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कोविड-19 को लेकर केंद्र के लोन देने पर झारखंड सरकार ने जताई आपत्ति, कहा- बकाया न देकर लोन देने का कदम गलत - झारखंड सरकार ने की जीएसटी कंपनसेशन की मांग

केंद्र सरकार के लोन दिए जाने के प्रस्ताव पर झारखंड सरकार ने कड़ी आपत्ति जताई है. प्रदेश के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने साफ कहा कि यह गलत होगा. उन्होंने कहा कि केंद्र के इस प्रस्ताव की वजह से राज्यों का भारत सरकार के ऊपर से विश्वास कम हो जाएगा.

Jharkhand government objected to central government loan
प्रोजेक्ट भवन
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Published : Sep 1, 2020, 2:10 PM IST

रांची: कोविड-19 संक्रमण के पीरियड में प्रभावित हुई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए केंद्र सरकार के लोन दिए जाने के प्रस्ताव पर झारखंड सरकार ने कड़ी आपत्ति जताई है. राज्य सरकार ने कहा है कि एक तरफ जहां उसे जीएसटी कंपनसेशन के 2500 करोड़ रुपये अभी तक नहीं मिले हैं. वहीं, दूसरी तरफ केंद्र के कर्ज दिए जाने का प्रस्ताव सही नहीं है. इस बाबत प्रदेश के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने साफ कहा कि यह गलत होगा. उन्होंने कहा कि केंद्र के इस प्रस्ताव की वजह से राज्यों का भारत सरकार के ऊपर से विश्वास कम हो जाएगा. केंद्र सरकार ने साफ तौर पर कंपनसेशन देने की बात कही थी. ट्रांजिशन पीरियड 22 जून तक है, ऐसे में अब केंद्र का यह कहना कि वह कर्ज देंगे यह सही नहीं है.

देखिए पूरी खबर

केंद्र ने राज्य सरकार को भेजा पत्र

उन्होंने कहा कि इस बाबत केंद्र सरकार का एक पत्र आया है, जिसका जवाब झारखंड सरकार बना रही है. वित्त मंत्री ने साफ तौर पर कहा कि एक तरफ केंद्र जहां लोन देने का प्रस्ताव रख रहा है. वहीं, दूसरी तरफ उस लोन का इंटरेस्ट राज्य सरकार को देना होगा. यह बिल्कुल सही नहीं होगा. उन्होंने कहा कि यह झारखंड सरकार की इकोनॉमी का प्राइमरी सेक्टर है, जिसने अभी तक राज्य की अर्थव्यवस्था को बचाए रखा है. प्रदेश के वित्त मंत्री उरांव ने साफ तौर पर कहा कि कृषि क्षेत्रक की वजह से झारखंड की अर्थव्यवस्था संभली हुई है. उन्होंने कहा कि वहीं दूसरी तरफ प्राइमरी और टर्शियरी सेक्टर कोविड-19 की अवधि में बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं.

मंत्री आलमगीर आलम ने भी जताई आपत्ति

दूसरी तरफ राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने भी केंद्र के इस प्रस्ताव पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार रिवेन्यू कलेक्शन से ही अपना काम चलाती है. केंद्र ने जीएसटी तो लागू किया, लेकिन झारखंड सरकार का हिस्सा अभी तक नहीं मिला और अब केंद्र सरकार का प्रस्ताव है कि आरबीआई से लोन दिया जाए. उन्होंने कहा कि भारत सरकार का यह फैसला गलत है. एक तरफ जहां हमारे हिस्से का पैसा हमें नहीं मिल रहा है. वहीं, दूसरी तरफ उनका प्रस्ताव सही नहीं है.

ये भी पढ़ें: प्रियंका ने आर्थिक पैकेज को बताया हाथी का दांत, भाजपा सरकार ने डुबाई अर्थव्यवस्था

जीएसटी के अलावा अनुमानित 45 हजार करोड़ रुपया बकाया

दरअसल, जीएसटी काउंसिल की 27 अगस्त को हुई वर्चुअल मीटिंग में राज्य सरकार ने स्पष्ट तौर पर अपने जीएसटी बकाए 2500 करोड़ रुपए की मांग रखी है. इतना ही नहीं प्रदेश के वित्त मंत्री ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के समक्ष केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों को दी गई 50,000 एकड़ भूमि की एवज में बकाया 45,000 करोड़ रुपए के भी फेज वाइज भुगतान करने की मांग रखी है. बता दें कि पिछले दिनों केंद्रीय कोयला मंत्री झारखंड दौरे पर आए थे और 45,000 करोड़ बकाया में से 250 करोड़ रुपए की राशि का एक चेक राज्य सरकार को सौंपा है.

