ETV Bharat / city

नियुक्ति नियमावली संबंधित मूल रिकॉर्ड पेश नहीं किए जाने पर हाई कोर्ट नाराज, कहा- आदेश को हल्के में ना लें - jharkhand high court angry

झारखंड हाई कोर्ट में नई नियोजन नीति की एक बिंदु पर रमेश हांसदा की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई हुई. जिसमें कोर्ट में नियुक्ति नियमावली संबंधित मूल रिकॉर्ड पेश नहीं किए जाने पर नाराज हाई कोर्ट ने अधिकारी को फटकार लगाई और कहा कि आदेश को हल्के में ना लें.

Jharkhand High Court reprimanded state government for Niyojan Niti
Jharkhand High Court reprimanded state government for Niyojan Niti
author img

By

Published : Dec 21, 2021, 8:59 PM IST

Updated : Dec 21, 2021, 9:07 PM IST

रांचीः नई नियोजन नीति में झारखंड कर्मचारी चयन आयोग द्वारा ली जाने वाली परीक्षा से हिंदी को हटाने, झारखंड से ही 10वीं और 12वीं पास करने वाले गैर-आरक्षित श्रेणी के छात्रों को भाग लेने की अनुमति दिए जाने के बिंदु पर झारखंड हाई कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई.

इसे भई पढ़ें- झारखंड सरकार की नियोजन नीति को चुनौती, रमेश हांसदा ने हाई कोर्ट में दायर की याचिका

हाई कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा नियोजन नीति से संबंधित सभी मूल रिकॉर्ड अदालत में पेश नहीं किए जाने पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की. कोर्ट ने अधिकारी को फटकार लगाते हुए पूछा कि जब अदालत ने आदेश दिया तो क्यों नहीं रिकॉर्ड पेश की गयी, अदालत के आदेश को हल्के में ना लें. कोर्ट ने कहा कि 23 दिसंबर को विस्तृत सुनवाई होगी, उससे पूर्व सभी रिकॉर्ड पेश करें.

जानकारी देते अधिवक्ता

झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में इस मामले पर सुनवाई हुई. अदालत ने राज्य सरकार से जानना चाहा कि हाई कोर्ट ने जब आदेश दिया था कि नियोजन से संबंधित सभी मूल रिकॉर्ड अदालत में पेश किया जाए तो क्यों नहीं पेश की गयी. इस पर सरकार की ओर से बताया गया कि सरकार अन्य राज्यों में बनाई गयी नीतियों पर अध्ययन कर रही हैं. इस पर अदालत ने पूछा कि हम रिकॉर्ड मांग रहे हैं तो आप कुछ और बता रहे हैं सभी मूल रिकॉर्ड अदालत में पेश करें.

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि नियुक्ति नियमावली बनाने से पूर्व अन्य राज्यों के नियुक्ति नियमावली का अध्ययन किया जाता है. ये कैसी नियुक्ति नियमावली बना दी गयी है, जिसके बाद अध्ययन शुरू हुआ. उन्होंने कहा कि नियुक्ति नियमावली में जो संशोधन की गयी है, वह गलत और असंवैधानिक है इसलिए इसे रद्द कर दी जाए. उन्होंने अदालत को यह बताया कि नियुक्ति नियमावली में सिर्फ झारखंड से 10वीं और 12वीं करने वाले अभ्यर्थियों को ही Jharkhand Staff Selection Commission के द्वारा आयोजित होने वाली प्रतियोगिता परीक्षा में भाग लेने की अनुमति होगी. झारखंड के वैसे निवासी जिन्हें आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा रहा है सिर्फ उन पर ही यह नियम लागू होगा. झारखंड के वैसे निवासी जिन्हें यहां आरक्षण का लाभ दिया जाता है उस पर यह नियम शिथिल रहेगा, यह गलत है.

राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में हिंदी माध्यम से पढ़ाया जाता है, सर्वाधिक लोगों की भाषा हिंदी है. लेकिन इस संशोधित नियमावली हिंदी को ही हटा दिया गया. जो भाषा एक खास वर्ग के लिए है उर्दू उसे जोड़ दिया गया है. उन्होंने यह भी कहा कि यह नियम एक खास वर्ग के लिए बनाया गया है. इसलिए यह नियम असंवैधानिक है, इसे निरस्त कर दिया जाए. याचिकाकर्ता रमेश हांसदा ने झारखंड सरकार द्वारा कर्मचारी चयन आयोग द्वारा ली जाने वाली परीक्षाओं के लिए बनाए गए विशेष नियम को हाई कोर्ट में चुनौती दी है. उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि झारखंड सरकार द्वारा बनाई गयी नई नियुक्ति नियमावली में कई खामियां है, इसलिए से रद्द कर दी जाए. रमेश हांसदा की इसी याचिका पर सुनवाई हुई है.

