रांची (झारखंड): चारा घोटाले में सजाफ्ता बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी के मामले में कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी है. हालांकि लालू यादव को अब भी जेल में रहना होगा. बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर बढ़ी सरगर्मी के बीच समर्थक उनके बाहर निकलने का इंतजार कर रहे हैं. लालू यादव बिहार चुनाव में सक्रिय हिस्सेदारी ले पाएंगे, इस पर अभी संशय बना हुआ है.
शुक्रवार को झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश अपरेश कुमार सिंह की अदालत में लालू यादव की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई. लालू यादव के अधिवक्ता की ओर से बताया गया कि उन्हें चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी मामले में 5 साल की सजा दी गई है. वह इस सजा की आधा अवधि जेल में बिता चुके हैं और उनका स्वास्थ्य भी ठीक नहीं है. लिहाज उन्हें जमानत दी जाए. इस बीच सीबीआई की ओर से जमानत का विरोध किया गया लेकिन अदालत ने उसे नहीं माना. अदालत ने जमानत की अपील मंजूर करते हुए दो लाख रुपये जमा करने को कहा है.
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दुमका कोषागार से अवैध निकासी मामले में सीबीआई की अदालत से लालू यादव को 7 साल की सजा दी है. इस मामले में फिलहाल जमानत नहीं मिली है. इसकी वजह से उन्हें फिलहाल जेल में ही रहना होगा. लालू यादव के वकील प्रभात कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि दुमका केस में सजा की आधी अवधि 9 नवंबर को पूरी होगी. तब इस मामले में भी जमानत की अपील की जाएगी. इसके बाद लालू यादव जेल से बाहर आ सकेंगे.
क्या है चारा घोटाला
27 जनवरी 1996 को पश्चिम सिंहभूम जिले में पशुधन विभाग पर तत्कालीन उपायुक्त अमित खरे के छापे के दौरान पता चला कि चारा सप्लाई के नाम पर जिन कंपनियों को भुगतान किया गया था, उन कंपनियों का अस्तित्व ही नहीं था. जांच में अलग अलग कोषागारों से करीब 950 करोड़ रुपए का घोटाला पाया गया. उस वक्त झारखंड बिहार से अलग नहीं हुआ था और राज्य में राष्ट्रीय जनता दल की सरकार थी. विपक्ष ने तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि इतना बड़ा घोटाला सरकार की मिलीभगत के बिना नहीं हो सकता. उन्होंने घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की. 11 मार्च 1996 को पटना हाईकोर्ट ने घोटाले की जांच सीबीआई को ट्रांसफर करने के आदेश दिए. सीबीआई ने जांच के बाद लालू यादव सहित 55 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की, जिसमें धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धाराएं थीं. 27 जुलाई 1997 को लालू यादव ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर 30 जुलाई को सीबीआई कोर्ट के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. 5 अक्टूबर 2001 को सुप्रीम कोर्ट ने नया राज्य झारखंड बनने के बाद मामला यहां स्थानांतरित कर दिया. 30 सितंबर 2013 को रांची में सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायाधीश प्रवास कुमार सिंह ने दो पूर्व मुख्यमंत्रियों लालू यादव और जगन्नाथ मिश्र समेत 45 लोगों को दोषी करार दिया. लालू यादव पर झारखंड में चारा घोटाले के 4 मामले चल रहे हैं, जिसमें से तीन मामले में सजा दी गई है. लालू की तीनों सजा एक साथ चल रही है.
केस नंबर एक
- चाईबासा कोषागार से 37.7 करोड़ और 33.67 रुपए की अवैध निकासी
- 3 अक्टूबर 2013 को सजा का ऐलान
- दोनों मामलों में लालू यादव को 5-5 साल की सजा
- पहले मामले में 13 दिसंबर 2013 को सुप्रीम कोर्ट से जमानत
- दूसरे मामले में 9 अक्टूबर 2020 को हाईकोर्ट से बेल
केस नंबर दो
- देवघर कोषागार से 84.53 लाख रुपए की अवैध निकासी
- 23 दिसंबर 2017 को सजा का एलान
- लालू यादव को साढ़े तीन साल की सजा
- 12 जुलाई 2019 को हाईकोर्ट से जमानत
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केस नंबर तीन
- दुमका कोषागार से 3.13 करोड़ रुपए की अवैध निकासी
- 24 मार्च 2018 को सजा का एलान
- 2 धाराओं में लालू को 7-7 साल की सजा और 60 लाख जुर्माना
- 9 नवंबर 2020 के बाद करेंगे जमानत याचिका दायर
केस नंबर चार
- डोरंडा कोषागार से 139 करोड़ रुपए की अवैध निकासी
- सीबीआई की विशेष अदालत में सुनवाई जारी
- विशेष न्यायाधीश एसके शशि की अदालत में मामला
लालू यादव 23 दिसंबर 2017 से रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय जेल में हैं और खराब स्वास्थ्य के कारण रिम्स में इलाज करवा रहे हैं. लालू यादव को शुगर, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट, किडनी प्रॉब्लम के साथ करीब एक दर्जन बीमारियों ने चपेट में ले रखा है. इन दिनों रिम्स में कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज किया जा रहा है लिहाजा लालू यादव को रिम्स निदेशक के आवास केली बंगले में रखा गया है. बिहार चुनाव के मद्देनजर इन दिनों केली बंगले के आस पास बिहार नंबर प्लेट की गाड़ियों का आना जाना बढ़ गया है. इसके साथ ही लालू के समर्थक उनसे मिलने की आस में घंटों इंतजार करते रहते हैं. बहरहाल, समर्थकों का ये इंतजार कब खत्म होगा और लालू प्रसाद यादव कब रिहा होंगे ये 9 नवंबर के बाद ही पता चल सकेगा.