ETV Bharat / city

झारखंड में तैयार किया गया Chandrayan 2 का लॉन्च पैड डिजाइन, एक क्लिक में देखिए Mission Moon की तमाम जानकारी

भारत ने अंतरिक्ष में कामयाबी की और छलांग लगाई है. चंद्रयान-2 ने सोमवार दोपहर 2 बजकर 43 मिनट पर चांद की ओर उड़ान भर ली है. भारत के इस महत्वकांक्षी मिशन में झारखंड की खास भूमिका रही है. चंद्रयान 2 से झारखंड का कनेक्शन जानने के लिए देखिए पूरी खबर.

डिजाइन इमेज
author img

By

Published : Jul 22, 2019, 7:45 PM IST

Updated : Jul 22, 2019, 8:15 PM IST

रांचीः चंद्रयान 2 की लॉन्चिंग के बाद जहां देश खुद को गौरवांवित महसूस कर रहा है, वहीं झारखंड के लिए भी यह गौरव का पल है. मिशन चंद्रयान 2 की लॉन्चिंग में रांची की मेकॉन और एचईसी कंपनी का बड़ा योगदान है. चंद्रयान 2 के सेकंड लॉन्च पैड डिजाइन मेकॉन कंपनी ने तैयार किया है और इसमें हेवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड की मदद भी ली गई है.

वीडियो में देखिए पूरी खबर

मेकॉन कंपनी के सीएमडी अतुल भट्ट ने बताया कि इस काम की शुरुआत साल1999 में की गई थी. करीब 125 इंजीनियरों की टीम ने काम पूरा कर इस उपलब्धि को हासिल किया है. मेकॉन और एचईसी के लोग इस पल को लेकर रोमांचित हैं. रांची के लोगों ने भी इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर की है. राजधानीवासियों ने इसके लिए मेकॉन और एचईसी को शुभकामनाएं और बधाइयां भी दी.

चंद्रयान-2 की खासियत

चंद्रयान-2 का वजन 3.8 टन है. इस मिशन की लागत 978 करोड़ रुपए है. स्वदेशी तकनीक से निर्मित चंद्रयान-2 में कुल 13 पेलोड हैं. 8 ऑर्बिटर में, 3 पेलोड लैंडर विक्रम में और 2 पेलोड रोवर प्रज्ञान में हैं. इसे 344 मीटर लंबे और लगभग 640 टन वजनी जियोसिंक्रोनाइज सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल बाहुबली के जरिए अंतरिक्ष में भेजा गया है. चंद्रयान-2 को शुरुआत में पृथ्वी की कक्षा में 170 किमी पेरीजी और 40,400 किमी ऐपजी रखा जाना है. लॉन्चिंग के बाद वैज्ञानिकों को लक्ष्य से बेहतर नतीजे मिले हैं.

Chandrayan lander and rover
तस्वीर सौजन्य इसरोः लैंडर और रोवर

कहां उतारा जाएगा

चंद्रयान-2 इसरो का सबसे जटिल और सबसे प्रतिष्ठित मिशन माना जा रहा है. चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान के लैंडर को उतारा जाएगा. यहां अब तक कोई देश नहीं पहुंचा है. चांद के इस हिस्से के बारे में दुनिया को ज्यादा जानकारी नहीं है. इसरो प्रमुख के शिवन ने कहा कि ये एक ऐतिहासिक यात्रा की शुरुआत है.

सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश

इस मिशन को पूरा होने में करीब 50 दिन लगेंगे और चंद्रयान 6 या 7 सितंबर को चंद्रमा के दक्षिणी पोल पर पहुंचेगा. इस मिशन के बाद भारत चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन जाएगा. इससे पहले रूस, अमेरिका और चीन चांद की सतह पर पहुंच चुके हैं.

Chandrayan 2 orbiter
तस्वीर सौजन्य इसरोः ऑर्बिटर

ऑर्बिटर

चंद्रयान 2 का ऑर्बिटर सालों भर सक्रिय रहेगा लेकिन रोवर केवल 14 दिनों के लिए क्योंकि यह सौर ऊर्जा पर निर्भर है. ऑर्बिटर का वजन 2,379 किग्रा और इलेक्ट्रिक पावर जनरेशन क्षमता 1,000 वॉट है. लॉन्च के समय, चंद्रयान 2 ऑर्बिटर बयालू के साथ-साथ विक्रम लैंडर में भारतीय डीप स्पेस नेटवर्क (आईडीएसएन) के साथ संचार करने में सक्षम होगा. ऑर्बिटर सालभर सक्रिय रहेगा और इसे 100X100 किमी लंबी चंद्र ध्रुवीय कक्षा में रखा जाएगा. ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर के भेजे गए डेटा को पृथ्वी के स्टेशन पर भेजेगा.

