नई दिल्ली: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके परिवार से जुड़े खनन पट्टा और शेल कंपनियों से जुड़े मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हुई. झारखंड सरकार और हेमंत सोरेन की ओर से अधिवक्ता कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी ने कोर्ट से आग्रह किया कि 19 मई को झारखंड हाई कोर्ट में जो सुनवाई हुई थी उस कार्यवाही से जुड़े दस्तावेज अपलोड नहीं हुए हैं, इसलिए उन्हें थोड़ा वक्त दिया जाय. इस आग्रह को स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 24 मई को अगली सुनवाई की तारीख तय की. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस यू. यू. ललित, जस्टिस रविंद्र भट्ट और जस्टिस सुभाष धूलिया की खंडपीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है.
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इससे पहले (19 मई 2022) क्या हुआ: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके परिवार से जुड़े खनन पट्टा और शेल कंपनियों के मामले की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया था. मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी की दलीलों पर गौर करते हुए इसे गंभीर मामला बताया था. जिसमें जांच एजेंसी नोटिस जारी करने से पहले झारखंड उच्च न्यायालय में सीलबंद लिफाफे में दस्तावेज दाखिल कर रही है. वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी की दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि था हम इस पर 20 मई 2022 को सुनवाई करेंगे.
हाई कोर्ट में सुनवाई: बृहस्पतिवार (19 मई 2022) को झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान हेमंत के वकील वकील कपिल सिब्बल ने जानकारी दी थी कि सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. जिसमें राज्य सरकार की ओर से कोर्ट के उन आदेशों को चुनौती दी गई है जो पिछली दो सुनवाई के दौरान 13 और 17 मई को पारित किए गए थे. इसलिए इस मामले की सुनवाई ना की जाए, और ना ही किसी प्रकार का कोई आर्डर पास किया जाए.
क्या है मामला: झारखंड हाई कोर्ट में सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ 11 फरवरी को जनहित याचिका दायर की गयी थी. प्रार्थी शिव शंकर शर्मा की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने पीआईएल दाखिल किया था. प्रार्थी की ओर से इस जनहित याचिका में कहा गया था कि हेमंत सोरेन खनन मंत्री, मुख्यमंत्री और वन पर्यावरण विभाग के विभागीय मंत्री भी हैं. उन्होंने स्वंय पर्यावरण क्लीयरेंस के लिए आवेदन दिया था और खनन पट्टा हासिल किया है. ऐसा करना पद का दुरुपयोग है और जन प्रतिनिधि अधिनियम का उल्लंघन है. इसलिए इस पूरे मामले की सीबीआई से जांच कराई जाए. इसके अलावा साथ ही प्रार्थी ने हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द करने की मांग भी कोर्ट से की थी.