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भारत को जगमग करता दामोदर वैली कॉरपोरेशन! जानिए कहां होता है कितनी बिजली का उत्पादन - Jharkhand news

देश आजाद हुआ तो यहां बिजली की कमी तो पूरा करने के लिए 1948 में डीवीसी की स्थापना की गई. इसके तहत सबसे पहले बोकारो में पावर प्लांट लगाया गया. तब डीवीसी का लक्ष्य ना सिर्फ बिजली उत्पादन था बल्कि स्थानीय स्थानीय ग्रामीण क्षेत्रों के विकास करना भी था. क्या डीवीसी अपने इस उद्देश्य में कामयाब हो पाई है, जानिए इस रिपोर्ट में.

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Published : Jul 28, 2022, 4:45 PM IST

रांची: झारखंड में सबसे पहले 1953 में बोकारो थर्मल पावर प्लांट की स्थापना की गई. इसके बाद डीवीसी का विस्तार होता चला गया. इसकी स्थापना के पीछे उद्देश्य विद्युत उत्पादन के अलावा स्थानीय ग्रामीण क्षेत्रों का विकास के साथ साथ भूमि संरक्षण, सिंचाई और जमीन रैयतों को पुर्नवासित करना था.

ये भी पढ़ें: 2047 तक हर घर में 24 घंटे मिलेगी बिजली, कोडरमा थर्मल पावर प्लांट में लगेंगे 800 मेगावाट के दो यूनिट

अमेरिका की 'टेनेसी घाटी प्राधिकरण' के आधार पर भारत में दामोदर घाटी परियोजना के तहत 7 जुलाई 1948 को दामोदर घाटी निगम की स्थापना की गई. दामोदर घाटी परियोजना भारत की ऐसी पहली परियोजना है, जहां कोयला, जल और गैस तीनों स्रोतों से विद्युत उत्पन्न की जाती है. झारखंड में सबसे पहले 1953 में बोकारो थर्मल पावर की स्थापना की गई. इसके बाद डीवीसी का कार्य विस्तार होता चला गया. इसकी स्थापना के पीछे उद्देश्य विद्युत उत्पादन के अलावा स्थानीय ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के साथ साथ भूमि संरक्षण, सिंचाई और जमीन रैयतों को पुर्नवासित करना था.

कुछ हद तक डीवीसी ने अपने उद्देश्यों में सफलता पाई है. मगर आज भी बोकारो, मैथन के जमीन रैयत अपनी अधिकार की लड़ाई लड़ रहे हैं. मूल परियोजना में सात प्रमुख बांधों का निर्माण किया जाना था, लेकिन DVC ने केवल चार बांध तिलैया, मैथन, कोनार और पंचेत का निर्माण किया गया. इन डैम से डीवीसी बिजली उत्पादित कर करार के अनुसार झारखंड सरकार को बेचती है. राज्य में बोकारो, रामगढ़, हजारीबाग, चतरा, कोडरमा, गिरिडीह धनबाद और धनबाद डीवीसी कमांड एरिया क्षेत्र में आता है, जिसमें बिजली डीवीसी के द्वारा मुहैया कराई जाती है.

इन क्षेत्रों में बिजली बकाया भुगतान का विवाद राज्य सरकार के साथ डीवीसी का लंबे समय से चला आ रहा है. तीन बार सीधे झारखंड सरकार के आरबीआई खाते से राशि की कटौती हो चुकी है. जानकारी के अनुसार अब तक 2800 करोड़ रुपए से अधिक की कटौती हो चुकी है. झारखंड सरकार पर अभी भी डीवीसी 4000 करोड़ रुपए का बकाया होने का दावा कर रही है.

डीवीसी के अंतर्गत महत्वपूर्ण परियोजनाएं: डीवीसी के अंतर्गत 8 बांध और एक बड़ा बैराज बनाया गया है. यह बराकार नदी पर मैथन बांध, बालपहाड़ी पर तेलैया बांध, दामोदर नदी पर पंचेत हिल, मैथन, ऐयर बर्मो बांध, बोकारो नदी पर बोकारो बांध, कोनार नदी पर कोनार बांध और दुर्गापुर के पास एक बड़ा बैराज बनाया गया है.

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डीवीसी की महत्वपूर्ण परियोजनाएं

डीवीसी के जनसंपर्क पदाधिकारी अभय भयंकर के अनुसार डीवीसी की वर्तमान समय में उत्पादन क्षमता 8000 मेगावाट है. मांग के अनुरूप उत्पादन डीवीसी द्वारा की जाती है. सुखद बात यह है कि लगातार करीब पांच वर्षों से घाटा में होने के बाद चेयरमैन आर एन सिंह के कुशल नेतृत्व में बीते वित्तीय वर्ष 2021-22 में डीवीसी ने करीब 1000 करोड़ का लाभ प्राप्त कर प्रोफिटेबल कंपनी बन गई है.

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डीवीसी की महत्वपूर्ण परियोजनाएं

डीवीसी की आगामी कार्य योजना: करीब 7000 स्थायी अधिकारी-कर्मचारियों के भरोसे कार्य कर रही डीवीसी ने झारखंड को फोकस कर भविष्य की वृहत कार्ययोजना बनाई है. इसके तहत थर्मल, सोलर और हाइडल तीनों क्षेत्र में कार्ययोजना बनाई गई है. डीवीसी के अधिकारियों के अनुसार 1600 मेगावाट थर्मल पावर उत्पादन करने के लिए कोडरमा में स्वीकृति मिली है. इसके अलावा गोमिया लुगु पहाड़ में 2500 मेगावाट का पंप स्टोरेज के लिए सर्वे कार्य चल रहा है, वहीं राज्य के विभिन्न स्थानों में 30 मेगावाट सोलर पावर उत्पादन के लिए फ्लोटिंग और रूफ टॉप सिस्टम तैयार किया जा रहा है.