Chandrayan lander
तस्वीर सौजन्य इसरोः लैंडर विक्रम

लैंडर विक्रम

लैंडर विक्रम का नाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है. चांद के नजदीक पहुंचने पर लैंडर चंद्रमा पर सॉफ्ट लैडिंग के लिए खुद को ऑर्बिटर से अलग करेगा. इसमें तीन मॉड्यूल एक कॉन्सेप्ट के जरिए एक साथ जुड़े हैं, जिसे मैकेनिकल इंटरफेस कहा जाता है. लैंडर विक्रम का वजन1,471 किग्रा और इलेक्ट्रिक पावर जनरेशन क्षमता 650 वॉट है. यह एक चंद्र दिन के लिए काम करने के लिए डिजाइन किया गया है, जो धरती के लगभग 14 दिनों के बराबर है. विक्रम के पास बंग्लुरू के पास बयालू में आईडीएसएन के साथ-साथ ऑर्बिटर और रोवर के साथ संवाद करने की क्षमता है. लैंडर को चंद्र सतह पर एक सॉफ्ट लैंडिंग के लिए डिजाइन किया गया है.

Chandrayan rover
तस्वीर सौजन्य इसरोः रोवर प्रज्ञान

रोवर प्रज्ञान

चांद पर भेजे गए रोवर का नाम प्रज्ञान है, इसका मतलब संस्कृत में बुद्धिमता है. यह पूर्ण रूप से स्वदेशी रोवर है. इसका वजन 27 किग्रा और इलेक्ट्रिक पावर जनरेशन क्षमता 50 वॉट है. ये 6 पहियों वाला रोबोट वाहन है, जो 500 मीटर तक यात्रा कर सकता है. यह केवल लैंडर के साथ संवाद कर सकता है. प्रज्ञान , लैंडर से चंद्रमा की सतह पर पूर्व दिशा में जाने के लिए निकलेगा. रोवर लैंडर से निकलेगा और आगे बढ़ते हुए आंकड़े इकट्ठा करेगा. यह चंद्रमा की सतह की कई तस्वीरें भी लेगा. रोवर चांद की सतह पर पहियों के सहारे चलेगा, मिट्टी और चट्टानों के नमूने एकत्र करेगा और उसके विश्लेषण के बाद डाटा को ऑर्बिटर के पास भेजेगा.

इस मिशन से क्या होगा

  • चंद्रमा पृथ्वी का सबसे निकटतम ब्रह्मांडीय पिंड है. लगभग 450 करोड़ सालों से यह पृथ्वी के चारों ओर घूम रहा है.
  • चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण से हम चंद्रमा और उसके वातावरण को बेहतर ढंग से समझ पाएंगे.
  • इस मिशन के जरिए भारत यह पता लगाने में सक्षम होगा कि क्या चांद की सतह पर खनन किया जा सकता है.
  • इससे ये भी पता चल सकेगा कि क्या चंद्रमा पर ईंधन भी है?

चंद्रयान 1 से कितना अलग है ये मिशन

  • भारत ने साल 2008 में चंद्रयान 1 के तहत चंद्रमा की कक्षा में एक उपग्रह लॉन्च किया था.
  • वर्तमान मिशन चंद्रयान 2 पहले मिशन की अगली कड़ी है.
  • चंद्रयान 2 में भारत चंद्रमा की सतह पर एक रोवर की सॉफ्ट लैडिंग करेगा.
  • अब तक केवल अमेरिका, रूस और चीन ने चंद्रमा पर सॉफ्ट लैडिंग की है.
  • मिशन चंद्रयान 2 सफल रहा तो भारत चांद पर उतरने वाले दुनिया के चौथे राष्ट्र के रूप में जाना जाएगा.

अब तक चांद की सैर

  • नील आर्मस्ट्रांग और बज एल्ड्रिन 1969 में चांद पर आए थे.
  • अब तक कुल 12 अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा पर उतर चुके हैं. वे चांद से चट्टान लेकर लाए और उन पर शोध किया.
  • संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस के बीच शीतयुद्ध के दौरान कई मानवयुक्त चंद्र मिशन हुए.
  • हालांकि 1950 के दशक के बाद से कई अंतरिक्ष यान चंद्रमा पर भेजे गए, लेकिन सिर्फ भारतीय चंद्र मिशन चंद्रयान 1 वहां पानी के निशान खोज सका.
    mecon and hec limited
    मेकॉन और एचईसी का दफ्तर

