रांची: झारखंड में महागठबंधन की सरकार में मुख्य घटक झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भारतीय जनता पार्टी पर सरकार को अस्थिर करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है (JMM accuses BJP of destabilizing government). झामुमो का कहना है कि इसके लिए बीजेपी ईडी, सीबीआई जैसी संवैधानिक संस्थाओं को दुरुपयोग कर रही है और विधायकों पर दवाब बना कर प्रलोभन दे रही है. दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी ने हेमंत सरकार को लेकर बनी भ्रम की स्थिति के लिए मुख्यमंत्री और महागठबंधन को ही जिम्मेदार बताते हुए कहा है कि विपक्षी दल होने के चलते भाजपा की नजर हर राजनीतिक घटनाक्रम पर है, परंतु इसके पीछे भाजपा नहीं है.
झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता और सोरेन परिवार के बेहद करीबी विनोद पांडे ने महाराष्ट्र का हवाला देते हुए कहा कि वहां क्या हुआ. पहले ईडी-सीबीआई के नोटिस से लेकर कार्रवाई कर शिवसेना के विधायकों पर दवाब बनाया गया और फिर प्रलोभन देकर शिवसेना में तोड़ कराकर बीजेपी सत्ता पर काबिज हो गयी. वहीं, भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता सरोज सिंह ने कहा कि जनता की आकांक्षाओं पर फेल सरकार के मुखिया बेवजह भाजपा पर आरोप लगा रहे हैं, उन्होंने कहा कि क्या भाजपा ने मुख्यमंत्री को कहा था कि वह अपने नाम पर खनन लीज ले लें.
बीजेपी ने कहा कि बिहार में क्या हुआ, किसे साजिश रचकर सत्ता से बाहर कर दिया गया. चुनाव पूर्व समझौता के बाद चुनाव में वहां की जनता ने NDA को अपार बहुमत दिया था, फिर वहां NDA की सरकार किसने गिरा दी. उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार को अस्थिर नहीं करना चाहती लेकिन अपनी कमी को छिपाने के लिए UPA के नेता भाजपा पर अनर्गल आरोप मढ़ रहे हैं.
राज्य में मनरेगा घोटाला, साहिबगंज में खनन मामला में ईडी की कार्रवाई को लेकर पहले से ही झामुमो और कांग्रेस के नेताओं के निशाने पर भाजपा रही है. झामुमो-कांग्रेस के नेताओं का आरोप है कि भाजपा और केंद्र सरकार के इशारे पर ईडी और सीबीआई काम कर रही है. राज्य की सरकार को अस्थिर करने के पीछे भी भाजपा की ही साजिश है, जिसका खुलासा कांग्रेस के तीन विधायकों के पास से मिली बड़ी रकम मामले के तार असम से जुड़ने से हो चुका है.