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झारखंड हाई कोर्ट ने सरकार के आदेश को किया निरस्त, कहा- 4 सप्ताह में दें प्रमोशन - प्रमोशन पर पर झारखंड हाई कोर्ट का फैसला

झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के उस आदेश को निरस्त कर दिया है, जिसके तहत सरकार ने प्रमोशन पर रोक लगा दी थी. कोर्ट ने सरकार को अगले 4 सप्ताह में प्रमोशन देने का आदेश दिया है.

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झारखंड हाई कोर्ट
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Published : Jan 13, 2022, 12:18 PM IST

Updated : Jan 13, 2022, 7:09 PM IST

रांचीः झारखंड हाई कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है. न्यायाधीश डॉ एसएन पाठक की अदालत ने राज्य सरकार के दिसंबर 2020 में प्रोन्नति पर लगाए गए रोक के आदेश को निरस्त कर दिया है. कोर्ट ने सरकार को 4 सप्ताह में प्रोन्नति देने का आदेश दिया है. अदालत ने कहा कि सरकार कुछ लोगों को प्रोन्नति दे और कुछ को रोक दे, यह दो तरह की नीति नहीं चलेगी. यह कहते हुए अदालत ने प्रोन्नति पर लगी रोक को निरस्त कर दिया है.

ये भी पढ़ें- 7वीं से 10वीं जेपीएससी मुख्य परीक्षा पर रोक लगाने से डबल बेंच का इनकार, तय समय पर होंगे एग्जाम

सरकार का आदेश निरस्त: अदालत ने राज्य सरकार के 24 दिसंबर 2020 को कर्मचारियों की प्रोन्नति पर लगाई गई रोक के आदेश को निरस्त कर दिया है. एकल पीठ ने अपने फैसले में कहा है कि जिनका डीपीसी हो गया है, उन्हें 4 सप्ताह में प्रोन्नति दें. जो कर्मचारी इस बीच में बिना प्रोन्नति पाए सेवानिवृत्त हो गए हैं, उन पदाधिकारियों को उनकी प्रोन्नति की तिथि से प्रोन्नति का सभी लाभ दिया जाए. अदालत ने कहा कि यह अनुच्छेद 16 का हनन करता है. डिप्टी कलेक्टर से एसडीओ में प्रोन्नति, इंस्पेक्टर से डीएसपी में प्रोन्नति, कार्मिक विभाग गृह विभाग एवं अन्य अधिकारियों की प्रोन्नति से संबंधित याचिका झारखंड हाई कोर्ट में दायर थी.

जानकारी देते अधिवक्ता

झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश डॉक्टर एसएन पाठक की अदालत में मामले पर सुनवाई हुई थी. अदालत ने कई बार इस मामले पर सुनवाई के उपरांत राज्य सरकार को प्रोन्नति पर निर्णय लेने का निर्देश भी दिया था. अदालत के बार-बार निर्देश के बावजूद सरकार का टालमटोल वाला रवैया बना रहा. अदालत ने कई बार मामले में मुख्य सचिव को हाजिर होने का निर्देश दिया. लेकिन सरकार की ओर से कोई सकारात्मक पहल नहीं हुई. उसके बाद अदालत ने मामले की सुनवाई पूरी कर आदेश सुरक्षित रख लिया था.

पूर्व में अदालत में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया था कि कुछ अधिकारियों का डीपीसी हो गया है. लेकिन अधिसूचना जारी नहीं की जा रही है. यह गलत है. राज्य सरकार ने डीपीसी करने के बाद प्रोन्नति पर रोक लगा दी है. प्रोन्नति अधिकारियों का अधिकार है. इस पर सरकार रोक नहीं लगा सकती है. यह असंवैधानिक है. अनुच्छेद 16 का हनन है.

ये भी पढ़ें- झारखंड हाई कोर्ट से सनत कुमार की जमानत याचिका खारिज, फर्जी सर्टिफिकेट से बने थे दारोगा



अदालत को जानकारी दी गई थी कि राज्य सरकार दो तरह की नीति अपना रही है. जिसको चाहती है, उसे प्रोन्नति दे रही है, जिसे नहीं चाहती उसे नहीं दे रही है. अदालत को बताया गया था कि सीडीपीओ के पद पर प्रोन्नति दी गई है. एसडीओ से एडीएम के पद पर प्रोन्नति दी गई है. कार्मिक विभाग में भी कुछ अधिकारी को प्रोन्नति दी गई है. फिर दूसरों के लिए रो का क्या मतलब है.

