ETV Bharat / city

Jharkhand Assembly Winter Session: अजब झारखंड की गजब राजनीति, सदन के बाहर कई माननीय खास लेकिन सदन के अंदर आम - झारखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र

झारखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू होने जा रहा है. विपक्ष सरकार को घेरने के मूड में है. विपक्ष के पास कई मुद्दे भी हैं. वहीं सदन के अंदर इस बार नजारा कुछ अलग होगा. पक्ष और विपक्ष के कुछ नेता हैं जो सदन के बाहर पार्टी के लिए बेहद खास हैं लेकिन वो सदन के अंदर आम नजर आएंगे.

jharkhand politics having different shades
झारखंड विधानसभा का शीतकालीन
author img

By

Published : Dec 15, 2021, 2:03 PM IST

रांचीः झारखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र 16 दिसंबर से शुरू होने जा रहा है. हर बार की तरह इस बार भी सबके जेहन में एक ही सवाल है कि क्या यह सत्र सुचारू रूप से चल पाएगा या हंगामे की भेंट चढ़ेगा. क्या प्रश्नकाल में जनहित के मुद्दे उठेंगे या हो-हंगामे के बीच सरकार विधायी कार्य निपटाकर निकल जाएगी. इन सवालों के जवाब तो 17 दिसंबर को मिल पाएंगे क्योंकि 16 दिसंबर को पहले दिन शोक प्रकाश के बाद कार्यवाही स्थगित हो जाएगी.

ये भी पढ़ेंः छोटा होता जा रहा है झारखंड विधानसभा का सत्र, जानिए क्या है वजह

विपक्ष सरकार को घेरने की पूरी तैयारी में है. विपक्ष के पास जेपीएससी पीटी रिजल्ट विवाद, पेट्रोल-डीजल पर वैट कम करने, विधानसभा में नमाज कक्ष आवंटन मामला, देवघर डीसी के खिलाफ चुनाव आयोग और हाई कोर्ट की सख्ती का मामला जैसे मुद्दे हैं. साथ ही जेएसएससी की नियुक्ति नियमावली का मसला भी सदन में उठना तय है.

इन सवालों के बीच इस बार सदन के भीतर का नजारा बदला-बदला नजर आएगा. अब तक सदन के बाहर भाजपा विधायक दल के नेता की हैसियत रखने वाले बाबूलाल मरांडी को निर्दलीय की कुर्सी से ही काम चलाना पड़ रहा है. उनके हक के लिए पिछले सभी सत्रों में भाजपा सवाल उठाती रही है. इस बीच मॉनसून सत्र के बाद आहूत हो रहे शीतकालीन सत्र में प्रदीप यादव और बंधु तिर्की भी चर्चा में रहेंगे. दरअसल, कांग्रेस ने प्रदीप यादव को कांग्रेस विधायक दल का उपनेता बनाया है जबकि बंधु तिर्की को कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिल चुकी है. फिर भी सदन के भीतर दोनों की स्थिति निर्दलीय विधायक के रूप में ही रहने वाली है. इसकी वजह साफ है. तीनों विधायकों से जुड़ा दल बदल का मामला स्पीकर के ट्रिब्यूनल में चल रहा है. यानी सदन के बाहर तीन विधायकों का कद कुछ और होगा और सदन के भीतर कुछ और.

झारखंड बनने के बाद ऐसा पहली बार हो रहा है कि अब तक सदन को नेता प्रतिपक्ष नहीं मिल पाया है. इसपर सत्ता पक्ष की दलील होती है कि भाजपा को किसी दूसरे वरिष्ठ नेता को विधायक दल का नेता मनोनीत कर लेना चाहिए. इसकी वजह से सत्र शुरू होने से पहले स्पीकर द्वारा बुलायी जाने वाली सर्वदलीय बैठक में भाजपा शामिल नहीं होती है. हालाकि विधानसभा की तरफ से भाजपा के वरिष्ठ नेता के रूप में सीपी सिंह को आमंत्रित किया जाता रहा है.

