रांची: झारखंड में नक्सलियों के सबसे बड़े और गढ़ बुलबुल जंगल और बूढ़ा पहाड़ में सेंधमारी कर चुकी झारखंड पुलिस अब नक्सलियों के अर्थतंत्र पर चोट देने की तैयारी कर रही है. इसके लिए बाकायदा नक्सलियों की कमाई का ब्यौरा भी जुटाया जा रहा है. झारखंड का सबसे बड़ा नक्सली संगठन भाकपा माओवादी पुलिस के ताबड़तोड़ की गई कार्रवाई से बैकफुट पर है. झारखंड पुलिस के अधिकारी यह जानते हैं कि उनकी सफलता तभी और बेहतरीन साबित होगी जब नक्सलियों के अर्थतंत्र पर ब्रेक लगाया जा सकेगा.
झारखंड पुलिस के प्रवक्ता सह आईजी अभियान अमोल वी होमकर के अनुसार किसी भी प्रतिबंधित नक्सल संगठन के लिए उनका अर्थ तंत्र खास महत्व रखता है. सीधी कार्रवाई के साथ-साथ अगर झारखंड पुलिस नक्सलियों के अर्थ तंत्र पर ब्रेक लगाने में कामयाब हो जाती है तो बहुत हद तक इस नक्सली संगठन पर ग्रहण लगाया जा सकता है. झारखंड पुलिस वैसे तमाम लोग जो सफेदपोश बनकर नक्सलियों के लिए फंडिंग कर रहे हैं या फिर उनकी आर्थिक मदद करवा रहे हैं उन्हें टारगेट कर रही है.
स्पेशल टीम कर रही काम: नक्सलियों के द्वारा कमाई गई अकूत संपत्ति का पता लगाने के लिए झारखंड पुलिस मुख्यालय ने एक विशेष सेल का गठन किया है. स्पेशल टीम गिरफ्तार और समर्पण करने वाले नक्सलियों की सहायता से वर्तमान समय में सक्रिय बड़े से लेकर छोटे नक्सलियों के आय का ब्यौरा जुटा रही है. यह पता लगाया जा रहा है कि नक्सलियों ने कहां-कहां अपनी काली कमाई को इंवेस्ट किया है.
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झारखंड पुलिस नहीं देना चाहती कोई मौका: झारखंड पुलिस अब नक्सली संगठनों कोई मौका नहीं देना चाहती है. पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष और बेहतरीन टीम वर्क के साथ नक्सली संगठनों को बड़ी चोट देने की बेहतरीन तैयारी ने पुलिस को बड़ी बड़ी सफलता दिलवाई है. इस साल आठ फरवरी से लेकर अब तक झारखंड के लातेहार और लोहरदगा जिले में चले अभियान में झारखंड पुलिस और केंद्रीय बलों ने मिलकर नक्सलियों की कमर तोड़ दी है. अभियान में नक्सलियों के लिए सबसे सुरक्षित क्षेत्र माने जाने वाले बुलबुल जंगल से नक्सलियों का सफाया हो गया है. इस अभियान में कुल 18 बड़े नक्सली पकड़े गए हैं जबकि पुलिस ने 28 से ज्यादा अत्याधुनिक हथियार 2000 से ज्यादा कारतूस और नक्सलियों के उपयोग में आने वाले हजारों सामान बरामद किए हैं.
ईडी-एनआईए की मिल रही मदद: नक्सलियों के अर्थतंत्र पर नकेल कसने के लिए एनआईए और ईडी भी झारखंड पुलिस के साथ हैं. झारखंड में नक्सली संगठनों को अर्थतंत्र को तोड़ने के लिए राज्य पुलिस प्रवर्तन निदेशालय और एनआईए दोनों की मदद ले रही है. राज्य पुलिस मुख्यालय ने दो दर्जन से अधिक भाकपा नक्सलियों की संपत्ति की जानकारी जुटाई है. इसमें से कई माओवादियों की संपत्ति यूएपीए एक्ट के तहत राज्य पुलिस ने जब्त भी की है, लेकिन राज्य पुलिस मुख्यालय ने अब प्रिवेंशन ऑफ मनी लाउंड्रिंग एक्ट के तहत कार्रवाई के लिए दो दर्जन से अधिक माओवादियों पर कार्रवाई का प्रस्ताव तैयार किया है. जिन उग्रवादियों की संपति पूर्व में जब्त की गई है, उनके खिलाफ मनी लाउंड्रिंग का मामला भी दर्ज किया जाएगा.
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34 उग्रवादियों की संपत्ति हुई हो चुकी है जब्त: झारखंड पुलिस और एनआईए ने भाकपा माओवादियों और दूसरे उग्रवादी समूहों से जुड़े उग्रवादियों की संपत्ति भी यूएपीए एक्ट के तहत जब्त की है. भाकपा माओवादियों के 14, टीपीसी के 10 और पीएलएफआई के 4 उग्रवादियों की संपत्ति पुलिस ने जब्त की है. वहीं एनआईए ने टीपीसी के 6 उग्रवादियों की संपत्ति जब्त की है. पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों के मुताबिक, कुल 34 कांडों में लोहरदगा में एक, हजारीबाग में दो, चतरा में नौ, गिरिडीह में चार, खूंटी में तीन, बोकारो में एक, रांची में एक, पलामू में नौ, लातेहार में पांच, सिमडेगा में एक, गढ़वा में एक, रामगढ़ में एक कांड में यूएपीए एक्ट के तहत नक्सलियों की संपत्ति जब्त की गई.
एनआईए और ईडी की भी भूमिका अहम: झारखंड में नक्सलियों पर नकेल कसने में राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए और ईडी की महत्वपूर्ण भूमिका है. नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए एनआईए को कुल 19 केस सौंपे गए हैं. इन कांडों में हजारीबाग के एक, लातेहार के तीन, रांची के पांच, चतरा के चार, गिरिडीह के दो, पलामू के एक, सरायकेला और चाईबासा के एक केस शामिल हैं. जबकि राज्य पुलिस ने 25 लाख से ऊपर की लेवी से जुड़े कांडों की सूची और कार्रवाई का निवेदन ईडी से किया है. ईडी को 10 कांडों की सूची भेजी गई है. भाकपा माओवादियों के खिलाफ 8, टीपीसी के खिलाफ एक और पीएलएफआई के खिलाफ एक केस की जांच का प्रस्ताव ईडी को भेजा गया है.