रांची: झारखंड में सबसे पहले 1953 में बोकारो थर्मल पावर प्लांट की स्थापना की गई. इसके बाद डीवीसी का विस्तार होता चला गया. इसकी स्थापना के पीछे उद्देश्य विद्युत उत्पादन के अलावा स्थानीय ग्रामीण क्षेत्रों का विकास के साथ साथ भूमि संरक्षण, सिंचाई और जमीन रैयतों को पुर्नवासित करना था.

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अमेरिका की 'टेनेसी घाटी प्राधिकरण' के आधार पर भारत में दामोदर घाटी परियोजना के तहत 7 जुलाई 1948 को दामोदर घाटी निगम की स्थापना की गई. दामोदर घाटी परियोजना भारत की ऐसी पहली परियोजना है, जहां कोयला, जल और गैस तीनों स्रोतों से विद्युत उत्पन्न की जाती है. झारखंड में सबसे पहले 1953 में बोकारो थर्मल पावर की स्थापना की गई. इसके बाद डीवीसी का कार्य विस्तार होता चला गया. इसकी स्थापना के पीछे उद्देश्य विद्युत उत्पादन के अलावा स्थानीय ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के साथ साथ भूमि संरक्षण, सिंचाई और जमीन रैयतों को पुर्नवासित करना था.

कुछ हद तक डीवीसी ने अपने उद्देश्यों में सफलता पाई है. मगर आज भी बोकारो, मैथन के जमीन रैयत अपनी अधिकार की लड़ाई लड़ रहे हैं. मूल परियोजना में सात प्रमुख बांधों का निर्माण किया जाना था, लेकिन DVC ने केवल चार बांध तिलैया, मैथन, कोनार और पंचेत का निर्माण किया गया. इन डैम से डीवीसी बिजली उत्पादित कर करार के अनुसार झारखंड सरकार को बेचती है. राज्य में बोकारो, रामगढ़, हजारीबाग, चतरा, कोडरमा, गिरिडीह धनबाद और धनबाद डीवीसी कमांड एरिया क्षेत्र में आता है, जिसमें बिजली डीवीसी के द्वारा मुहैया कराई जाती है.

इन क्षेत्रों में बिजली बकाया भुगतान का विवाद राज्य सरकार के साथ डीवीसी का लंबे समय से चला आ रहा है. तीन बार सीधे झारखंड सरकार के आरबीआई खाते से राशि की कटौती हो चुकी है. जानकारी के अनुसार अब तक 2800 करोड़ रुपए से अधिक की कटौती हो चुकी है. झारखंड सरकार पर अभी भी डीवीसी 4000 करोड़ रुपए का बकाया होने का दावा कर रही है.

डीवीसी के अंतर्गत महत्वपूर्ण परियोजनाएं: डीवीसी के अंतर्गत 8 बांध और एक बड़ा बैराज बनाया गया है. यह बराकार नदी पर मैथन बांध, बालपहाड़ी पर तेलैया बांध, दामोदर नदी पर पंचेत हिल, मैथन, ऐयर बर्मो बांध, बोकारो नदी पर बोकारो बांध, कोनार नदी पर कोनार बांध और दुर्गापुर के पास एक बड़ा बैराज बनाया गया है.

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डीवीसी की महत्वपूर्ण परियोजनाएं

डीवीसी के जनसंपर्क पदाधिकारी अभय भयंकर के अनुसार डीवीसी की वर्तमान समय में उत्पादन क्षमता 8000 मेगावाट है. मांग के अनुरूप उत्पादन डीवीसी द्वारा की जाती है. सुखद बात यह है कि लगातार करीब पांच वर्षों से घाटा में होने के बाद चेयरमैन आर एन सिंह के कुशल नेतृत्व में बीते वित्तीय वर्ष 2021-22 में डीवीसी ने करीब 1000 करोड़ का लाभ प्राप्त कर प्रोफिटेबल कंपनी बन गई है.

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डीवीसी की महत्वपूर्ण परियोजनाएं

डीवीसी की आगामी कार्य योजना: करीब 7000 स्थायी अधिकारी-कर्मचारियों के भरोसे कार्य कर रही डीवीसी ने झारखंड को फोकस कर भविष्य की वृहत कार्ययोजना बनाई है. इसके तहत थर्मल, सोलर और हाइडल तीनों क्षेत्र में कार्ययोजना बनाई गई है. डीवीसी के अधिकारियों के अनुसार 1600 मेगावाट थर्मल पावर उत्पादन करने के लिए कोडरमा में स्वीकृति मिली है. इसके अलावा गोमिया लुगु पहाड़ में 2500 मेगावाट का पंप स्टोरेज के लिए सर्वे कार्य चल रहा है, वहीं राज्य के विभिन्न स्थानों में 30 मेगावाट सोलर पावर उत्पादन के लिए फ्लोटिंग और रूफ टॉप सिस्टम तैयार किया जा रहा है.

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