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89 साल पुराना है झारखंड का यह पहला विश्वकर्मा मंदिर, यहां होती है ऐतिहासिक पूजा

रांची के महात्मा गांधी रोड स्थित विश्वकर्मा लेन में विश्वकर्मा समाज द्वारा 1930 में मंदिर बनवाया गया था. इसका इतिहास और कहानियां काफी रोचक हैं.ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में विश्वकर्मा पूजा के दिन जो भी व्यक्ति सच्चे मन से पूजा-अर्चना करता है. भगवान उसकी मनोकामना जरूर पूरी करती हैं. इसलिए विश्वकर्मा पूजा के दौरान यहां वाहन की पूजन कराने के लिए हजारों की संख्या में लोग जुटते हैं.

89 साल झारखंड का पहला विश्वकर्मा मंदिर
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Published : Sep 17, 2019, 5:47 PM IST

Updated : Sep 17, 2019, 6:44 PM IST

रांची: देश भर में आज जगतगुरु, जगत के शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा की आराधना की जा रही है. इसको लेकर रांची में भी विश्वकर्मा पूजा का उत्साह देखा जा रहा है. हालांकि क्या आप जानते हैं कि 89 वर्ष पुराना झारखंड का एकमात्र विश्वकर्मा मंदिर कहां है. अगर नहीं, तो आइए आज हम आपको बताते हैं कि यह मंदिर रांची के महात्मा गांधी रोड स्थित विश्वकर्मा लेन में विश्वकर्मा समाज द्वारा 1930 में बनवाया गया था. इसका इतिहास और कहानियां काफी रोचक है.

वीडियो में देखें पूरी स्टोरी

ऐसा माना जाता है कि यह झारखंड का पहला विश्वकर्मा मंदिर है. 1928 में संत मोनी बाबा विश्वकर्मा भगवान की फोटो रखकर यहां पूजा अर्चना किया करते थे. तब विश्वकर्मा समाज द्वारा 1930 में इस मंदिर को बनवाया गया और मोनी बाबा को सौंपा गया. उस दौरान यहां मूर्ति भी स्थापित की गई और तब से लेकर आज तक इस मंदिर के प्रति लोगों की आस्था भी जुड़ी हुई है. लोग यह भी कहते हैं कि झारखंड में इतना भव्य विश्वकर्मा मंदिर कहीं नहीं है. यह झारखंड का पहला मंदिर है जहां मूर्ति स्थापित कर पूजा अर्चना की जाती है.

ये भी पढ़ें- BJP का JMM पर जुबानी हमला, कहा- हेमंत सोरेन दें अपनी संपत्ति का ब्यौरा

इस विश्वकर्मा मंदिर का इतिहास करीब 89 वर्ष पुराना है. इस मंदिर में मान्यताएं भी कम नहीं हैं. ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में विश्वकर्मा पूजा के दिन जो भी व्यक्ति सच्चे मन से पूजा-अर्चना करता है. भगवान उसकी मनोकामना जरूर पूरी करती हैं. इसलिए विश्वकर्मा पूजा के दौरान यहां वाहन की पूजन कराने के लिए हजारों की संख्या में लोग जुटते हैं.

विश्वकर्मा पूजा के दिन इस मंदिर परिसर में हजारों नए वाहनों की पूजा अर्चना की जाती है. इसके साथ ही लोगों की आस्था भी इस मंदिर के प्रति अटूट है. आजादी के पहले स्थापित जगदगुरु भगवान विश्वकर्मा मंदिर पौराणिक और ऐतिहासिक लम्हों का गवाह है.

रांची: देश भर में आज जगतगुरु, जगत के शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा की आराधना की जा रही है. इसको लेकर रांची में भी विश्वकर्मा पूजा का उत्साह देखा जा रहा है. हालांकि क्या आप जानते हैं कि 89 वर्ष पुराना झारखंड का एकमात्र विश्वकर्मा मंदिर कहां है. अगर नहीं, तो आइए आज हम आपको बताते हैं कि यह मंदिर रांची के महात्मा गांधी रोड स्थित विश्वकर्मा लेन में विश्वकर्मा समाज द्वारा 1930 में बनवाया गया था. इसका इतिहास और कहानियां काफी रोचक है.

