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Doctors Day: कोरोना मरीजों की सेवा करते अपने जीवन की आहुति देने वाले डॉक्टर के परिजनों की चीत्कार, सुनिए सरकार - Prabhavati Hospital

डॉक्टर्स-डे (Doctors Day) पर आज हम धरती पर भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर्स को सम्मान दे रहे हैं. उन डॉक्टर्स को भी याद कर रहे हैं, जिन्होंने कोरोना काल में सेवा देते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए. लेकिन शहीद हुए उन चिकित्सकों का परिवार कैसा है, किस हाल में है. ईटीवी भारत (Etv Bharat) के माध्यम से जानिए, उन डॉक्टर्स के परिवार का हाल, जिन्होंने कोरोना मरीजों की सेवा करते हुए अपनी जीवन की आहुति दे दी.

Swikriti accused Jharkhand government of ignoring
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Published : Jul 1, 2021, 6:16 PM IST

Updated : Jul 1, 2021, 10:05 PM IST

रांचीः झारखंड सहित पूरे भारतवर्ष में आज का दिन हम डॉक्टर्स-डे (Doctors Day) के रूप में मना रहे हैं. ग्लोबल पेंडेमिक (Global Pandemic) कोरोना काल में डॉक्टर्स को कोई मसीहा बता रहा है तो कोई भगवान. कोई योद्धा तो कोई और उपमा देकर सम्मान कर रहा है. डॉक्टर्स-डे जैसे वार्षिक आयोजन पर ईटीवी भारत ना सिर्फ उन अमर शहीद डॉक्टरों को श्रद्धांजलि (Tribute to Martyr Doctors) देता है बल्कि जिन लोगों ने पेंडेमिक कोरोना में रोगियों की सेवा करते करते अपने प्राणों की भी आहुति दे दी. उनके परिवार किस हाल में हैं, क्या उन परिवारों को सरकार से कोई मदद मिली यह जानने की कोशिश भी ईटीवी भारत कर रहा है.

इसे भी पढ़ें- कोरोना से रिम्स के रेजिडेंट डॉक्टर की मौत, 72 घंटे में डॉक्टरों के हित में फैसला ले सरकार- JDA

पेंडेमिक में जान गंवाने वाले डॉ. बिनोद की बेटी के सवाल आपको परेशान करेगा
कोरोना काल (Corona Period) में शहीद हो गए डॉ. बिनोद कुमार सिंह की बेटी स्वीकृति की आंखों से आंसुओं की धार के साथ-साथ जो सवाल समाज और सरकार से है. वह एक बड़ा सवाल जंग लगी व्यवस्था और नीति नियंताओं के कथनी और करनी में अंतर को बताता है.

देखें पूरी खबर


स्वीकृति पूछती है कि क्या सरकार और आम लोगों की यही जवाबदेही है डॉक्टरों के लिए कि जीवन की जंग लड़ रहे डॉक्टर का कोई हाल चाल नहीं जाने. स्वीकृति पूछती है कि अहले सुबह 4 बजे से ही कोरोना मरीजों का HRCT, X-Ray की रिपोर्ट बनाने में लग जाने वाले उसके पिता ने तो अपनी जवाबदेही निभाई, पर क्या सरकार और समाज ने अपना फर्ज निभाया जब उनके पिता इस दुनिया में नहीं है.

रांची से लेकर हैदराबाद तक कराया इलाज
कोरोना के सेकेंड वेव (Second Wave of Corona) के दौरान 22 अप्रैल को रांची के प्रख्यात और तेजतर्रार रेडियोलाजिस्ट डॉ. बिनोद कुमार सिंह (Radiologist Dr. Binod Kumar Singh) को बुखार आया और फिर की गई जांच से पता चला कि उन्हें कोविड हुआ है. पहले प्रभावती हॉस्पिटल (Prabhavati Hospital) और फिर 7 मई को राज हॉस्पिटल (Raj Hospital) में भर्ती कराया गया, पर जब स्थिति बिगड़ती गयी तो एयरलिफ्ट (Airlift) कराकर परिवार वाले उनको हैदराबाद ले गए, जहां 7 जून को उनका निधन हो गया.