सरकार की ओर से अदालत को जानकारी दी गई थी कि पूर्व में जिन लोगों को प्रोन्नति के लिए फिट पाया गया था, उन्हें प्रोन्नति दी गई थी. प्रोन्नति पर राज्य सरकार नई नीति बना रही है. शीघ्र प्रोन्नति दी जाएगी. कुछ को प्रोन्नति दी गई और कुछ को नहीं दी गई, यह कहना गलत है. अदालत ने मामले में सभी पक्षों को सुनने के उपरांत आदेश सुरक्षित रख लिया था. बता दें कि रश्मि लकड़ा और अन्य ने सरकार के द्वारा प्रोन्नति पर रोक लगाए जाने के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी.

रांचीः झारखंड हाई कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है. न्यायाधीश डॉ एसएन पाठक की अदालत ने राज्य सरकार के दिसंबर 2020 में प्रोन्नति पर लगाए गए रोक के आदेश को निरस्त कर दिया है. कोर्ट ने सरकार को 4 सप्ताह में प्रोन्नति देने का आदेश दिया है. अदालत ने कहा कि सरकार कुछ लोगों को प्रोन्नति दे और कुछ को रोक दे, यह दो तरह की नीति नहीं चलेगी. यह कहते हुए अदालत ने प्रोन्नति पर लगी रोक को निरस्त कर दिया है.

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सरकार का आदेश निरस्त: अदालत ने राज्य सरकार के 24 दिसंबर 2020 को कर्मचारियों की प्रोन्नति पर लगाई गई रोक के आदेश को निरस्त कर दिया है. एकल पीठ ने अपने फैसले में कहा है कि जिनका डीपीसी हो गया है, उन्हें 4 सप्ताह में प्रोन्नति दें. जो कर्मचारी इस बीच में बिना प्रोन्नति पाए सेवानिवृत्त हो गए हैं, उन पदाधिकारियों को उनकी प्रोन्नति की तिथि से प्रोन्नति का सभी लाभ दिया जाए. अदालत ने कहा कि यह अनुच्छेद 16 का हनन करता है. डिप्टी कलेक्टर से एसडीओ में प्रोन्नति, इंस्पेक्टर से डीएसपी में प्रोन्नति, कार्मिक विभाग गृह विभाग एवं अन्य अधिकारियों की प्रोन्नति से संबंधित याचिका झारखंड हाई कोर्ट में दायर थी.

जानकारी देते अधिवक्ता

झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश डॉक्टर एसएन पाठक की अदालत में मामले पर सुनवाई हुई थी. अदालत ने कई बार इस मामले पर सुनवाई के उपरांत राज्य सरकार को प्रोन्नति पर निर्णय लेने का निर्देश भी दिया था. अदालत के बार-बार निर्देश के बावजूद सरकार का टालमटोल वाला रवैया बना रहा. अदालत ने कई बार मामले में मुख्य सचिव को हाजिर होने का निर्देश दिया. लेकिन सरकार की ओर से कोई सकारात्मक पहल नहीं हुई. उसके बाद अदालत ने मामले की सुनवाई पूरी कर आदेश सुरक्षित रख लिया था.

पूर्व में अदालत में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया था कि कुछ अधिकारियों का डीपीसी हो गया है. लेकिन अधिसूचना जारी नहीं की जा रही है. यह गलत है. राज्य सरकार ने डीपीसी करने के बाद प्रोन्नति पर रोक लगा दी है. प्रोन्नति अधिकारियों का अधिकार है. इस पर सरकार रोक नहीं लगा सकती है. यह असंवैधानिक है. अनुच्छेद 16 का हनन है.

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अदालत को जानकारी दी गई थी कि राज्य सरकार दो तरह की नीति अपना रही है. जिसको चाहती है, उसे प्रोन्नति दे रही है, जिसे नहीं चाहती उसे नहीं दे रही है. अदालत को बताया गया था कि सीडीपीओ के पद पर प्रोन्नति दी गई है. एसडीओ से एडीएम के पद पर प्रोन्नति दी गई है. कार्मिक विभाग में भी कुछ अधिकारी को प्रोन्नति दी गई है. फिर दूसरों के लिए रो का क्या मतलब है.

सरकार की ओर से अदालत को जानकारी दी गई थी कि पूर्व में जिन लोगों को प्रोन्नति के लिए फिट पाया गया था, उन्हें प्रोन्नति दी गई थी. प्रोन्नति पर राज्य सरकार नई नीति बना रही है. शीघ्र प्रोन्नति दी जाएगी. कुछ को प्रोन्नति दी गई और कुछ को नहीं दी गई, यह कहना गलत है. अदालत ने मामले में सभी पक्षों को सुनने के उपरांत आदेश सुरक्षित रख लिया था. बता दें कि रश्मि लकड़ा और अन्य ने सरकार के द्वारा प्रोन्नति पर रोक लगाए जाने के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी.

Last Updated : Jan 13, 2022, 7:09 PM IST
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