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बच्चों से संबंधित कानून को लेकर हाई कोर्ट गंभीर, सरकार को 4 सप्ताह के अंदर रिपोर्ट पेश करने का आदेश - रांची ऑब्जर्वेशन होम

बच्चों से संबंधित बनाए गए कानून का पालन करने को लेकर बचपन बचाओ नाम के संस्था द्वारा दायर जनहित याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद 4 सप्ताह में सरकार को विस्तृत शपथ पत्र के माध्यम से बिंदुवार जवाब पेश करने का आदेश दिया है.

Jharkhand High court
झारखंड हाई कोर्ट
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Published : Feb 15, 2020, 5:06 AM IST

रांची: बच्चों से संबंधित बनाए गए कानून का पालन करने को लेकर बचपन बचाओ नाम के संस्था द्वारा दायर जनहित याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश डॉक्टर रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में मामले पर सुनवाई हुई. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद 4 सप्ताह में सरकार को विस्तृत शपथ पत्र के माध्यम से बिंदुवार जवाब पेश करने का आदेश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 4 सप्ताह बाद होगी.

देखिए पूरी खबर

बाल संरक्षण आयोग के रिक्त पद को भरें

अदालत में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत को जानकारी दी कि झारखंड राज्य बाल संरक्षण आयोग में न ही अध्यक्ष हैं और न ही सदस्य हैं. ऐसी स्थिति में यहां पर किस तरह से बच्चों के संबंधित कानून का संरक्षण होगा या इसका लाभ बच्चों को मिलेगा. इस पर अदालत ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सरकार को 4 सप्ताह में राज्य बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष और सदस्य के पद की नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ कर अदालत को अवगत कराने का आदेश दिया है.

ये भी पढ़ें: वेलेंटाइन डे पर सांसद निशिकांत दुबे ने बैजल बाबा को किया नमन, हेमंत सोरेन पर की कटाक्ष

बाल कल्याण में नियुक्ति प्रक्रिया बताएं

बाल कल्याण समिति के सदस्यों का मार्च में पद रिक्त होने बिंदु पर अदालत का ध्यान आकृष्ट कराते हुए याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि पद रिक्त होने से पूर्व ही अगर नियुक्ति की प्रक्रिया कर ली जाए और उस पर नियुक्ति भी कर दी जाए तो बच्चों के कल्याण संबंधी कार्य में कभी बाधाएं नहीं आएगी. जिस पर अदालत ने राज्य सरकार को कमेटी के सदस्यों की नियुक्ति संबंधी क्या प्रावधान है. उस पर 4 सप्ताह में जवाब पेश करने का आदेश दिया है.

ऑब्जर्वेशन होम निरीक्षण कमिटी कार्यरत है या नहीं

रांची ऑब्जर्वेशन होम से नारकोटिक्स मिलने की समाचार स्थानीय समाचार में आने पर अदालत ने सरकार से पूछा कि ऑब्जर्वेशन होम की देखरेख के लिए जो सरकार के पास कमेटी होती है. वह कमेटी काम कर रही है या नहीं. अदालत ने पूछा कि ऑब्जर्वेशन होम की निरीक्षण करने वाली कमेटी की क्या स्थिति है. समय-समय पर जांच की जा रही है या नहीं. जांच की जा रही है इस पर विस्तृत रिपोर्ट अदालत में पेश करने का आदेश दिया है. स्थानीय समाचार पत्र में छपा था कि रांची के ऑब्जर्वेशन होम से भारी मात्रा में नारकोटिक्स की बरामदगी हुई है.

