांची के ऑटो चालक हरिलाल साहू की माने तो जब से लॉकडाउन हुआ है तब से खाने-पीने के लाले पड़ गए हैं. ऑटो चला कर किसी प्रकार से घर का राशन पानी किया करते थे लेकिन ऑटो नहीं चलने के कारण घर के साथ-साथ बैंक के कर्ज की चिंता सता रही है. उनका कहना है कि सड़कों पर ऑटो लेकर निकलते हैं तो पुलिस डंडे बरसाती है ऐसे में बेबस लाचार होकर ऑटो को सड़क के किनारे खड़ा कर दिया गया है. घर की जीविका उपार्जन किसी तरह से लोगों से कर्ज लेकर चला रहे हैं पिछले बार राशन कार्ड से राशन मिल गया था तो थोड़ी सहूलियत हुई थी. उनका कहना है कि पता नहीं इस महामारी का प्रकोप कब तक रहेगा और कब तक हम गरीब बेबस और लाचार रहेंगे.

उबड़ खाबड़ ग्रामीण सड़क हो या फिर शहरों की गली मोहल्ले ऑटो चालक मुसाफिरों को मंजिल तक पहुंचा कर अपनी जीविका का उपार्जन करते हैं लेकिन इस महामारी के डंक ने इनके जीवन में ग्रहण लगा दिया है. ऑटो चालक संघ के अध्यक्ष दिनेश सोनी की माने तो सड़कों पर लगभग 25 ऑटो चला करते हैं. ऑटो नहीं चलने से एक लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हैं. इन लोगों को खाने पीने की दिक्कत आ रही है.

यहां तक कि सभी लोगों के पास अपनी सुख-सुविधा के अनुसार कार, मोटरसाइकिल नहीं होती है ऐसी में जरूरत पड़ने पर ऑटो ही उन्हें मंजिल तक पहुंचाती है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से उन लोगों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार ऑटो चालकों के लिए कुछ ऐसी व्यवस्था करे जिससे लॉकडाउन का भी पालन हो जाए और ऑटो चालकों के घर चूल्हा भी जल सके. क्योंकि इस वक्त ऑटो चालकों को अपना परिवार चलाने के साथ-साथ बैंक का किश्त भरना भी मुश्किल हो रहा है.

रांचीः सड़कों पर सन्नाटा पसरा है, चारों ओर वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का कहर है. कल तक जिन सड़कों पर काफी भीड़भाड़ हुआ करती थी और बड़ी शान से ऑटो चालक अपनी सवारी को मंजिल तक पहुंचाया करते थे लेकिन आज यह सड़कें वीरान हैं. ऑटो चालकों पर शायद सरकार या प्रशासन की निगाहें नहीं पड़ी हो. कल तक सड़कों पर सरपट दौड़ती ऑटो चालकों की जिंदगी कोरोना महामारी की वजह से थम गई है. देश में संपूर्ण लॉकडाउन होने से रोज ऑटो चलाकर अपनी जीविका उपार्जन करने वाले ऑटो चालक का जीवन यूं कहे तो थम सा गया है.

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राजधानी रांची के सड़कों पर लगभग 25 हजार ऑटो दौड़ती थी. एक ऑटो चालक अपने साथ अपने परिवार के पांच सदस्यों का भरण पोषण करता है. इस महामारी के कारण लगभग सवा लाख परिवार आज भुखमरी और बेबसी की मार झेल रहे हैं. ऑटो चालकों के ऊपर सबसे ज्यादा बैंक का कर्ज कैसे चुकाएंगे यह चिंता का सबब बना हुआ है. ऐसे में ऑटो चालक इस वक्त दाने-दाने को तरस रहे हैं.

राजधानी रांची के ऑटो चालक हरिलाल साहू की माने तो जब से लॉकडाउन हुआ है तब से खाने-पीने के लाले पड़ गए हैं. ऑटो चला कर किसी प्रकार से घर का राशन पानी किया करते थे लेकिन ऑटो नहीं चलने के कारण घर के साथ-साथ बैंक के कर्ज की चिंता सता रही है. उनका कहना है कि सड़कों पर ऑटो लेकर निकलते हैं तो पुलिस डंडे बरसाती है ऐसे में बेबस लाचार होकर ऑटो को सड़क के किनारे खड़ा कर दिया गया है. घर की जीविका उपार्जन किसी तरह से लोगों से कर्ज लेकर चला रहे हैं पिछले बार राशन कार्ड से राशन मिल गया था तो थोड़ी सहूलियत हुई थी. उनका कहना है कि पता नहीं इस महामारी का प्रकोप कब तक रहेगा और कब तक हम गरीब बेबस और लाचार रहेंगे.

उबड़ खाबड़ ग्रामीण सड़क हो या फिर शहरों की गली मोहल्ले ऑटो चालक मुसाफिरों को मंजिल तक पहुंचा कर अपनी जीविका का उपार्जन करते हैं लेकिन इस महामारी के डंक ने इनके जीवन में ग्रहण लगा दिया है. ऑटो चालक संघ के अध्यक्ष दिनेश सोनी की माने तो सड़कों पर लगभग 25 ऑटो चला करते हैं. ऑटो नहीं चलने से एक लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हैं. इन लोगों को खाने पीने की दिक्कत आ रही है.

यहां तक कि सभी लोगों के पास अपनी सुख-सुविधा के अनुसार कार, मोटरसाइकिल नहीं होती है ऐसी में जरूरत पड़ने पर ऑटो ही उन्हें मंजिल तक पहुंचाती है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से उन लोगों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार ऑटो चालकों के लिए कुछ ऐसी व्यवस्था करे जिससे लॉकडाउन का भी पालन हो जाए और ऑटो चालकों के घर चूल्हा भी जल सके. क्योंकि इस वक्त ऑटो चालकों को अपना परिवार चलाने के साथ-साथ बैंक का किश्त भरना भी मुश्किल हो रहा है.

Last Updated : Apr 9, 2020, 3:53 PM IST
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