रांची: झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले 2 राज्यों में आए परिणाम से झारखंड प्रदेश कांग्रेस में उत्साह की लहर दिख रही है. पार्टी एक बार फिर रेस हो गई है. ऐसे में दोनों राज्यों से सबक लेते हुए अब कोई चूक न हो इस पर पार्टी समीकरण बना रही है. पार्टी तैयारी में है कि किस तरह से ज्यादा सीट गठबंधन में मिले और जीत हासिल कर सकें.
प्रदेश कांग्रेस में उम्मीद
महाराष्ट्र, हरियाणा के चुनावी परिणाम के साथ भले ही कांग्रेस पार्टी सत्ता में नहीं लौट पाई है, लेकिन वहां के परिणामों ने पार्टी के लिए डूबते हुए तिनके को सहारा जरूर दे दिया है. ऐसे में लगातार मिल रही मायूसी के बीच अब प्रदेश कांग्रेस में उम्मीद जगने लगी है.
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'आज तस्वीर कुछ और होती'
हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को पार्टी ने आखिरी समय में सूबे की कमान सौंपी थी. राजनीतिक जानकारों की माने तो हुड्डा को एक साल पहले प्रदेश की कमान सौंप दी होती तो आज तस्वीर कुछ और होती. झारखंड में भी कुछ ऐसे ही हालात हैं.
'65 पार का नारा बीजेपी के लिए सपना ही रह जाएगा'
पार्टी ने यहां भी कुछ माह पहले ही अपना प्रदेश अध्यक्ष बदला है. जबकि यह बदलाव पहले किए जाने चाहिए थे. ऐसे में तमाम चीजों के बीच कांग्रेस अब खुद को बेहतर महसूस कर रही है और पूरी ताकत लगाने के दावे के साथ कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने कहा है कि 65 पार का नारा बीजेपी के लिए सपना ही रह जाएगा. बल्कि उन्हें गिने-चुने सीट ही हाथ लगेंगे.
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'पाला बदलने वालों का हश्र हमेशा बुरा ही होता है'
इन परिणामों ने पार्टी के लिए यह भी सबक दिया है कि मौजूदा राजनीतिक हालात में पुराने चेहरों को साथ लेकर चलना जरूरी होगा. सिर्फ नए चेहरे के दम पर जीत की दहलीज तय करना मुश्किल है. ऐसे में मतदाताओं के साथ अपना संपर्क बनाए रखना भी ज्यादा जरूरी है और प्रदेश कांग्रेस की नई टीम इसका प्रयास भी कर रही है. पार्टी छोड़कर जाने वालों पर कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता आलोक दुबे का मानना है कि इससे पार्टी को फर्क नहीं पड़ेगा. बल्कि पाला बदलने वालों का हश्र हमेशा बुरा ही होता आया है और इनका भी होगा.