रांची: झारखंड सरकार प्रवासी श्रमिकों का सुध लेने के लिए श्रम आयुक्त मुथुकुमार के नेतृत्व में एक टीम लेह लद्दाख की दुर्गम क्षेत्रों में भेजने जा रही है. 28 अक्टूबर टीम लेह लद्दाख के लिए रवाना होगी. जहां दुर्गम इलाकों में काम कर रहे मजदूरों से टीम उनकी समस्या को ना केवल जानेगी, बल्कि उसका समाधान भी करने की कोशिश करेगी. टीम में एडिशनल लेबर कमिश्नर एसएस पाठक, पॉलिसी एंड डेवलपमेंट एडवाइजरी ग्रुप के संस्थापक अरिंदम बनर्जी, फिया फाउंडेशन के जॉनसन टोपनो शामिल हैं.
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लेह लद्दाख में बीआरओ की सड़क योजनाओं में काम कर रहे झारखंड के 1620 मजदूरों की समस्या और वास्तविक स्थिति का जायजा श्रम आयुक्त मुथुकुमार के नेतृत्व में टीम वहां जाकर करेगी. संताली इलाके के सैकड़ों श्रमिक दशकों से हर साल लेह लद्दाख जैसे दुर्गम इलाकों में काम की तलाश के लिए जाते हैं. पिछले साल जून में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दुमका से हरी झंडी दिखाकर सैकड़ों मजदूरों को लेह लद्दाख के लिए रवाना किया था. इस दौरान मजदूरों की सुरक्षा, सम्मान और कल्याण की शर्तों पर एमओयू भी हुए थे.
श्रम विभाग के पास प्रवासी मजदूरों का डाटा नहीं
लेह के लिए रवाना हो रहे मजदूरों से मुख्यमंत्री ने खुद बात की थी. उस दौरान उन्होंने कहा था कि झारखंड के बाहर जानेवाले सभी श्रमिकों का रिकॉर्ड सरकार के पास रहेगा. जिसके लिए निबंधन अनिवार्य होगा. लेकिन कुछ समय के बाद यह सारी व्यवस्था समाप्त हो गई. हालत यह है कि श्रम विभाग को पता ही नहीं है कि झारखंड से बाहर कितने प्रवासी मजदूर हैं और कितने वापस झारखंड आ गए हैं. टीम में शामिल फिया फांउडेशन के जॉनसन टोपनो की मानें तो यह पहली बार होगा जब राज्य सरकार प्रवासी मजदूरों का सुध लेने के लिए लेह लद्दाख जैसे क्षेत्र में टीम जाएगी.