वीडियो में देखें पूरी स्टोरी

ऐसा माना जाता है कि यह झारखंड का पहला विश्वकर्मा मंदिर है. 1928 में संत मोनी बाबा विश्वकर्मा भगवान की फोटो रखकर यहां पूजा अर्चना किया करते थे. तब विश्वकर्मा समाज द्वारा 1930 में इस मंदिर को बनवाया गया और मोनी बाबा को सौंपा गया. उस दौरान यहां मूर्ति भी स्थापित की गई और तब से लेकर आज तक इस मंदिर के प्रति लोगों की आस्था भी जुड़ी हुई है. लोग यह भी कहते हैं कि झारखंड में इतना भव्य विश्वकर्मा मंदिर कहीं नहीं है. यह झारखंड का पहला मंदिर है जहां मूर्ति स्थापित कर पूजा अर्चना की जाती है.

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इस विश्वकर्मा मंदिर का इतिहास करीब 89 वर्ष पुराना है. इस मंदिर में मान्यताएं भी कम नहीं हैं. ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में विश्वकर्मा पूजा के दिन जो भी व्यक्ति सच्चे मन से पूजा-अर्चना करता है. भगवान उसकी मनोकामना जरूर पूरी करती हैं. इसलिए विश्वकर्मा पूजा के दौरान यहां वाहन की पूजन कराने के लिए हजारों की संख्या में लोग जुटते हैं.

विश्वकर्मा पूजा के दिन इस मंदिर परिसर में हजारों नए वाहनों की पूजा अर्चना की जाती है. इसके साथ ही लोगों की आस्था भी इस मंदिर के प्रति अटूट है. आजादी के पहले स्थापित जगदगुरु भगवान विश्वकर्मा मंदिर पौराणिक और ऐतिहासिक लम्हों का गवाह है.

Intro:स्पेशल।।।।।।

रांची।

देश भर में आज जगतगुरु ,जगत का शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा की आराधना की जा रही है .इसी कड़ी में रांची में भी विश्वकर्मा पूजा को लेकर उत्साह देखा जा रहा है .लेकिन क्या आप जानते हैं 89 वर्ष पुराना झारखंड का एकमात्र विश्वकर्मा मंदिर कहां है.. तो आइए आज हम आपको बताते हैं यह मंदिर रांची के महात्मा गांधी रोड स्थित विश्वकर्मा लैंन में विश्वकर्मा समाज द्वारा 1930 में बनवाया गया था. इसकी इतिहास और कहानियां काफी रोचक है..


Body:ऐसा माना जाता है की यह झारखंड का पहला विश्वकर्मा मंदिर है. 1928 में संत मोनी बाबा विश्वकर्मा भगवान की फोटो रखकर यहां पूजा अर्चना किया करते थे .तब विश्वकर्मा समाज द्वारा 1930 में इस मंदिर को बनवाया गया और मोनी बाबा को सौंपा गया. उसी दौरान यहां मूर्ति भी स्थापित की गई और तब से लेकर आज तक इस मंदिर के प्रति लोगों का आस्था का भी जुड़ा हुआ है .लोग यह भी कहते हैं कि झारखंड में इतना भव्य विश्वकर्मा मंदिर कहीं नहीं है .यह झारखंड का पहला मंदिर है जहां मूर्ति स्थापित कर पूजा अर्चना की जाती है. इस मंदिर का इतिहास करीब 89 वर्ष पुराना है .इस मंदिर में मान्यताएं भी कम नहीं है. ऐसा माना जाता है कि इस विश्वकर्मा मंदिर में पूजा के दिन जो भी व्यक्ति सच्चे मन से यहां पूजा-अर्चना करता है. भगवान उसकी मनोकामना जरूर पूरी करती है .इसलिए विश्वकर्मा पूजा के दौरान यहां वाहन की पूजन कराने के लिए हजारों की संख्या में लोग जुटते हैं और आज भी यह नजारा देखने को मिल रहा है..

बाइट-शंकर कुमार, कोषाध्यक्ष, जगतगुरु विश्वकर्मा मंदिर।


Conclusion:विश्वकर्मा पूजा के दिन इस मंदिर परिसर में हजारों नए वाहनों की पूजा अर्चना की जाती है साथ ही लोगों का आस्था भी इस मंदिर के प्रति अटूट है आजादी के पहले स्थापित जगद्गुरु भगवान विश्वकर्मा मंदिर पौराणिक और ऐतिहासिक लम्हों का गवाह है.
Last Updated : Sep 17, 2019, 6:44 PM IST
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