रांचीः बीजेपी के झरिया विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक और धनबाद के चर्चित नीरज सिंह हत्या मामले (Neeraj Singh Murder Case) के आरोपी संजीव सिंह के द्वारा दायर याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) के न्यायाधीश संजय कुमार द्विवेदी की अदालत ने फैसला सुना दिया है. अदालत ने राज्य सरकार को पूर्व विधायक संजीव सिंह (Ex MLA Sanjeev Singh) को दुमका जेल से 2 सप्ताह के अंदर धनबाद जेल में शिफ्ट करने का आदेश दिया है. अदालत ने यह फैसला वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनाया है. मामले की सुनवाई पहले ही पूरी कर ली गई थी और आदेश सुरक्षित रख लिया गया था.
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पूर्व विधायक संजीव सिंह ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दुमका जेल से धनबाद जेल स्थानांतरित करने की गुहार लगाई थी. वहीं राज्य सरकार की ओर से पूर्व विधायक की याचिका को खारिज करने को लेकर भी याचिका दायर की गई थी. अदालत ने राज्य सरकार के याचिका को खारिज कर पूर्व विधायक की याचिका को स्वीकृत किया था. राज्य सरकार को 2 सप्ताह में पूर्व विधायक को धनबाद जेल में शिफ्ट करने का आदेश दिया है.
पूर्व विधायक के अधिवक्ता ने अदालत में दी दलील
अदालत में सुनवाई के दौरान पूर्व विधायक के अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट और झारखंड हाई कोर्ट के आदेशों का हवाला दिया गया था. उन्होंने कहा कि विधायक अभी विचाराधीन कैदी हैं और विचाराधीन कैदी को बिना अदालत की अनुमति के सरकार जहां उनका ट्रायल चल रहा है, वहां से दूसरे जगह नहीं भेज सकती है, लेकिन झारखंड सरकार के अधिकारियों ने बिना कोर्ट की अनुमति के ही संजीव सिंह को धनबाद जेल से दुमका केंद्रीय कारा भेज दिया.
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संजीव सिंह ने धनबाद के निचली कोर्ट में दाखिल की थी याचिका
सुप्रीम कोर्ट और झारखंड हाई कोर्ट ने निर्धारित किया है कि सीआरपीसी की धारा 309 के प्रावधानों के तहत विचाराधीन कैदी को संबंधित जिले के जेल में रखा जाता है, क्योंकि समय-समय पर न्यायालय में उसकी उपस्थित दर्ज होती है. ऐसे में बिना निचली कोर्ट की अनुमति के विचाराधीन कैदी को किसी स्थान या जेल में नहीं भेजा जा सकता. संजीव सिंह की ओर से दुमका जेल भेजने के आदेश के खिलाफ धनबाद की निचली कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. निचली अदालत ने सरकार के अधिकारियों को आदेश दिया था कि, वादी को तत्काल धनबाद जेल वापस लाया जाए, लेकिन उक्त आदेश का अनुपालन नहीं किया गया. उन्हें दुमका जेल में रखा जाना अवैध व गैरकानूनी है. इसलिए उन्हें वापस धनबाद जेल लाना चाहिए.
सरकार के अधिवक्ता ने किया पूर्व विधायक के अधिवक्ता के दलील का विरोध
वहीं सरकार के ओर से अधिवक्ता ने अदालत में पूर्व विधायक के अधिवक्ता के दलील का विरोध करते हुए कहा था कि सरकार बिना किसी अनुमति के विचाराधीन कैदी को दूसरे जेल में स्थानांतरित कर सकती है. उसके बाद निचली अदालत से अनुमति ली जाती है. ऐसे में सरकार के द्वारा दिए गए आदेश किसी भी तरह से गलत नहीं है. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रखा था. उसी आदेश को सुनाया गया है.