रांचीः अलग झारखंड राज्य के लिए आंदोलन करने वाले स्वर्गीय बिनोद बिहारी को झारखंड के पितामह का दर्जा देने की मांग जोर पकड़ने लगी है. इस मांग के साथ कुरमी/कुड़मी विकास मोर्चा ने 23 सितंबर को धनबाद स्थित बिनोद बिहारी महतो के पैतृक आवास से राजभवन तक पैदल मार्च निकालने की घोषणा की है.
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इसकी जानकारी कुरमी/कुड़मी विकास मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष शीतल ओहदार ने रांची में प्रेस वार्ता कर दी. उन्होंने कहा कि झारखंड अलग राज्य के निर्माण में बिनोद बिहारी महतो का अहम योगदान रहा है. इसके बावजूद आज तक बिनोद बिहारी महतो को झारखंड आंदोलनकारी का दर्जा नहीं मिल पाया है.
कुरमी/कुड़मी विकास मोर्चा ने राज्य सरकार से बिनोद बिहारी महतो को झारखंड पितामाह का दर्जा देने की जोरदार मांग की है. इसके अलावा राजभवन, विधानसभा और रांची के किसी चौक में उनकी आदमकद प्रतिमा स्थापित कर सम्मान देने की मांग की है. साथ ही झारखंड के पाठ्यक्रम में उनकी जीवनी को शामिल करने की भी मांग की गई है.
झारखंड अलग राज्य बनाने के लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा ने लंबे समय तक आंदोलन चलाया था. लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि झारखंड मुक्ति मोर्चा की नींव बिनोद बिहारी महतो ने रखी थी. वह पार्टी के पहले अध्यक्ष बने थे, जबकि शिबू सोरेन महासचिव थे. इससे पहले वह करीब 25 साल तक कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य थे.
दूसरी तरफ महाजनी प्रथा के खिलाफ धान काटो अभियान चलाने पर लोगों ने शिबू सोरेन को दिशोम गुरू यानी दसों दिशाओं का गुरू कहना शुरू कर दिया. उसके बाद से शिबू सोरेन को गुरूजी भी कहा जाने लगा. लेकिन कुरमी समाज का मानना है कि अलग झारखंड के लिए आंदोलन करने वाले बिनोद बिहारी महतो की भूमिका सबसे अहम थी, फिर भी उनको वो सम्मान अज तक नहीं मिल सका, जिसके वो हकदार थे.