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री हैबिटेशन के लिए क्या कर रही है सरकार

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अनूप अग्रवाल ने अदालत को बताया कि रेस्क्यू ऑपरेशन में बचाए गए 700 बच्चे की री हैबिटेशन की क्या स्थिति है यह स्पष्ट नहीं हो पा रही है. जिस पर अदालत ने सरकार को पूछा है कि सरकार रेस्क्यू ऑपरेशन से बचाए गए बच्चों के लिए क्या क्या कर रहे हैं. उसके लिए जो योजनाएं सरकार के द्वारा बनाई गई है उस योजनाओं का लाभ उन्हें मिलती है या नहीं. इसकी पूरी विस्तृत जानकारी कोर्ट में शपथ पत्र के माध्यम से पेश करने का आदेश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 4 सप्ताह बाद होगी.

रांची: बच्चों से संबंधित बनाए गए कानून का पालन करने को लेकर बचपन बचाओ नाम के संस्था द्वारा दायर जनहित याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश डॉक्टर रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में मामले पर सुनवाई हुई. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद 4 सप्ताह में सरकार को विस्तृत शपथ पत्र के माध्यम से बिंदुवार जवाब पेश करने का आदेश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 4 सप्ताह बाद होगी.

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बाल संरक्षण आयोग के रिक्त पद को भरें

अदालत में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत को जानकारी दी कि झारखंड राज्य बाल संरक्षण आयोग में न ही अध्यक्ष हैं और न ही सदस्य हैं. ऐसी स्थिति में यहां पर किस तरह से बच्चों के संबंधित कानून का संरक्षण होगा या इसका लाभ बच्चों को मिलेगा. इस पर अदालत ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सरकार को 4 सप्ताह में राज्य बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष और सदस्य के पद की नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ कर अदालत को अवगत कराने का आदेश दिया है.

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बाल कल्याण में नियुक्ति प्रक्रिया बताएं

बाल कल्याण समिति के सदस्यों का मार्च में पद रिक्त होने बिंदु पर अदालत का ध्यान आकृष्ट कराते हुए याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि पद रिक्त होने से पूर्व ही अगर नियुक्ति की प्रक्रिया कर ली जाए और उस पर नियुक्ति भी कर दी जाए तो बच्चों के कल्याण संबंधी कार्य में कभी बाधाएं नहीं आएगी. जिस पर अदालत ने राज्य सरकार को कमेटी के सदस्यों की नियुक्ति संबंधी क्या प्रावधान है. उस पर 4 सप्ताह में जवाब पेश करने का आदेश दिया है.

ऑब्जर्वेशन होम निरीक्षण कमिटी कार्यरत है या नहीं

रांची ऑब्जर्वेशन होम से नारकोटिक्स मिलने की समाचार स्थानीय समाचार में आने पर अदालत ने सरकार से पूछा कि ऑब्जर्वेशन होम की देखरेख के लिए जो सरकार के पास कमेटी होती है. वह कमेटी काम कर रही है या नहीं. अदालत ने पूछा कि ऑब्जर्वेशन होम की निरीक्षण करने वाली कमेटी की क्या स्थिति है. समय-समय पर जांच की जा रही है या नहीं. जांच की जा रही है इस पर विस्तृत रिपोर्ट अदालत में पेश करने का आदेश दिया है. स्थानीय समाचार पत्र में छपा था कि रांची के ऑब्जर्वेशन होम से भारी मात्रा में नारकोटिक्स की बरामदगी हुई है.

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री हैबिटेशन के लिए क्या कर रही है सरकार

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अनूप अग्रवाल ने अदालत को बताया कि रेस्क्यू ऑपरेशन में बचाए गए 700 बच्चे की री हैबिटेशन की क्या स्थिति है यह स्पष्ट नहीं हो पा रही है. जिस पर अदालत ने सरकार को पूछा है कि सरकार रेस्क्यू ऑपरेशन से बचाए गए बच्चों के लिए क्या क्या कर रहे हैं. उसके लिए जो योजनाएं सरकार के द्वारा बनाई गई है उस योजनाओं का लाभ उन्हें मिलती है या नहीं. इसकी पूरी विस्तृत जानकारी कोर्ट में शपथ पत्र के माध्यम से पेश करने का आदेश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 4 सप्ताह बाद होगी.

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