क्या है मेकॉन लिमिटेड

मेकॉन लिमिटेड भारत सरकार के इस्पात मंत्रालय के अधीन एक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी है. इसकी स्थापना साल1959 में की गई. यह भारत की फ्रंटलाइन इंजीनियरिंग, कंसल्टेंसी और कॉन्ट्रैक्टिंग ऑर्गनाइजेशन है, जो कॉन्सेप्ट से लेकर कमीशनिंग तक प्रोजेक्ट की स्थापना के लिए आवश्यक सेवाओं की पूरी श्रृंखला पेश करती है. मेकॉन करीब डेढ़ हजारअनुभवी और समर्पित इंजीनियरों, वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों के साथ एक बहु-विषयक फर्म है. मेकॉन ने भारतीय उद्योगों के विकास और विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

क्या है एचईसी

हेवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड, देश में इस्पात, खनन, रेलवे, बिजली, रक्षा, अंतरिक्ष अनुसंधान, परमाणु और रणनीतिक क्षेत्रों के लिए पूंजी उपकरणों के प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं में से एक है.इसकी स्थापना1958 में की गई. एचईसी मुख्यालय झारखंड की राजधानी रांची में स्थित है, और यहां इसकी निर्माण सुविधाएं भी हैं. स्वदेशी रूप से इस्पात संयंत्र उपकरणों के निर्माण की सुविधा के लिए स्थापित, एचईसी ने देश में इस्पात संयंत्रों की स्थापना, विस्तार और आधुनिकीकरण में काफी योगदान दिया है.

रांचीः चंद्रयान 2 की लॉन्चिंग के बाद जहां देश खुद को गौरवांवित महसूस कर रहा है, वहीं झारखंड के लिए भी यह गौरव का पल है. मिशन चंद्रयान 2 की लॉन्चिंग में रांची की मेकॉन और एचईसी कंपनी का बड़ा योगदान है. चंद्रयान 2 के सेकंड लॉन्च पैड डिजाइन मेकॉन कंपनी ने तैयार किया है और इसमें हेवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड की मदद भी ली गई है.

वीडियो में देखिए पूरी खबर

मेकॉन कंपनी के सीएमडी अतुल भट्ट ने बताया कि इस काम की शुरुआत साल1999 में की गई थी. करीब 125 इंजीनियरों की टीम ने काम पूरा कर इस उपलब्धि को हासिल किया है. मेकॉन और एचईसी के लोग इस पल को लेकर रोमांचित हैं. रांची के लोगों ने भी इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर की है. राजधानीवासियों ने इसके लिए मेकॉन और एचईसी को शुभकामनाएं और बधाइयां भी दी.

चंद्रयान-2 की खासियत

चंद्रयान-2 का वजन 3.8 टन है. इस मिशन की लागत 978 करोड़ रुपए है. स्वदेशी तकनीक से निर्मित चंद्रयान-2 में कुल 13 पेलोड हैं. 8 ऑर्बिटर में, 3 पेलोड लैंडर विक्रम में और 2 पेलोड रोवर प्रज्ञान में हैं. इसे 344 मीटर लंबे और लगभग 640 टन वजनी जियोसिंक्रोनाइज सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल बाहुबली के जरिए अंतरिक्ष में भेजा गया है. चंद्रयान-2 को शुरुआत में पृथ्वी की कक्षा में 170 किमी पेरीजी और 40,400 किमी ऐपजी रखा जाना है. लॉन्चिंग के बाद वैज्ञानिकों को लक्ष्य से बेहतर नतीजे मिले हैं.

Chandrayan lander and rover
तस्वीर सौजन्य इसरोः लैंडर और रोवर

कहां उतारा जाएगा

चंद्रयान-2 इसरो का सबसे जटिल और सबसे प्रतिष्ठित मिशन माना जा रहा है. चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान के लैंडर को उतारा जाएगा. यहां अब तक कोई देश नहीं पहुंचा है. चांद के इस हिस्से के बारे में दुनिया को ज्यादा जानकारी नहीं है. इसरो प्रमुख के शिवन ने कहा कि ये एक ऐतिहासिक यात्रा की शुरुआत है.

सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश

इस मिशन को पूरा होने में करीब 50 दिन लगेंगे और चंद्रयान 6 या 7 सितंबर को चंद्रमा के दक्षिणी पोल पर पहुंचेगा. इस मिशन के बाद भारत चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन जाएगा. इससे पहले रूस, अमेरिका और चीन चांद की सतह पर पहुंच चुके हैं.

