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विस्थापन आयोग के गठन की मांगः वामदलों ने राजभवन के पास दिया धरना

झारखंड राज्य में विस्थापन आयोग के गठन सहित 26 सूत्री मांगों को लेकर रांची में राजभवन के पास वामदलों ने धरना प्रदर्शन किया.

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वामदलों ने राजभवन के पास दिया धरना
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Published : Nov 7, 2021, 5:34 PM IST

Updated : Nov 7, 2021, 8:46 PM IST

रांचीः झारखंड में विस्थापन आयोग का गठन, भूमि अधिग्रहण नियम 2013 को लागू कर जमीन की वापसी, गैर-मजरूआ जमीन की रसीद काटने पर रोक हटाने, गैर-मजरूआ भूमि के हजारों एकड़ अवैध बंदोबस्ती को रद्द करने सहित 26 सूत्री मांग को लेकर वामदल, राष्ट्र जनता दल समेत कई राजनीतिक एवं सामाजिक संगठनों ने राज भवन के सामने धरना प्रदर्शन किया.

इसे भी पढ़ें- विस्थापित संघर्ष मोर्चा का सम्मेलनः एक महीने में विस्थापन आयोग के गठन की मांग, जानिए यहां चर्चा में क्यों रहे दिशोम गुरु

धरना प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के पूर्व सांसद भुवनेश्वर मेहता ने कहा कि आज झारखंड में लगभग एक करोड़ से ज्यादा लोग विस्थापन का मार झेल रहे हैं लेकिन उनको देखने वाला कोई नहीं है. उन्होंने वर्तमान सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन चुनाव से पूर्व विस्थापितों को हक दिलाने के लिए विस्थापन आयोग के गठन की बात करते थे लेकिन सीएम बनने के बाद इस पर कोई विचार नहीं कर रहे हैं.

देखें पूरी खबर


उन्होंने कहा कि कई बड़ी पब्लिक सेक्टर यूनिट का झारखंड में संचालन हो रहा है. लेकिन उन कंपनियों में जिन-जिन को झारखंड में रैयतों की जमीन गई है, उन्हें अभी तक उचित मुआवजा नहीं मिल पाया है. उन्होंने बताया कि दूसरे राज्य में अगर कोई कंपनी की शुरुआत होती है तो वहां के रैयतों को करोड़ों रुपए मिलते हैं. लेकिन झारखंड के मूलवासियों को कुछ रुपए देकर जमीन ले ली जाती है इसके अलावा ना तो उन्हें नौकरी मिलता है ना ही मुआवजे के तौर पर मोटी रकम मिलती है. उन्होंने कहा कि इसको लेकर हमारी पार्टी और कई सामाजिक संगठन कड़ा विरोध करते हैं और आगे भी करते रहेंगे.

सामाजिक कार्यकर्ता वासवी किड़ो ने कहा कि पूरे देश में कई करोड़ परिवार विस्थापन के कारण भुखमरी और बीमारी के शिकार हो गए हैं. उसी को देखते हुए 2013 में विस्थापितों के लिए नया नियम बनाया गया लेकिन इस नियम के बावजूद भी विस्थापितों को उनका हक नहीं मिल पा रहा है. उन्होंने रांची के एचईसी का उदाहरण देते हुए बताया कि एचईसी के निर्माण में 32 गांव में के लोगों को विस्थापित किया गया. लेकिन आज भी लटमा नाम के गांव के कई परिवारों का घर उजड़ने के बाद उनका पुनर्वास नहीं हो पाया, जो दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को हक दिलाने के लिए विस्थापन आयोग के गठन आवश्यक है. इसीलिए सरकार से हम मांग करते हैं कि जल्द से जल्द विस्थापन आयोग का गठन किया जाए नहीं तो झारखंड में एक बड़े आंदोलन की तैयारी की जाएगी.

इसे भी पढ़ें- महागठबंधन में रार! सीएम हेमंत सोरेन से वामदल नाराज, विस्थापन के मुद्दे पर सरकार को घेरा

विस्थापितों के हक के लिए आरजेडी भी करेगा आंदोलन
प्रदर्शन का समर्थन कर रहे राष्ट्रीय जनता दल के नेता राजेश यादव ने बताया कि वर्तमान सरकार का हम समर्थन जरुर कर रहे हैं. लेकिन विस्थापितों के मुद्दा के लिए हम सरकार को चेतावनी देना चाहते हैं कि करोड़ों परिवार के पुनर्वास और उनके हक को लेकर ठोस कदम उठाएं नहीं तो हम आने वाले समय में बड़े आंदोलन कर विस्थापितों को हक दिलाने की कोशिश करेंगे.