अबतक सिर्फ बाबूलाल मरांडी ही एक मात्र ऐसे नेता थे जो सदन के बाहर पार्टी के बड़े ओहदे के बावजूद सदन के भीतर अलग-थलग दिखते थे. इस कड़ी में अब प्रदीप यादव और बंधु तिर्की का नाम भी जुड़ जाएगा.

रांचीः झारखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र 16 दिसंबर से शुरू होने जा रहा है. हर बार की तरह इस बार भी सबके जेहन में एक ही सवाल है कि क्या यह सत्र सुचारू रूप से चल पाएगा या हंगामे की भेंट चढ़ेगा. क्या प्रश्नकाल में जनहित के मुद्दे उठेंगे या हो-हंगामे के बीच सरकार विधायी कार्य निपटाकर निकल जाएगी. इन सवालों के जवाब तो 17 दिसंबर को मिल पाएंगे क्योंकि 16 दिसंबर को पहले दिन शोक प्रकाश के बाद कार्यवाही स्थगित हो जाएगी.

ये भी पढ़ेंः छोटा होता जा रहा है झारखंड विधानसभा का सत्र, जानिए क्या है वजह

विपक्ष सरकार को घेरने की पूरी तैयारी में है. विपक्ष के पास जेपीएससी पीटी रिजल्ट विवाद, पेट्रोल-डीजल पर वैट कम करने, विधानसभा में नमाज कक्ष आवंटन मामला, देवघर डीसी के खिलाफ चुनाव आयोग और हाई कोर्ट की सख्ती का मामला जैसे मुद्दे हैं. साथ ही जेएसएससी की नियुक्ति नियमावली का मसला भी सदन में उठना तय है.

इन सवालों के बीच इस बार सदन के भीतर का नजारा बदला-बदला नजर आएगा. अब तक सदन के बाहर भाजपा विधायक दल के नेता की हैसियत रखने वाले बाबूलाल मरांडी को निर्दलीय की कुर्सी से ही काम चलाना पड़ रहा है. उनके हक के लिए पिछले सभी सत्रों में भाजपा सवाल उठाती रही है. इस बीच मॉनसून सत्र के बाद आहूत हो रहे शीतकालीन सत्र में प्रदीप यादव और बंधु तिर्की भी चर्चा में रहेंगे. दरअसल, कांग्रेस ने प्रदीप यादव को कांग्रेस विधायक दल का उपनेता बनाया है जबकि बंधु तिर्की को कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिल चुकी है. फिर भी सदन के भीतर दोनों की स्थिति निर्दलीय विधायक के रूप में ही रहने वाली है. इसकी वजह साफ है. तीनों विधायकों से जुड़ा दल बदल का मामला स्पीकर के ट्रिब्यूनल में चल रहा है. यानी सदन के बाहर तीन विधायकों का कद कुछ और होगा और सदन के भीतर कुछ और.

झारखंड बनने के बाद ऐसा पहली बार हो रहा है कि अब तक सदन को नेता प्रतिपक्ष नहीं मिल पाया है. इसपर सत्ता पक्ष की दलील होती है कि भाजपा को किसी दूसरे वरिष्ठ नेता को विधायक दल का नेता मनोनीत कर लेना चाहिए. इसकी वजह से सत्र शुरू होने से पहले स्पीकर द्वारा बुलायी जाने वाली सर्वदलीय बैठक में भाजपा शामिल नहीं होती है. हालाकि विधानसभा की तरफ से भाजपा के वरिष्ठ नेता के रूप में सीपी सिंह को आमंत्रित किया जाता रहा है.

अबतक सिर्फ बाबूलाल मरांडी ही एक मात्र ऐसे नेता थे जो सदन के बाहर पार्टी के बड़े ओहदे के बावजूद सदन के भीतर अलग-थलग दिखते थे. इस कड़ी में अब प्रदीप यादव और बंधु तिर्की का नाम भी जुड़ जाएगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.