रांची: रक्षाबंधन के लिए राज्य खादी बोर्ड की ओर से तसर सिल्क की कोरोना फ्री राखियां तैयार की जा रही है. ये राखियां पर्यावरण के लिहाज से भी अच्छी हैं. साथ ही महिलाओं को इससे रोजगार भी मिला है. बाजार में इन हैंड मेड राखियों की डिमांड भी बहुत है.
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रक्षाबंधन को लेकर राजधानी रांची में कई स्तर पर तैयारियां की जा रही हैं.भाइयों की कलाई तक राखियां पहुंचे और लोग सुरक्षित रहें इसे देखते हुए झारखंड राखी निर्माण के दौरान भी एहतियातन सुरक्षात्मक कई कदम उठाए जा रहे हैं. इस कड़ी में राज्य खादी ग्रामोद्योग बोर्ड में राखियां बनाने के दौरान महिलाएं फिजिकल डिस्टेंस मेंटेन कर रही हैं. यहां सभी के लिए मास्क पहनना और सेनेटाइजर इस्तेमाल करना जरूरी है. वहीं, तैयार राखियों को सेनेटाइज करने के बाद ही पैक किया जा रहा है.
सुरक्षा का रखा जाता है पूरा ख्याल
काम शुरू करने से पहले सभी का टेंपरेचर चेक होता है. इसके साथ ही मास्क पहनना भी जरूरी होता है. महिलाएं साबुन से हाथ धोने और हैंड सेनेटाइजर का इस्तेमाल करने के बाद ही राखी बनाने का सामान छूती हैं.
खादी बोर्ड के राखियों की है डिमांड
प्रत्येक साल राखी के दौरान खादी बोर्ड उद्योग की तैयार राखियों की डिमांड बाजार में काफी होती है. सही मायने में राजधानी रांची के बाजार में चीन से मंगाए गए राखियों को टक्कर खादी बोर्ड द्वारा तैयार किए गए यह राखियां ही देती हैं. इस बार तो चीन की राखियां बाजार में उपलब्ध नहीं है. खादी बोर्ड की राखी तसर सिल्क के धागे से बनती है, इसमें मोती, फ्लावर, रेशम के धागे और बीट्स लगाए जाते हैं. बता दें कि पिछले कुछ सालों में चीन से आने वाली प्लास्टिक की राखियों का बाजार पर कब्जा रहा है. लेकिन इस बार देसी राखियों की डिमांड ज्यादा है.