रांचीः झारखंड के महाधिवक्ता राजीव रंजन और अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार पर अब अवमानना का केस चलेगा. हाई कोर्ट के न्यायाधीश संजय कुमार द्विवेदी की अदालत ने यह आदेश दिया है. अदालत ने मामले में 31 अगस्त को सुनवाई पूरी कर आदेश सुरक्षित रख लिया था.
आपको बता दें कि साहिबगंज थाना प्रभारी रूपा तिर्की ने आत्महत्या की थी. लेकिन उनके पिता ने उसे संदेहास्पद मौत की बात कहते हुए मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग को लेकर झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. उसी याचिका पर वर्चुअल सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता का ऑडियो बंद नहीं हो पाया था. तब सुनवाई लगभग समाप्त हो जाने के बाद याचिकाकर्ता के अधिवक्ता द्वारा उनके पास बैठे लोगों को बताया जा रहा था कि 200% सीबीआई जांच का आदेश कोर्ट से मिलेगा. यह सुनने के बाद महाधिवक्ता ने सुनवाई के दूसरे दिन अदालत को यह जानकारी दी थी. जिस पर अदालत ने महाधिवक्ता को यह लिखित रूप में पेश करने को कहा था. महाधिवक्ता ने कहा था कि मौखिक रूप से जो हम कह रहे हैं उसे ही मान लिया जाए. जिस पर अदालत ने कड़ी नाराजगी जताते हुए मामले की सुनवाई से संबंधित सभी वाद मुख्य न्यायाधीश को भेज दिया था.
मुख्य न्यायाधीश ने फिर से उन्हें सुनवाई के लिए आदेश दिया था. उसी मामले में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजीव कुमार ने महाधिवक्ता और अपर महाधिवक्ता पर अदालत की अवमानना करने को लेकर उनपर आपराधिक अवमाननाबाद चलाए जाने के लिए आवेदन दिया था. उसी बिंदु पर अदालत में सुनवाई हुई. प्रार्थी की ओर से पक्ष रखकर कहा गया कि हमने किसी भी प्रकार की कोई अवमानना नहीं की है. इसलिए यह IA याचिका मेंटेनेबल नहीं है. प्रार्थी की दलील सुनने के बाद अदालत ने इस पर कल निर्णय लेने की बात कही थी.
दरअसल महाधिवक्ता के बचाव में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पक्ष रखा था. वर्चुअल सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने हाई कोर्ट को बताया कि झारखंड के महाधिवक्ता ने कोर्ट की अवमानना नहीं की है. उन्होंने कोर्ट पर किसी तरह का दोषारोपण नहीं किया है. उन्होंने कहा कि पिछली सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने 200 प्रतिशत दावा करते हुए कहा कि था कि रूपा तिर्की मौत मामले की जांच सीबीआई से होगी. चूकि यह बात महाधिवक्ता को शॉकिंग लगी, इसलिए उन्होंने कोर्ट को इस बात से अवगत कराया था. उन्होंने तो सिर्फ जानकारी दी थी. यह अवमानना नहीं होता है. कपिल सिब्बल ने कहा कि वैसे भी अवमाननावाद एकल पीठ में नहीं सिर्फ युगल पीठ में ही सुनवाई योग्य है.
उन्होंने अदालत से आग्रह किया था कि अवमानना के लिए दायर की गई आइए को निरस्त कर दिया जाए. अधिवक्ता का पक्ष सुनने के बाद अदालत ने मामले में निर्णय लेने की बात कही है. इसके अलावे रूपा तिर्की की संदेहास्पद मौत मामले की सीबीआई जांच के लिए किए गए आग्रह पर भी सुनवाई पूरी कर ली गई थी.