Chandrayan 2 orbiter
तस्वीर सौजन्य इसरोः ऑर्बिटर

ऑर्बिटर

चंद्रयान 2 का ऑर्बिटर सालों भर सक्रिय रहेगा लेकिन रोवर केवल 14 दिनों के लिए क्योंकि यह सौर ऊर्जा पर निर्भर है. ऑर्बिटर का वजन 2,379 किग्रा और इलेक्ट्रिक पावर जनरेशन क्षमता 1,000 वॉट है. लॉन्च के समय, चंद्रयान 2 ऑर्बिटर बयालू के साथ-साथ विक्रम लैंडर में भारतीय डीप स्पेस नेटवर्क (आईडीएसएन) के साथ संचार करने में सक्षम होगा. ऑर्बिटर सालभर सक्रिय रहेगा और इसे 100X100 किमी लंबी चंद्र ध्रुवीय कक्षा में रखा जाएगा. ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर के भेजे गए डेटा को पृथ्वी के स्टेशन पर भेजेगा.

Chandrayan lander
तस्वीर सौजन्य इसरोः लैंडर विक्रम

लैंडर विक्रम

लैंडर विक्रम का नाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है. चांद के नजदीक पहुंचने पर लैंडर चंद्रमा पर सॉफ्ट लैडिंग के लिए खुद को ऑर्बिटर से अलग करेगा. इसमें तीन मॉड्यूल एक कॉन्सेप्ट के जरिए एक साथ जुड़े हैं, जिसे मैकेनिकल इंटरफेस कहा जाता है. लैंडर विक्रम का वजन1,471 किग्रा और इलेक्ट्रिक पावर जनरेशन क्षमता 650 वॉट है. यह एक चंद्र दिन के लिए काम करने के लिए डिजाइन किया गया है, जो धरती के लगभग 14 दिनों के बराबर है. विक्रम के पास बंग्लुरू के पास बयालू में आईडीएसएन के साथ-साथ ऑर्बिटर और रोवर के साथ संवाद करने की क्षमता है. लैंडर को चंद्र सतह पर एक सॉफ्ट लैंडिंग के लिए डिजाइन किया गया है.

Chandrayan rover
तस्वीर सौजन्य इसरोः रोवर प्रज्ञान

रोवर प्रज्ञान

चांद पर भेजे गए रोवर का नाम प्रज्ञान है, इसका मतलब संस्कृत में बुद्धिमता है. यह पूर्ण रूप से स्वदेशी रोवर है. इसका वजन 27 किग्रा और इलेक्ट्रिक पावर जनरेशन क्षमता 50 वॉट है. ये 6 पहियों वाला रोबोट वाहन है, जो 500 मीटर तक यात्रा कर सकता है. यह केवल लैंडर के साथ संवाद कर सकता है. प्रज्ञान , लैंडर से चंद्रमा की सतह पर पूर्व दिशा में जाने के लिए निकलेगा. रोवर लैंडर से निकलेगा और आगे बढ़ते हुए आंकड़े इकट्ठा करेगा. यह चंद्रमा की सतह की कई तस्वीरें भी लेगा. रोवर चांद की सतह पर पहियों के सहारे चलेगा, मिट्टी और चट्टानों के नमूने एकत्र करेगा और उसके विश्लेषण के बाद डाटा को ऑर्बिटर के पास भेजेगा.

इस मिशन से क्या होगा

  • चंद्रमा पृथ्वी का सबसे निकटतम ब्रह्मांडीय पिंड है. लगभग 450 करोड़ सालों से यह पृथ्वी के चारों ओर घूम रहा है.
  • चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण से हम चंद्रमा और उसके वातावरण को बेहतर ढंग से समझ पाएंगे.
  • इस मिशन के जरिए भारत यह पता लगाने में सक्षम होगा कि क्या चांद की सतह पर खनन किया जा सकता है.
  • इससे ये भी पता चल सकेगा कि क्या चंद्रमा पर ईंधन भी है?

चंद्रयान 1 से कितना अलग है ये मिशन

  • भारत ने साल 2008 में चंद्रयान 1 के तहत चंद्रमा की कक्षा में एक उपग्रह लॉन्च किया था.
  • वर्तमान मिशन चंद्रयान 2 पहले मिशन की अगली कड़ी है.
  • चंद्रयान 2 में भारत चंद्रमा की सतह पर एक रोवर की सॉफ्ट लैडिंग करेगा.
  • अब तक केवल अमेरिका, रूस और चीन ने चंद्रमा पर सॉफ्ट लैडिंग की है.
  • मिशन चंद्रयान 2 सफल रहा तो भारत चांद पर उतरने वाले दुनिया के चौथे राष्ट्र के रूप में जाना जाएगा.

