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बीजेपी के प्रदेश स्तरीय सांगठनिक ढांचे में हो सकता है फेरबदल, विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद शुरू हुई सुगबुगाहट

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Published : Dec 30, 2019, 1:46 PM IST

2019 के चुनाव में महज 25 सीटों पर बीजेपी को संतोष करना पड़ा है. इस विधानसभा चुनाव में प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास, विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव और यहां तक कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी अपना चुनाव हार गए. इसके बाद ही पार्टी के अंदर फेरबदल को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई है.

Jharkhand BJP may be reshuffled
झारखंड बीजेपी

रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव में करारी हार मिलने के बाद बीजेपी में सांगठनिक फेरबदल की तैयारी की सुगबुगाहट दिखाई देने लगी है. हालांकि, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा ने पार्टी की चुनावों में हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया.

देखिए पूरी खबर

2014 के विधानसभा चुनाव में 37 सीट हासिल करने वाली बीजेपी को 2019 के चुनाव में महज 25 सीटों पर संतोष करना पड़ा है. हैरत की बात यह है कि इस विधानसभा चुनाव में प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास, विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव और यहां तक कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी अपना चुनाव हार गए. इसके बाद ही पार्टी के अंदर फेरबदल को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई है.

फॉर्मर सीएम ने दिल्ली ट्रिप में रखी अपनी बात
पार्टी सूत्रों की माने तो पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने अपने दिल्ली ट्रिप के दौरान इन मुद्दों पर बात की है. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों की माने तो इस बार संगठन की बागडोर वैसे शख्स के हाथ में दी जा सकती है जो सांगठनिक ढांचे को और मजबूत कर सके. विधानसभा चुनाव में 65 प्लस की जीत का लक्ष्य रखने वाली बीजेपी ने दावा किया था कि राज्य में 45 लाख से अधिक उसके कार्यकर्ता हैं. इन्हीं कार्यकर्ताओं के कंधे पर सवार होकर पार्टी मेजॉरिटी हासिल करेगी. ऐसे में पार्टी के उस दावे पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं.

किसे मिलेगी पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों पर यकीन करें तो बीजेपी आलाकमान दो बिंदुओं पर विचार कर रहा है. एक तो झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष कौन बनेगा और दूसरी तरफ प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी किसे दी जाएगी. राजनीतिक फॉर्मूले के तहत अगर ट्राइबल फेस स्टेट असेंबली में लीडर होता है तो नॉन ट्राइबल चेहरे को पार्टी की कमान दी जा सकती है. ऐसे में कुछ नाम चर्चा में तेजी से उभरे हैं. हालांकि, इनकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.

छात्र राजनीति से अपना राजनीतिक करियर शुरू करने वाले और दूसरी बार राजमहल से विधायक बनने वाले अनंत ओझा का नाम चर्चा में है. उनके अलावा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र राय और यदुनाथ पांडेय के नाम की भी चर्चा जोरों से है. यह वैसे चेहरे हैं जो नॉन ट्राइबल लीडरशिप के हिसाब से पार्टी के फ्रेम में फिट बैठते हैं. दरअसल, रवींद्र राय के कार्यकाल में एक तरफ पार्टी ने विधानसभा चुनाव में बाजी मारी थी और उससे पहले लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी का बेहतर प्रदर्शन रहा था.

ये भी पढे़ं: हेमंत सोरेन बने झारखंड के 11वें सीएम, आलमगीर आलम समेत 3 विधायकों ने ली मंत्री पद की शपथ
ट्राइबल फेस पर गौर करें तो राज्यसभा सांसद समीर उरांव के नाम की भी चर्चा हो रही है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि राज्य की 28 एसटी सीट में से 26 पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है. उन सीटों पर अपना समीकरण ठीक करने के मकसद से पार्टी ये दांव भी खेल सकती है. फिलहाल, बीजेपी के प्रदेश स्तरीय कार्यकारिणी समिति 31 सदस्यों की है, जिनमें एक प्रदेश अध्यक्ष समेत आठ उपाध्यक्ष, 3 महामंत्री, 6 मंत्री, प्रदेश संगठन महामंत्री और प्रवक्ताओं की टीम भी शामिल है.

रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव में करारी हार मिलने के बाद बीजेपी में सांगठनिक फेरबदल की तैयारी की सुगबुगाहट दिखाई देने लगी है. हालांकि, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा ने पार्टी की चुनावों में हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया.

देखिए पूरी खबर

2014 के विधानसभा चुनाव में 37 सीट हासिल करने वाली बीजेपी को 2019 के चुनाव में महज 25 सीटों पर संतोष करना पड़ा है. हैरत की बात यह है कि इस विधानसभा चुनाव में प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास, विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव और यहां तक कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी अपना चुनाव हार गए. इसके बाद ही पार्टी के अंदर फेरबदल को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई है.

फॉर्मर सीएम ने दिल्ली ट्रिप में रखी अपनी बात
पार्टी सूत्रों की माने तो पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने अपने दिल्ली ट्रिप के दौरान इन मुद्दों पर बात की है. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों की माने तो इस बार संगठन की बागडोर वैसे शख्स के हाथ में दी जा सकती है जो सांगठनिक ढांचे को और मजबूत कर सके. विधानसभा चुनाव में 65 प्लस की जीत का लक्ष्य रखने वाली बीजेपी ने दावा किया था कि राज्य में 45 लाख से अधिक उसके कार्यकर्ता हैं. इन्हीं कार्यकर्ताओं के कंधे पर सवार होकर पार्टी मेजॉरिटी हासिल करेगी. ऐसे में पार्टी के उस दावे पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं.

