रांची: देश के किसानों की आय बढ़ाने के लिए कई तरह के कवायद सरकारी और गैर सरकारी स्तरों पर होता रहा है, लेकिन किसान आज भी मौसम और अपनी मेहनत के भरोसे खेतों में पसीना बहा रहे हैं. हाल के दिनों में किसानों की कर्जमाफी का मुद्दा भले ही शांत हो गया हो, लेकिन राज्य सरकार द्वारा खोले जाने वाले कृषक पाठशाला (krishak Pathshala) खूब सुर्खियां बटोर रहा है. कृषक पाठशाला का रुपरेखा क्या होगा वो अभी विभागीय फाइलों में उलझा हुआ है. इतना तो साफ है कि सरकार ने बजटीय उपबंधों के अनुरूप राज्यभर में कृषक पाठशाला खोलने का मन बना लिया है.
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क्या है कृषक पाठशाला
हेमंत सोरेन सरकार ने कृषक पाठशाला योजना शुरू करने का निर्णय लिया है. अगले तीन सालों में 100 कृषक पाठशाला को धरातल पर उतारने की योजना है. इसके तहत हर प्रखंडों में ऐसा प्रशिक्षण केन्द्र होगा, जहां ना केवल किसानों को आधुनिक खेती के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा, बल्कि वहां नए-नए कृषि उत्पाद, उपकरण और मार्केटिंग व्यवस्था को भी प्रदर्शित की जाएगी. कृषि सचिव अबू बकर सिद्दीकी की मानें तो किसानों के लिए ये बड़ा प्लेटफार्म होगा, जिससे खेती से लेकर मार्केटिंग तक की किसानों को जानकारी मिलेगी. वहीं कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा है कि सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए कृतसंकल्पित है, जिसके तहत जहां कृषि विज्ञान केन्द्र नहीं है वहां पर जरूर कृषक पाठशाला खोले जाएंगे.
15 नवंबर से होगी कृषक पाठशाला की शुरुआत
कृषक पाठशाला को अंतिम रूप देने में जुटे कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार मसौदा पूरी तरह तैयार होने के बाद कैबिनेट में भेजा जाएगा, जिसके बाद विभाग द्वारा इसकी शुरुआत की जाएगी. वहीं कृषि सचिव अबू बकर सिद्दीकी के अनुसार 15 नवंबर राज्य स्थापना दिवस से इसकी शुरुआत करने की तैयारी चल रही है.
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विपक्ष ने जताया संदेह
कृषक पाठशाला योजना का उद्देश्य कृषि को उद्योग और जीविका के साथ-साथ संस्कृति से जोड़ना है. कृषि विभाग ने इस योजना का प्रारूप भी तैयार कर लिया है. हालांकि राज्य के मुख्य विपक्षी दल बीजेपी को राज्य सरकार की कथनी और करनी पर संदेह है. बीजेपी महामंत्री आदित्य साहु ने सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि घोषणा तो बहुत होती रही है, लेकिन जमीन पर सरकार उतार नहीं पाती है.
किसानों को होगा फायदा
आमतौर पर किसानों को उनके उत्पाद का सही मूल्य नहीं मिलने की शिकायत होते रहती है. इसके अलावा जानकारी के अभाव में किसान आधुनिक खेती के बजाय पारंपरिक खेती करते रहते हैं, जिससे लागत की तूलना में उपज काफी कम होती है. इन सारी असुविधाओं को ध्यान में रखकर सरकार ने योजना बनाई है. यदि सही से इसे जमीन पर उतारा जाय तो वाकई किसानों के लिए लाभदायक होगा यह बिरसा कृषक पाठशाला.