क्या हैं मुख्य मांगें-

  • झारखंड राज्य विस्थापन आयोग का गठन

  • एचईसी की सरप्लस जमीन वापस हो
  • सभी परियोजनाओं की अतिरिक्त जमीन वापस हो
  • कोइलकारो जल विद्युत परियोजना रद्द करने की अधिसूचना जारी हो
  • नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज रद्द करने के अधिसूचना जारी हो
  • विकास के नाम पर विनाश बंद करने की मांग
  • आदिवासियों की जमीन वापस की जाए

रांचीः झारखंड में विस्थापन आयोग का गठन, भूमि अधिग्रहण नियम 2013 को लागू कर जमीन की वापसी, गैर-मजरूआ जमीन की रसीद काटने पर रोक हटाने, गैर-मजरूआ भूमि के हजारों एकड़ अवैध बंदोबस्ती को रद्द करने सहित 26 सूत्री मांग को लेकर वामदल, राष्ट्र जनता दल समेत कई राजनीतिक एवं सामाजिक संगठनों ने राज भवन के सामने धरना प्रदर्शन किया.

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धरना प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के पूर्व सांसद भुवनेश्वर मेहता ने कहा कि आज झारखंड में लगभग एक करोड़ से ज्यादा लोग विस्थापन का मार झेल रहे हैं लेकिन उनको देखने वाला कोई नहीं है. उन्होंने वर्तमान सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन चुनाव से पूर्व विस्थापितों को हक दिलाने के लिए विस्थापन आयोग के गठन की बात करते थे लेकिन सीएम बनने के बाद इस पर कोई विचार नहीं कर रहे हैं.

देखें पूरी खबर


उन्होंने कहा कि कई बड़ी पब्लिक सेक्टर यूनिट का झारखंड में संचालन हो रहा है. लेकिन उन कंपनियों में जिन-जिन को झारखंड में रैयतों की जमीन गई है, उन्हें अभी तक उचित मुआवजा नहीं मिल पाया है. उन्होंने बताया कि दूसरे राज्य में अगर कोई कंपनी की शुरुआत होती है तो वहां के रैयतों को करोड़ों रुपए मिलते हैं. लेकिन झारखंड के मूलवासियों को कुछ रुपए देकर जमीन ले ली जाती है इसके अलावा ना तो उन्हें नौकरी मिलता है ना ही मुआवजे के तौर पर मोटी रकम मिलती है. उन्होंने कहा कि इसको लेकर हमारी पार्टी और कई सामाजिक संगठन कड़ा विरोध करते हैं और आगे भी करते रहेंगे.

सामाजिक कार्यकर्ता वासवी किड़ो ने कहा कि पूरे देश में कई करोड़ परिवार विस्थापन के कारण भुखमरी और बीमारी के शिकार हो गए हैं. उसी को देखते हुए 2013 में विस्थापितों के लिए नया नियम बनाया गया लेकिन इस नियम के बावजूद भी विस्थापितों को उनका हक नहीं मिल पा रहा है. उन्होंने रांची के एचईसी का उदाहरण देते हुए बताया कि एचईसी के निर्माण में 32 गांव में के लोगों को विस्थापित किया गया. लेकिन आज भी लटमा नाम के गांव के कई परिवारों का घर उजड़ने के बाद उनका पुनर्वास नहीं हो पाया, जो दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को हक दिलाने के लिए विस्थापन आयोग के गठन आवश्यक है. इसीलिए सरकार से हम मांग करते हैं कि जल्द से जल्द विस्थापन आयोग का गठन किया जाए नहीं तो झारखंड में एक बड़े आंदोलन की तैयारी की जाएगी.

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विस्थापितों के हक के लिए आरजेडी भी करेगा आंदोलन
प्रदर्शन का समर्थन कर रहे राष्ट्रीय जनता दल के नेता राजेश यादव ने बताया कि वर्तमान सरकार का हम समर्थन जरुर कर रहे हैं. लेकिन विस्थापितों के मुद्दा के लिए हम सरकार को चेतावनी देना चाहते हैं कि करोड़ों परिवार के पुनर्वास और उनके हक को लेकर ठोस कदम उठाएं नहीं तो हम आने वाले समय में बड़े आंदोलन कर विस्थापितों को हक दिलाने की कोशिश करेंगे.


क्या हैं मुख्य मांगें-

  • झारखंड राज्य विस्थापन आयोग का गठन

  • एचईसी की सरप्लस जमीन वापस हो
  • सभी परियोजनाओं की अतिरिक्त जमीन वापस हो
  • कोइलकारो जल विद्युत परियोजना रद्द करने की अधिसूचना जारी हो
  • नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज रद्द करने के अधिसूचना जारी हो
  • विकास के नाम पर विनाश बंद करने की मांग
  • आदिवासियों की जमीन वापस की जाए
Last Updated : Nov 7, 2021, 8:46 PM IST
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