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स्व. डॉ. बिनोद का शोक संतप्त परिवार


रांची से हैदराबाद (Ranchi to Hyderabad) तक इलाज में एक करोड़ से ज्यादा खर्च करने के बाद भी एक परिवार में किसी ने पति तो किसी ने पिता को खो दिया, पर अभी तक सरकार का एक बाबू भी उनके दरवाजे पर नहीं पहुंचा कि जिनको हम योद्धा कहते हैं, उनके परिवार का हाल क्या है. दो छोटे बच्चे और पूर्ण रूप से गृहणी पत्नी कैसे घर चला रही हैं.

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दिवंगत डॉ. बिनोद की पुत्री
क्या कहना है IMA झारखंड काडॉ. बिनोद कुमार सिंह का परिवार राज्य का एकमात्र परिवार नहीं है, जिन्होंने कोरोना के इस काल में अपने किसी ना किसी पारिवारिक सदस्य की आहुति दी है. अब तक राज्य में कोविड के पहले वेव (First Wave) में 20 और सेकेंड वेव (Second Wave) में 41 डॉक्टर्स ने सेवा देते देते खुद संक्रमित हुए और अपनी शहादत दी है. उसमें से कई परिवार ऐसे हैं जिन्हें मदद की दरकार है, पर सरकारी नियम और कायदों के नाम पर महज 2 या 3 लोगों को ही मदद मिल सका है.
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दिवंगत डॉ. बिनोद कुमार सिंह

ऐसे में IMA झारखंड (IMA Jharkhand) की मांग मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Chief Minister Hemant Soren) से है कि वह डॉ. बिनोद के परिवार वालों की मदद के साथ-साथ अन्य वैसे डॉक्टर्स के परिवारवालों की मदद करें जिनकी मौत कोरोना से हुई है, इसमें निजी डॉक्टर (Private Doctor) और सरकारी डॉक्टर (Government Doctor) का भेद नहीं होना चाहिए.

इसे भी पढ़ें- कोरोना की दूसरी लहर में 400 से ज्यादा चिकित्सकों की मौत, जानें किस राज्य में कितनी गई जान

कोरोना काल में मारे चिकित्सकों के आंकड़े
कोरोना संक्रमण (Corona Infection) की दूसरी लहर में देशभर के 400 से ज्यादा डॉक्टर्स को अपनी जान गंवानी पड़ी है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian Medical Association) की ओर से जारी हालिया आंकड़ों को देखें तो कोरोना सेकेंड वेव (Corona Second Wave) से अब तक 420 डॉक्टर्स की मौत हुई है. जिसमें दिल्ली में सबसे ज्यादा 100 चिकित्सक अपनी जान गंवा बैठे. वहीं बिहार (Bihar) में अब तक कोरोना की वजह 96 डॉक्टर्स की मौत हुई है. कोरोना की पहली में IMA के अनुसार, 748 डॉक्टरों की मौत हुई थी. इस तरह कोविड महामारी के दौरान के कोरोना की दोनों लहर में अब तक 1,168 डॉक्टर्स की मौत हो चुकी है.

रांचीः झारखंड सहित पूरे भारतवर्ष में आज का दिन हम डॉक्टर्स-डे (Doctors Day) के रूप में मना रहे हैं. ग्लोबल पेंडेमिक (Global Pandemic) कोरोना काल में डॉक्टर्स को कोई मसीहा बता रहा है तो कोई भगवान. कोई योद्धा तो कोई और उपमा देकर सम्मान कर रहा है. डॉक्टर्स-डे जैसे वार्षिक आयोजन पर ईटीवी भारत ना सिर्फ उन अमर शहीद डॉक्टरों को श्रद्धांजलि (Tribute to Martyr Doctors) देता है बल्कि जिन लोगों ने पेंडेमिक कोरोना में रोगियों की सेवा करते करते अपने प्राणों की भी आहुति दे दी. उनके परिवार किस हाल में हैं, क्या उन परिवारों को सरकार से कोई मदद मिली यह जानने की कोशिश भी ईटीवी भारत कर रहा है.

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पेंडेमिक में जान गंवाने वाले डॉ. बिनोद की बेटी के सवाल आपको परेशान करेगा
कोरोना काल (Corona Period) में शहीद हो गए डॉ. बिनोद कुमार सिंह की बेटी स्वीकृति की आंखों से आंसुओं की धार के साथ-साथ जो सवाल समाज और सरकार से है. वह एक बड़ा सवाल जंग लगी व्यवस्था और नीति नियंताओं के कथनी और करनी में अंतर को बताता है.

