रांचीः सिविल कोर्ट के चर्चित वकील मनोज झा हत्याकांड के आरोपी इमदाद अंसारी को हाई कोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया है(Jharkhand High Court rejected bail plea of Imdad). कोर्ट ने आरोपी की याचिका को खारिज कर दिया है. हत्याकांड के आरोपी इमदाद अंसारी की जमानत याचिका पर सुनवाई पूरी होने के बाद झारखंड हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था. उसी फैसले को सुनाते हुए शुक्रवार को उसकी अर्जी खारिज कर दी.
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जमानत याचिका खारिजः झारखंड हाईकोर्ट के न्ययाधीश रत्नाकर भेंगरा की अदालत में इस मामले पर सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई के दौरान बहस करते हुए झारखंड हाई कोर्ट के वकील हेमंत शिकरवार ने अदालत को बताया कि मनोज झा पेशे से वकील थे. उनकी हत्या इसलिए की गई, क्योंकि वे अपने क्लाइंट का केस लड़ रहे थे. केस छोड़ने के लिए उन्हें धमकी दी जा रही थी.
आरोपी इमदाद अंसारी की ओर से अधिवक्ता बीके ओझा ने बहस की. बता दें कि पिछले वर्ष रांची सिविल कोर्ट के वकील मनोज झा की तमाड़ में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस हत्याकांड में कई लोगों को आरोपी बनाया गया है, जो फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं. दो आरोपियों की जमानत याचिका हाई कोर्ट पहले ही खारिज कर चुकी है.
14 एकड़ के जमीन विवाद में हुई थी हत्याः अधिवक्ता की हत्या संत जेवियर संस्था की 14 एकड़ जमीन की वजह से हुई थी. इस हत्याकांड का मुख्य आरोपी अशरफ लंगड़ा माओवादी महाराजा प्रमाणिक का शागिर्द है. लंगड़ा भी नक्सल संगठन से जुड़ा हुआ था, नक्सल घटनाओं को भी अंजाम दे चुका है. लंगड़ा के अलावा अबतक पकड़े गए अपराधियों में सोनू और इमदाद हैं, जिसने अधिवक्ता को गोली मारी थी. लंगड़ा की गिरफ्तारी से पहले रांची पुलिस ने तमाड़ के रड़गांव के रहने वाले सोनू अंसारी, इमदाद अंसारी, गांगो के रहने वाले रिजवान अंसारी, सरायकेला जिले के इचागढ़ थाना क्षेत्र के नोयाडीह के रहने वाले संजीत मांझी और पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले के बलरामपुर थाना क्षेत्र के रसुलडीह के रहने वाले शकील अंसारी को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है.
जेल में रची गई थी अधिवक्ता की हत्या की साजिशः अधिवक्ता मनोज झा की हत्या की साजिश जेल में रची गई थी. जिस समय अधिवक्ता ने संत जेवियर संस्था की जमीन का केस जीता था और पुलिस-प्रशासन की मदद से जमीन पर कब्जा किया था, उस समय अपराधी अशरफ जेल में था. जेल में रहते हुए उसने गिरोह तैयार किया और अधिवक्ता की हत्या की साजिश रची. इस घटना में गिरफ्तार सभी अपराधी जेल में ही बंद थे. सभी को 14 एकड़ जमीन में हिस्सा देने का वादा किया था. हिस्सा तभी मिलता जब अधिवक्ता को रास्ते से हटा देते.