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शिबू सोरेन और उनसे जुड़े आंदोलन पर शोध कराएगी झारखंड सरकार

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Published : Nov 6, 2020, 2:57 PM IST

झारखंड सरकार दिशोम गुरु व सांसद शिबू सोरेन और उनसे जुड़े आंदोलन पर शोध कराएगी. इसके लिए डॉ रामदयाल मुंडा ट्राइबल वेलफेयर रिसर्च इंस्टीट्यूट (टीआरआई) ने शोध प्रोजेक्ट तैयार किया है.

government will conduct research on sibu soren and his movement in ranchi
रामदयाल मुंडा शोध संस्थान

रांची: झारखंड आंदोलनकारी सह सांसद शिबू सोरेन से जुड़े आंदोलन पर झारखंड सलाहकार शोध कराएगी. इसके लिए डॉ रामदयाल मुंडा ट्राइबल वेलफेयर रिसर्च इंस्टीट्यूट ने शोध प्रोजेक्ट तैयार किया है. इस प्रोजेक्ट का विषय स्टडी ऑन सोनेत संताल समाज एंड टुंडी आश्रम मूवमेंट इन झारखंड रखा गया है.

देखें पूरी खबर
रामदयाल मुंडा शोध संस्थान ने शोध प्रोजेक्ट के लिए देश भर के विश्वविद्यालय और इच्छुक संस्थान से 13 नवंबर 2020 तक प्रस्ताव मांगा है. वहीं, इच्छुक व्यक्तियों ने दिए आवेदन को 25 नवंबर को खोली जाएगी. इस शोध में संथाल समाज और टुंडी आश्रम आंदोलन के पीछे के उद्देश्य और उसके परिणाम का विस्तृत जानकारी हासिल करना होगा है.

रामदयाल मुंडा शोध संस्थान के उपनिदेशक चिंटू दोराईबुरू ने कहा कि शोध संस्थान लगातार आंदोलनकारियों महापुरुषों पर शोध कर आते रही है. इस बार शोध संथाल समाज और टुंडी आश्रम आंदोलन जो धनबाद में शुरू हुआ था, जिसका गठन 1971 में की गई थी.

उसी आंदोलन से जुड़े 1971 से लेकर झारखंड के गठन तक शोध किया जाएगा. संथाल समाज और टुंडी आश्रम आंदोलन का मुख्य पशु पशुपालन को बढ़ावा देना, वनों को बचाना, महिलाओं को लघु उद्योग से जोड़ना, गांव में ही विवादों को आपसी सुलह से सुलझाना, महाजनों के खिलाफ आंदोलन, सामाजिक बुराइयों और कुरीतियों को मिटाना, अनाज के उत्पादन रख-रखाव आदि के साथ उनके हितों में ग्रामीणों का योगदान आदि शामिल किया था.

ये भी पढ़े- चतरा में मौत के पुल से होकर रोजाना गुजरती है जिंदगी, बेखबर बैठे हैं जनप्रतिनिधि और अधिकारी

शिबू सोरेन ने समाज सहयोग से अपना आंदोलन को आगे बढ़ाया था. शिबू सोरेन के नेतृत्व में आदिवासी सुधार समिति के तहत गांव के विकास के लिए 19 सूत्री कार्यक्रम चलाया गया. इसमें मुख्य रूप से अखाड़ा के माध्यम से युवा और बुजुर्गों के लिए शिक्षा की व्यवस्था करना पुस्तकालय आदि की स्थापना करना था.

रांची: झारखंड आंदोलनकारी सह सांसद शिबू सोरेन से जुड़े आंदोलन पर झारखंड सलाहकार शोध कराएगी. इसके लिए डॉ रामदयाल मुंडा ट्राइबल वेलफेयर रिसर्च इंस्टीट्यूट ने शोध प्रोजेक्ट तैयार किया है. इस प्रोजेक्ट का विषय स्टडी ऑन सोनेत संताल समाज एंड टुंडी आश्रम मूवमेंट इन झारखंड रखा गया है.

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रामदयाल मुंडा शोध संस्थान ने शोध प्रोजेक्ट के लिए देश भर के विश्वविद्यालय और इच्छुक संस्थान से 13 नवंबर 2020 तक प्रस्ताव मांगा है. वहीं, इच्छुक व्यक्तियों ने दिए आवेदन को 25 नवंबर को खोली जाएगी. इस शोध में संथाल समाज और टुंडी आश्रम आंदोलन के पीछे के उद्देश्य और उसके परिणाम का विस्तृत जानकारी हासिल करना होगा है.

रामदयाल मुंडा शोध संस्थान के उपनिदेशक चिंटू दोराईबुरू ने कहा कि शोध संस्थान लगातार आंदोलनकारियों महापुरुषों पर शोध कर आते रही है. इस बार शोध संथाल समाज और टुंडी आश्रम आंदोलन जो धनबाद में शुरू हुआ था, जिसका गठन 1971 में की गई थी.

उसी आंदोलन से जुड़े 1971 से लेकर झारखंड के गठन तक शोध किया जाएगा. संथाल समाज और टुंडी आश्रम आंदोलन का मुख्य पशु पशुपालन को बढ़ावा देना, वनों को बचाना, महिलाओं को लघु उद्योग से जोड़ना, गांव में ही विवादों को आपसी सुलह से सुलझाना, महाजनों के खिलाफ आंदोलन, सामाजिक बुराइयों और कुरीतियों को मिटाना, अनाज के उत्पादन रख-रखाव आदि के साथ उनके हितों में ग्रामीणों का योगदान आदि शामिल किया था.

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शिबू सोरेन ने समाज सहयोग से अपना आंदोलन को आगे बढ़ाया था. शिबू सोरेन के नेतृत्व में आदिवासी सुधार समिति के तहत गांव के विकास के लिए 19 सूत्री कार्यक्रम चलाया गया. इसमें मुख्य रूप से अखाड़ा के माध्यम से युवा और बुजुर्गों के लिए शिक्षा की व्यवस्था करना पुस्तकालय आदि की स्थापना करना था.

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