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स्वीकृति पूछती है कि क्या सरकार और आम लोगों की यही जवाबदेही है डॉक्टरों के लिए कि जीवन की जंग लड़ रहे डॉक्टर का कोई हाल चाल नहीं जाने. स्वीकृति पूछती है कि अहले सुबह 4 बजे से ही कोरोना मरीजों का HRCT, X-Ray की रिपोर्ट बनाने में लग जाने वाले उसके पिता ने तो अपनी जवाबदेही निभाई, पर क्या सरकार और समाज ने अपना फर्ज निभाया जब उनके पिता इस दुनिया में नहीं है.

रांची से लेकर हैदराबाद तक कराया इलाज
कोरोना के सेकेंड वेव (Second Wave of Corona) के दौरान 22 अप्रैल को रांची के प्रख्यात और तेजतर्रार रेडियोलाजिस्ट डॉ. बिनोद कुमार सिंह (Radiologist Dr. Binod Kumar Singh) को बुखार आया और फिर की गई जांच से पता चला कि उन्हें कोविड हुआ है. पहले प्रभावती हॉस्पिटल (Prabhavati Hospital) और फिर 7 मई को राज हॉस्पिटल (Raj Hospital) में भर्ती कराया गया, पर जब स्थिति बिगड़ती गयी तो एयरलिफ्ट (Airlift) कराकर परिवार वाले उनको हैदराबाद ले गए, जहां 7 जून को उनका निधन हो गया.

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रांची से हैदराबाद (Ranchi to Hyderabad) तक इलाज में एक करोड़ से ज्यादा खर्च करने के बाद भी एक परिवार में किसी ने पति तो किसी ने पिता को खो दिया, पर अभी तक सरकार का एक बाबू भी उनके दरवाजे पर नहीं पहुंचा कि जिनको हम योद्धा कहते हैं, उनके परिवार का हाल क्या है. दो छोटे बच्चे और पूर्ण रूप से गृहणी पत्नी कैसे घर चला रही हैं.

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दिवंगत डॉ. बिनोद की पुत्री
क्या कहना है IMA झारखंड काडॉ. बिनोद कुमार सिंह का परिवार राज्य का एकमात्र परिवार नहीं है, जिन्होंने कोरोना के इस काल में अपने किसी ना किसी पारिवारिक सदस्य की आहुति दी है. अब तक राज्य में कोविड के पहले वेव (First Wave) में 20 और सेकेंड वेव (Second Wave) में 41 डॉक्टर्स ने सेवा देते देते खुद संक्रमित हुए और अपनी शहादत दी है. उसमें से कई परिवार ऐसे हैं जिन्हें मदद की दरकार है, पर सरकारी नियम और कायदों के नाम पर महज 2 या 3 लोगों को ही मदद मिल सका है.
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दिवंगत डॉ. बिनोद कुमार सिंह

ऐसे में IMA झारखंड (IMA Jharkhand) की मांग मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Chief Minister Hemant Soren) से है कि वह डॉ. बिनोद के परिवार वालों की मदद के साथ-साथ अन्य वैसे डॉक्टर्स के परिवारवालों की मदद करें जिनकी मौत कोरोना से हुई है, इसमें निजी डॉक्टर (Private Doctor) और सरकारी डॉक्टर (Government Doctor) का भेद नहीं होना चाहिए.

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कोरोना संक्रमण (Corona Infection) की दूसरी लहर में देशभर के 400 से ज्यादा डॉक्टर्स को अपनी जान गंवानी पड़ी है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian Medical Association) की ओर से जारी हालिया आंकड़ों को देखें तो कोरोना सेकेंड वेव (Corona Second Wave) से अब तक 420 डॉक्टर्स की मौत हुई है. जिसमें दिल्ली में सबसे ज्यादा 100 चिकित्सक अपनी जान गंवा बैठे. वहीं बिहार (Bihar) में अब तक कोरोना की वजह 96 डॉक्टर्स की मौत हुई है. कोरोना की पहली में IMA के अनुसार, 748 डॉक्टरों की मौत हुई थी. इस तरह कोविड महामारी के दौरान के कोरोना की दोनों लहर में अब तक 1,168 डॉक्टर्स की मौत हो चुकी है.

Last Updated : Jul 1, 2021, 10:05 PM IST
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