रांची: झारखंड राज्य सजा पुनरीक्षण पर्षद की ओर से 5 आजीवन सजायाफ्ता बंदियों को असमय कारा से मुक्ति के पूर्व काउंसलर पचानन सिंह, एक्सपर्ट मीडिएटर, डालसा, रांची-सह-आर्ट ऑफ लिविंग के प्रशिक्षक बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा रांची में किया गया. काउंसलिंग के दौरान सभी आजीवन सजा प्राप्त कैदियों को जेल से बाहर निकलने के बाद अपने आचरण में परिवर्तन लाने, परिवार और समाज के साथ सामंजस्य स्थापित करने, स्वस्थ्य रहने और अपने जीवकोर्पाजन के लिए खेती और दूसरे काम करने की सलाह दी गई.
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काउंसलर पंचानन सिंह ने आजीवन सजायाफ्ता बंदियों को यह भी सलाह दी कि अपने आप को उपयोगी बनायें. आजीवन सजायाफ्ता बंदियों में मुख्य रूप से महाबीर भगत, लोहरदगा, जो कि 17 साल से जेल में थे, बैजो हांसदा, चाईबासा, जो कि 16 साल से जेल में थे, जुबैल सबैयां, 17 वर्ष से जेल में थे, महेष सिंह लोहरा, जो कि 16 वर्ष से जेल में थे, कृष्णा उरांव, गुमले के रहने वाले जो कि 17 वर्ष से कारा में बंद थे. सभी बंदियों ने संकल्प दोहराया कि जेल से बाहर निकलने के बाद एक अच्छी भूमिका निभायेंगे. एक अच्छा नागरिक बनेंगे और कोई भी ऐसा काम नहीं करेंगे जिससे दोबारा जेल में आना पड़े.
यह कार्यक्रम झारखंड सरकार कारा निरीक्षालय के निर्देषानुसार आयोजित किया गया था. काउंसलिंग कार्यक्रम को अभिषेक कुमार, सचिव डालसा, रांची की ओर से भी संबोधित किया गया. इस अवसर पर पंचानन सिंह, एक्सपर्ट मीडिएटर-सह- प्रषिक्षक आर्ट ऑफ लिविंग, अभिषेक कुमार, सचिव डालसा, रांची हामिद अख्तर, जेल अधीक्षक और जेलर संयुक्त रूप से उपस्थित रहे.