किसे मिलेगी पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों पर यकीन करें तो बीजेपी आलाकमान दो बिंदुओं पर विचार कर रहा है. एक तो झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष कौन बनेगा और दूसरी तरफ प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी किसे दी जाएगी. राजनीतिक फॉर्मूले के तहत अगर ट्राइबल फेस स्टेट असेंबली में लीडर होता है तो नॉन ट्राइबल चेहरे को पार्टी की कमान दी जा सकती है. ऐसे में कुछ नाम चर्चा में तेजी से उभरे हैं. हालांकि, इनकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.

छात्र राजनीति से अपना राजनीतिक करियर शुरू करने वाले और दूसरी बार राजमहल से विधायक बनने वाले अनंत ओझा का नाम चर्चा में है. उनके अलावा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र राय और यदुनाथ पांडेय के नाम की भी चर्चा जोरों से है. यह वैसे चेहरे हैं जो नॉन ट्राइबल लीडरशिप के हिसाब से पार्टी के फ्रेम में फिट बैठते हैं. दरअसल, रवींद्र राय के कार्यकाल में एक तरफ पार्टी ने विधानसभा चुनाव में बाजी मारी थी और उससे पहले लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी का बेहतर प्रदर्शन रहा था.

ये भी पढे़ं: हेमंत सोरेन बने झारखंड के 11वें सीएम, आलमगीर आलम समेत 3 विधायकों ने ली मंत्री पद की शपथ
ट्राइबल फेस पर गौर करें तो राज्यसभा सांसद समीर उरांव के नाम की भी चर्चा हो रही है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि राज्य की 28 एसटी सीट में से 26 पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है. उन सीटों पर अपना समीकरण ठीक करने के मकसद से पार्टी ये दांव भी खेल सकती है. फिलहाल, बीजेपी के प्रदेश स्तरीय कार्यकारिणी समिति 31 सदस्यों की है, जिनमें एक प्रदेश अध्यक्ष समेत आठ उपाध्यक्ष, 3 महामंत्री, 6 मंत्री, प्रदेश संगठन महामंत्री और प्रवक्ताओं की टीम भी शामिल है.

Intro:रांची। झारखंड विधानसभा में करारी हार मिलने के बाद बीजेपी में सांगठनिक फेरबदल की तैयारी की सुगबुगाहट दिखाई देने लगी है। हालांकि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा ने पार्टी की चुनावों में हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। 2014 के विधानसभा चुनाव में 37 सीट हासिल करने वाली बीजेपी को 2019 के चुनाव में महज 25 सीटों पर संतोष करना पड़ा है। हैरत की बात यह है कि इस विधानसभा चुनाव में प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास, विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव और यहां तक कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी अपना चुनाव हार गए। इसके बाद ही पार्टी के अंदर फेरबदल को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई है।


Body:फॉर्मर सीएम ने दिल्ली ट्रिप में रखी अपनी बात
पार्टी सूत्रों की माने तो पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने अपने दिल्ली ट्रिप के दौरान इन मुद्दों पर बात की है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों की मानें तो इस बार संगठन की बागडोर वैसे शख्स के हाथ में दी जा सकती है जो सांगठनिक ढांचे को और मजबूत कर सके।
विधानसभा चुनाव में 65 प्लस की जीत का लक्ष्य रखने वाली बीजेपी ने दावा किया था कि राज्य में 45 लाख से अधिक उसके कार्यकर्ता हैं। इन्हीं कार्यकर्ताओं के कंधे पर सवार होकर पार्टी मेजॉरिटी हासिल करेगी। ऐसे में पार्टी के उस दावे पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

किसे मिलेगी पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों पर यकीन करें तो बीजेपी आलाकमान दो बिंदुओं पर विचार कर रहा है। एक तो झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष कौन बनेगा दूसरी तरफ प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी किसे दी जाएगी। राजनीतिक फार्मूले के तहत अगर ट्राईबल फेस स्टेट असेंबली में लीडर होता है तो नॉन ट्राइबल चेहरे को पार्टी की कमान दी जा सकती है। ऐसे में कुछ नाम चर्चा में तेजी से उभरे हैं हालांकि इनकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। छात्र राजनीति से अपना राजनीतिक करियर शुरू करने वाले और दूसरी बार राजमहल से विधायक बनने वाले अनंत ओझा का नाम चर्चा में है। उनके अलावा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र कुमार राय और यदुनाथ पांडेय के नाम की भी चर्चा जोरो से है। यह वैसे चेहरे हैं जो नॉन ट्राइबल लीडरशिप के हिसाब से पार्टी के फ्रेम में फिट बैठते हैं। दरअसल रविंद्र राय के कार्यकाल में एक तरफ पार्टी ने विधानसभा चुनाव में बाजी मारी थी और उससे पहले लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी का बेहतर प्रदर्शन रहा था।


Conclusion:हालांकि ट्राईबल फेस पर गौर करें तो राज्यसभा सांसद समीर उरांव के नाम की भी चर्चा हो रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि राज्य की 28 एसटी सीट में से 26 पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है। उन सीटों में अपना इक्वेशन ठीक करने के मकसद से पार्टी ये दांव भी खेल सकती हैं।

दरअसल फिलहाल बीजेपी के प्रदेश स्तरीय कार्यकारिणी समिति 31 सदस्यों की है जिनमें एक प्रदेश अध्यक्ष समेत आठ उपाध्यक्ष, 3 महामंत्री, 6 मंत्री प्रदेश संगठन महामंत्री और प्रवक्ताओं की टीम भी शामिल है।
पार्टी सूत्रों का यकीन करें तो इन बिंदुओं पर आलाकमान विचार कर रहा है और जिसको लेकर तस्वीर कुछ हफ्तों में साफ होने की उम्मीद है।
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