रांचीः नई नियोजन नीति में झारखंड कर्मचारी चयन आयोग द्वारा ली जाने वाली परीक्षा से हिंदी को हटाने, झारखंड से ही 10वीं और 12वीं पास करने वाले गैर-आरक्षित श्रेणी के छात्रों को भाग लेने की अनुमति दिए जाने के बिंदु पर झारखंड हाई कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई.

इसे भई पढ़ें- झारखंड सरकार की नियोजन नीति को चुनौती, रमेश हांसदा ने हाई कोर्ट में दायर की याचिका

हाई कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा नियोजन नीति से संबंधित सभी मूल रिकॉर्ड अदालत में पेश नहीं किए जाने पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की. कोर्ट ने अधिकारी को फटकार लगाते हुए पूछा कि जब अदालत ने आदेश दिया तो क्यों नहीं रिकॉर्ड पेश की गयी, अदालत के आदेश को हल्के में ना लें. कोर्ट ने कहा कि 23 दिसंबर को विस्तृत सुनवाई होगी, उससे पूर्व सभी रिकॉर्ड पेश करें.

जानकारी देते अधिवक्ता

झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में इस मामले पर सुनवाई हुई. अदालत ने राज्य सरकार से जानना चाहा कि हाई कोर्ट ने जब आदेश दिया था कि नियोजन से संबंधित सभी मूल रिकॉर्ड अदालत में पेश किया जाए तो क्यों नहीं पेश की गयी. इस पर सरकार की ओर से बताया गया कि सरकार अन्य राज्यों में बनाई गयी नीतियों पर अध्ययन कर रही हैं. इस पर अदालत ने पूछा कि हम रिकॉर्ड मांग रहे हैं तो आप कुछ और बता रहे हैं सभी मूल रिकॉर्ड अदालत में पेश करें.

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि नियुक्ति नियमावली बनाने से पूर्व अन्य राज्यों के नियुक्ति नियमावली का अध्ययन किया जाता है. ये कैसी नियुक्ति नियमावली बना दी गयी है, जिसके बाद अध्ययन शुरू हुआ. उन्होंने कहा कि नियुक्ति नियमावली में जो संशोधन की गयी है, वह गलत और असंवैधानिक है इसलिए इसे रद्द कर दी जाए. उन्होंने अदालत को यह बताया कि नियुक्ति नियमावली में सिर्फ झारखंड से 10वीं और 12वीं करने वाले अभ्यर्थियों को ही Jharkhand Staff Selection Commission के द्वारा आयोजित होने वाली प्रतियोगिता परीक्षा में भाग लेने की अनुमति होगी. झारखंड के वैसे निवासी जिन्हें आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा रहा है सिर्फ उन पर ही यह नियम लागू होगा. झारखंड के वैसे निवासी जिन्हें यहां आरक्षण का लाभ दिया जाता है उस पर यह नियम शिथिल रहेगा, यह गलत है.

राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में हिंदी माध्यम से पढ़ाया जाता है, सर्वाधिक लोगों की भाषा हिंदी है. लेकिन इस संशोधित नियमावली हिंदी को ही हटा दिया गया. जो भाषा एक खास वर्ग के लिए है उर्दू उसे जोड़ दिया गया है. उन्होंने यह भी कहा कि यह नियम एक खास वर्ग के लिए बनाया गया है. इसलिए यह नियम असंवैधानिक है, इसे निरस्त कर दिया जाए. याचिकाकर्ता रमेश हांसदा ने झारखंड सरकार द्वारा कर्मचारी चयन आयोग द्वारा ली जाने वाली परीक्षाओं के लिए बनाए गए विशेष नियम को हाई कोर्ट में चुनौती दी है. उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि झारखंड सरकार द्वारा बनाई गयी नई नियुक्ति नियमावली में कई खामियां है, इसलिए से रद्द कर दी जाए. रमेश हांसदा की इसी याचिका पर सुनवाई हुई है.

Last Updated : Dec 21, 2021, 9:07 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.