रांची: झारखंड राज्य अनुबंध कर्मचारी महासंघ ने सरकार के वादाखिलाफी पर नाराजगी जताते हुए आंदोलन की चेतावनी दी है. महासंघ के केन्द्रीय समिति सदस्य महेश कुमार सोरेन ने कहा कि महागठबंधन सरकार के लगभग 2 वर्ष पूरे होने वाले हैं. 20 अक्टूबर 2019 को तत्कालीन विरोधी दल के नेता और वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य के अनुबंध कर्मचारियों को उनकी मांगों को पूरा करने का भरोसा दिया था.
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सीएम हेमंत ने राज्य के सभी अनुबंध कर्मचारियों के लिए समान काम समान वेतन और स्थायीकरण करने का वादा किया था. महासंघ ने सरकार पर दवाब बनाने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के द्वारा दिए गए आश्वासन का ऑडियो वीडियो जारी किया है. संविदा संवाद की दूसरी वर्षगांठ है. विकास आयुक्त झारखंड की अध्यक्षता में संविदा कर्मियों की समस्याओं के समाधान और सेवा शर्तों में सुधार के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति का भी 18 अगस्त 2021 को एक वर्ष पूरे हो चुके हैं. जिसका अब तक कोई फलाफल नहीं निकला है. महासंघ ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा दिए गए आश्वासन का ऑडियो वीडियो क्लीप जारी कर सरकार पर दवाब बनाने की कोशिश की है.
सरकार पर संविदाकर्मियों को छलने का आरोप
झारखंड राज्य अनुबंध कर्मचारी महासंघ ने सरकार पर संविदाकर्मियों को छलने का आरोप लगाया है. महासंघ ने सरकार पर संविदाकर्मियों के साथ हुए समझौते, चुनावी वादे और चुनावी घोषणा पत्र का एक भी काम धरातल पर नहीं होने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है वादा पूरा नहीं करने के कारण राज्य के 6 लाख से अधिक अनुबंध पर कार्यरत कर्मियों में आक्रोश बढ़ रहा है. सहायक पुलिसकर्मी लगातार बारिश में डटे हैं, पारा शिक्षकों को डेट पर डेट देकर छला जा रहा है. पोषण सखियों को एक साल से अधिक समय से मानदेय नहीं दिया गया है, मनरेगाकर्मियों, NRHM, BRC, CRC के साथ एक वर्ष पहले हुए वार्ता का कोई फलाफल नहीं निकला है. बाल संरक्षण, समाज कल्याण, मॉडल स्कूल सहित विभिन्न विभागों के कर्मियों में सरकार के क्रिया- कलाप से काफी नाराजगी है.
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उच्चतम न्यायालय के फैसले का नहीं हो रहा अनुपालन
उमा देवी बनाम कर्नाटक सरकार के वाद में उच्चतम न्यायालय ने संविदाकर्मियों के स्थायीकरण से सम्बंधित फैसले का भी झररखंड में अनुपालन नहीं हो रहा है. सरकार की धीमी कार्य शैली से लाखों उम्मीदवारों का भविष्य अंधकारमय हो गया है. राज्य में अफसरशाही इस कदर हावी है कि सारे काम तो अनुबंधकर्मियों से लिए जाते हैं. लेकिन पर्व त्योहार में भी इनको पारिश्रमिक नहीं मिलता है.
आंदोलन के मूड में अनुबंधकर्मी
अनुबंधकर्मियों को दुख इस बात का है कि जिस सरकार को बनाने नौकरी हथेली पर लेकर काम किया, वह सरकार भी पुरानी सरकार की राह पर चल कर उसके भावना के साथ खिलवाड़ कर रही है. सरकार की इस वादाखिलाफी से पूरे झारखंड में एक बार फिर जोरदार आंदोलन की चिंगारी धधक रही है. अनुबंधकर्मी अब फिर मंत्री, विधायक के आवास घेराव, धरना प्रदर्शन कर सरकार की नाकामियों और धोखेबाजी को आम जनता के बीच ले जाएंगे. आने वाला विधानसभा सत्र और स्थापना दिवस में भी यह मुद्दा उठेगा.