अब तक चांद की सैर

  • नील आर्मस्ट्रांग और बज एल्ड्रिन 1969 में चांद पर आए थे.
  • अब तक कुल 12 अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा पर उतर चुके हैं. वे चांद से चट्टान लेकर लाए और उन पर शोध किया.
  • संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस के बीच शीतयुद्ध के दौरान कई मानवयुक्त चंद्र मिशन हुए.
  • हालांकि 1950 के दशक के बाद से कई अंतरिक्ष यान चंद्रमा पर भेजे गए, लेकिन सिर्फ भारतीय चंद्र मिशन चंद्रयान 1 वहां पानी के निशान खोज सका.
    mecon and hec limited
    मेकॉन और एचईसी का दफ्तर

क्या है मेकॉन लिमिटेड

मेकॉन लिमिटेड भारत सरकार के इस्पात मंत्रालय के अधीन एक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी है. इसकी स्थापना साल1959 में की गई. यह भारत की फ्रंटलाइन इंजीनियरिंग, कंसल्टेंसी और कॉन्ट्रैक्टिंग ऑर्गनाइजेशन है, जो कॉन्सेप्ट से लेकर कमीशनिंग तक प्रोजेक्ट की स्थापना के लिए आवश्यक सेवाओं की पूरी श्रृंखला पेश करती है. मेकॉन करीब डेढ़ हजारअनुभवी और समर्पित इंजीनियरों, वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों के साथ एक बहु-विषयक फर्म है. मेकॉन ने भारतीय उद्योगों के विकास और विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

क्या है एचईसी

हेवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड, देश में इस्पात, खनन, रेलवे, बिजली, रक्षा, अंतरिक्ष अनुसंधान, परमाणु और रणनीतिक क्षेत्रों के लिए पूंजी उपकरणों के प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं में से एक है.इसकी स्थापना1958 में की गई. एचईसी मुख्यालय झारखंड की राजधानी रांची में स्थित है, और यहां इसकी निर्माण सुविधाएं भी हैं. स्वदेशी रूप से इस्पात संयंत्र उपकरणों के निर्माण की सुविधा के लिए स्थापित, एचईसी ने देश में इस्पात संयंत्रों की स्थापना, विस्तार और आधुनिकीकरण में काफी योगदान दिया है.

Intro:भारत ने मिशन chandrayaan-2 लॉन्च कर दिया है, जिसे इसरो के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के सेकंड लॉन्च पैड (एसएलपी) से लांच किया गया।

इस मिशन की सफलता पूर्वक लॉन्चिंग के बाद जहां देश खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा है वहीं रांची के लिए भी यह गौरव का क्षण है।

chandrayaan-2 जिसे सोमवार को दोपहर 2:45 पर श्रीहरिकोटा से लांच होने के बाद एचईसी एवं मेकॉन ने भी अपनी खुशी जाहिर की।



Body:आपको बता दें कि मिशन चंद्रयान 2 की लॉन्चिंग में रांची के मेकॉन कंपनी का बड़ा योगदान है जिसको लेकर मेकॉन कंपनी के सीएमडी अतुल भट्ट बताते हैं कि chandrayaan-2 के सेकंड लांच पैड (एसएलपी) का डिजाइन मेकॉन कंपनी के द्वारा तैयार किया गया था और उसमें रांची की ही एक और कंपनी एचईसी का मदद लिया गया था।

इस काम की शुरुआत 1999 में की गई थी जिसमें मेकॉन के 125 इंजीनियरों ने काम कर इस उपलब्धि को प्राप्त किया है।

वहीं इस उपलब्धि पर मेकॉन के सीएमडी अतुल भट्ट काफी गर्वित महसूस कर रहे हैं साथ ही उन्होंने बताया कि उम्मीद करते हैं कि आने वाले समय में मेकॉन ऐसे ही झारखंड और पूरे देश का नाम रोशन करता रहेगा।




Conclusion:वही भारत की इस महत्वाकांक्षी मिशन chandrayaan-2 के लॉन्चिंग में मेकॉन एवं एचईसी के योगदान को को देख रांची वासी ने भी अपनी खुशी जाहिर की।

राजधानी रांची के लोगों ने मैं कौन और एचईसी को ढेर सारी शुभकामनाएं और बधाइयां भी दी।

बाईट- अतुल भट्ट, सीएमडी, मेकॉन कंपनी।
बाईट- राजधानी वाशी।
Last Updated : Jul 22, 2019, 8:15 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.