रांचीः झारखंड में 25 सितंबर तक मानसून की बारिश के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में मानसून की सामान्य बारिश हुई है. दूसरी ओर मौसम केंद्र रांची की ओर से जारी आंकड़े यह भी बता रहे हैं कि राज्य में 24 में से आधे से ज्यादा जिले (15) में सामान्य औसत से भी कम बारिश हुई है तो पांच जिले ऐसे हैं जहां सामान्य से 20% से लेकर 36% तक कम बारिश हुई है.
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इन जिलों में सामान्य से काफी कम बारिश हुई
राज्य में जहां सबसे अधिक मानसून की बारिश होती थी, उसमें एक जिला पाकुड़ भी है. लेकिन इस वर्ष वहां अब तक 1212.3 एमएम की जगह सिर्फ 780.3 एमएम बारिश ही हुई है यानि सामान्य से 36% कम है. इसी तरह गुमला में 1102.7 एमएम की जगह 764.3 एमएम (-31%), चतरा में 947.2 एमएम की जगह 687.9 एमएम (-27%), गोड्डा में 911 एमएम की जगह 673.4 एमएम (-26%) और गढ़वा में 929.8 एमएम की जगह 736.5 एमएम (-21%) ही बारिश हुई है. सिमडेगा में भी सामान्य रूप से 1271.3 एमएम बारिश होती है पर अभी तक सिर्फ 1025.4 एमएम बारिश ही हुई जो सामान्य से -19% रहा.
इन छह जिलों के अलावा बोकारो में सामान्य से 7% कम, देवघर में 11%, खूंटी में 10%, गिरिडीह में 06%, सरायकेला में 9%, पलामू में 03%, साहिबगंज में 01%, दुमका में 02% कम बारिश हुई है. लेकिन इन सभी जिलों में हुई बारिश को सामान्य की श्रेणी में रखा जाएगा क्योंकि मौसम केंद्र के तय मानक के अनुसार प्लस-माइनस 19-20% को सामान्य ही माना जाता है.
लोहरदगा में सामान्य से 49% अधिक बारिश
राज्य में लोहरदगा ही ऐसा एकमात्र जिला है, जहां सामान्य से 49% अधिक बारिश हुई है. लोहरदगा में 25 सितंबर तक सामान्य रुप से 948.6 एमएम बारिश होता है. लेकिन इस वर्ष 1417.5 एमएम बारिश हो चुका है. इसी तरह धनबाद में सामान्य से 07% अधिक बारिश हुई है तो जमशेदपुर में 17%, हजारीबाग में 13%, रांची-रामगढ़ में 14%, जामताड़ा में 21%, कोडरमा में 08%, लातेहार में 15% अधिक बारिश हुई है. राज्य में सामान्य 1023.1 मिली मीटर की जगह 989.6 मिली मीटर बारिश अभी तक हुई है.
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क्या कहते हैं कृषि मौसम वैज्ञानिक
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक और कृषि मौसम वैज्ञानिक डॉ. ए बदुद कहते हैं कि मानसून के टर्फ लाइन की स्थिति के चलते यह संभव है पर किसानों के लिए अच्छी बात यह है कि जिन जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है, वहां भी लगातार एक अंतराल के बाद बारिश हुई है. भले ही उसकी मात्रा कम हो, पर इस तरह की बारिश का लाभ किसानों को मिलता है और यही वजह है कि इस बार धान का अच्छा आच्छादन हुआ है.