रांची: कोविड-19 संक्रमण के पीरियड में प्रभावित हुई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए केंद्र सरकार के लोन दिए जाने के प्रस्ताव पर झारखंड सरकार ने कड़ी आपत्ति जताई है. राज्य सरकार ने कहा है कि एक तरफ जहां उसे जीएसटी कंपनसेशन के 2500 करोड़ रुपये अभी तक नहीं मिले हैं. वहीं, दूसरी तरफ केंद्र के कर्ज दिए जाने का प्रस्ताव सही नहीं है. इस बाबत प्रदेश के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने साफ कहा कि यह गलत होगा. उन्होंने कहा कि केंद्र के इस प्रस्ताव की वजह से राज्यों का भारत सरकार के ऊपर से विश्वास कम हो जाएगा. केंद्र सरकार ने साफ तौर पर कंपनसेशन देने की बात कही थी. ट्रांजिशन पीरियड 22 जून तक है, ऐसे में अब केंद्र का यह कहना कि वह कर्ज देंगे यह सही नहीं है.

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केंद्र ने राज्य सरकार को भेजा पत्र

उन्होंने कहा कि इस बाबत केंद्र सरकार का एक पत्र आया है, जिसका जवाब झारखंड सरकार बना रही है. वित्त मंत्री ने साफ तौर पर कहा कि एक तरफ केंद्र जहां लोन देने का प्रस्ताव रख रहा है. वहीं, दूसरी तरफ उस लोन का इंटरेस्ट राज्य सरकार को देना होगा. यह बिल्कुल सही नहीं होगा. उन्होंने कहा कि यह झारखंड सरकार की इकोनॉमी का प्राइमरी सेक्टर है, जिसने अभी तक राज्य की अर्थव्यवस्था को बचाए रखा है. प्रदेश के वित्त मंत्री उरांव ने साफ तौर पर कहा कि कृषि क्षेत्रक की वजह से झारखंड की अर्थव्यवस्था संभली हुई है. उन्होंने कहा कि वहीं दूसरी तरफ प्राइमरी और टर्शियरी सेक्टर कोविड-19 की अवधि में बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं.

मंत्री आलमगीर आलम ने भी जताई आपत्ति

दूसरी तरफ राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने भी केंद्र के इस प्रस्ताव पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार रिवेन्यू कलेक्शन से ही अपना काम चलाती है. केंद्र ने जीएसटी तो लागू किया, लेकिन झारखंड सरकार का हिस्सा अभी तक नहीं मिला और अब केंद्र सरकार का प्रस्ताव है कि आरबीआई से लोन दिया जाए. उन्होंने कहा कि भारत सरकार का यह फैसला गलत है. एक तरफ जहां हमारे हिस्से का पैसा हमें नहीं मिल रहा है. वहीं, दूसरी तरफ उनका प्रस्ताव सही नहीं है.

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जीएसटी के अलावा अनुमानित 45 हजार करोड़ रुपया बकाया

दरअसल, जीएसटी काउंसिल की 27 अगस्त को हुई वर्चुअल मीटिंग में राज्य सरकार ने स्पष्ट तौर पर अपने जीएसटी बकाए 2500 करोड़ रुपए की मांग रखी है. इतना ही नहीं प्रदेश के वित्त मंत्री ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के समक्ष केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों को दी गई 50,000 एकड़ भूमि की एवज में बकाया 45,000 करोड़ रुपए के भी फेज वाइज भुगतान करने की मांग रखी है. बता दें कि पिछले दिनों केंद्रीय कोयला मंत्री झारखंड दौरे पर आए थे और 45,000 करोड़ बकाया में से 250 करोड़ रुपए की राशि का एक चेक राज्य सरकार को सौंपा है.

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