रांचीः झारखंड कांग्रेस (Jharkhand Congress) में एक बार फिर गुटबाजी (Factionalism in Jharkhand Congress) शुरू हो गई है. 20 सूत्री और बोर्ड-निगम के लिए जोर-शोर से लॉबिंग (Lobbing) की जा रही है. इसके लिए प्रदेश के कई नेता भी दिल्ली (Delhi) में डेरा जमाए हुए हैं. को-ऑर्डिनेटर रमा खलखो, रांची महानगर कांग्रेस अध्यक्ष संजय पांडे, प्रदेश प्रवक्ता ज्योति सिंह माथारू समेत कई नेता दिल्ली गए हैं. हालांकि संजय पांडे और ज्योति सिंह मथारू दिल्ली से वापस लौट आए हैं.
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झारखंड सरकार की ओर से बोर्ड-निगम के पदों को भरने के ऐलान के साथ ही इसके लिए लॉबिंग शुरू हो गई. झारखंड कांग्रेस के गुट की बात करें तो एक बार फिर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार गुट, कार्यकारी अध्यक्ष राजेश ठाकुर, मानस सिन्हा, संजय लाल पासवान के साथ विधायक दीपिका पांडे सिंह गुट काफी एक्टिव नजर आ रही हैं. वहीं झारखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. रामेश्वर उरांव के साथ कार्यकारी अध्यक्ष केशव महतो कमलेश समेत प्रवक्ताओं की टोली खड़ी है. जबकि कार्यकारी अध्यक्ष इरफान अंसारी के साथ पार्टी के विधायक खड़े दिखाई दे रहे हैं.
डॉ. अजय का खेमा रेस
झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष डॉ. रामेश्वर उरांव (JPCC President Dr. Rameshwar Oraon) के खिलाफ लगातार पार्टी विधायक और नेता-कार्यकर्ता अपनी शिकायतें रख रहे हैं. इस बाबत दिल्ली में आलाकमान तक शिकायत पहुंचाई गई है. ऐसे में देखा जाए तो अब झारखंड कांग्रेस में एक बार फिर गुटबाजी शुरू हो गई है. खासकर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय के आने के बाद उनका खेमा 20 सूत्री और निगम बोर्ड समेत प्रदेश अध्यक्ष की रेस में एक्टिव हो गया है. डॉ. अजय की शीर्ष नेताओं से बेहतर संबंध और नजदीकियां रही हैं तो डॉ. अजय के समय में विधायक बने बिक्सल कोनगाड़ी को भी संगठन में अच्छी जगह दिए जाने पर जोर लगाया जा रहा है.
बोर्ड-निगम के लिए विधायक दीपिक पांडे का जोर
इसके साथ ही 5 कार्यकारी अध्यक्ष में तीन कार्यकारी अध्यक्ष और महागामा विधायक दीपिका पांडे (Mahagama MLA Deepika Pandey) भी बोर्ड-निगम के बंटवारे में कार्यकर्ताओं को विशेष जगह मिले, इस पर जोर लगा रही हैं. कार्यकारी अध्यक्ष समेत विधायक दीपिका पांडे ने प्रदेश अध्यक्ष की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े किए हैं. ऐसे में इन दिनों दीपिका पांडे सिंह के साथ कार्यकारी अध्यक्ष एक्टिव हैं. इतना ही नहीं कार्यकारी अध्यक्ष राजेश ठाकुर लगातार प्रदेश कांग्रेस प्रभारी आरपीएन सिंह के संपर्क में है. यहां तक कि आरपीएन सिंह भी झारखंड कांग्रेस का हाल लेने के लिए राजेश ठाकुर से संपर्क साधते रहे हैं, जबकि प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव से भी वह जानकारी ले सकते थे.
4 खेमों में बंटा झारखंड कांग्रेस
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. रामेश्वर उरांव के साथ पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष केशव महतो कमलेश समेत प्रवक्ता आलोक कुमार दुबे, लाल किशोरनाथ शाहदेव, डॉ. राजेश गुप्ता और राकेश सिन्हा खड़े हैं तो वहीं कार्यकारी अध्यक्ष इरफान अंसारी अपने साथी विधायक राजेश कच्छप, उमाशंकर अकेला और ममता देवी के साथ दिल्ली दौरा कर आलाकमान के सामने अपनी बातों को रख चुके हैं और लगातार प्रदेश नेतृत्व पर सवाल खड़े कर रहे हैं. ऐसे में कहीं ना कहीं झारखंड कांग्रेस में गुटबाजी की वजह से पार्टी 4 खेमे में बंट गया है.
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साथ ही प्रदेश कांग्रेस प्रभारी आरपीएन सिंह के कार्यशैली पर भी आलाकमान की निगाहें हैं. झारखंड कांग्रेस के विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो प्रभारी आरपीएन सिंह पिछले दिनों भाजपा के संपर्क में थे और इसकी जानकारी आलाकमान को भी थी. यही वजह है कि प्रदेश नेतृत्व के बदलाव को लेकर कई बार बातें उठने के बावजूद डॉ. रामेश्वर उरांव को पद से हटाए जाने को लेकर आलाकमान ने अब तक निर्णय नहीं लिया है.
विधायक दीपिका की कार्यशैली पर सवाल
दूसरी तरफ पार्टी के नेताओं की ओर से दीपिका पांडे सिंह की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं. क्योंकि उनका मानना है कि केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें सचिव बनाकर बड़ी जिम्मेदारी दी है. साथ ही एक राज्य का सह-प्रभारी भी बनाया है. लेकिन कभी वह महिला विधायकों के साथ मिलकर मुख्यमंत्री से सवाल कर रही हैं तो कभी कार्यकारी अध्यक्षों के साथ प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल उठा रही हैं. जिस तरह से वह विरोध और लॉबिंग कर रही हैं, वह उन्हें शोभा नहीं देता है.
साथ ही कार्यकारी अध्यक्षों की कार्यशैली को लेकर चर्चा है कि वह खुद एक प्लेटफार्म है, जहां कार्यकर्ता अपनी बातों को रख सकते हैं. लेकिन उनकी ओर से ही संगठन को कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है. जबकि डॉ. अजय कुमार के खिलाफ भी पार्टी नेताओं में चर्चा है कि जब उन्होंने ऐन वक्त पर पार्टी छोड़ दिया था, फिर उन्हें पार्टी में अहम स्थान कैसे दिया जा सकता है.